- बैंक लॉकर होल्डर की मौत के बाद बैंक उसके लॉकर को खोलने का अधिकार उसके नॉमिनी को देता है।
- नॉमिनी ना होने की स्थिति में बैंक, लॉकर होल्डर के कानूनी उत्तराधिकारी को लॉकर का नॉमिनी मान सकता है।
- लॉकर होल्डर की मौत के बाद, नॉमिनी को कुछ जरूरी कागज पेश करने होते हैं।
नई दिल्ली: बैंक लॉकर भारतीय सामाज में एक बहुत ज्यादा इस्तेमाल होने वाले टर्म्स में से एक है। कोई व्यक्ति व्यक्तिगत (निजी) या फिर संयुक्त दोनों तरह से बैंक में डिपॉजिट लॉकर खुलवा सकता है। लॉकर खुलवाने वाला व्यक्ति (यानी लॉकर होल्डर या लॉकर धारक) अपना नॉमिनी भी रजिस्टर कर सकता है, जो उसकी मृत्यू के बाद लॉकर का उत्तराधिकारी होगा। आरबीआई के नियमानुसार नॉमिनी चाहे तो बैंक लॉकर को होल्डर की मत्यू के बाद इस्तेमाल करना जारी रह सकता है। आइए जानते हैं लॉकर से जुड़ी जरूरी बातें...
यदि लॉकरधारक की मौत हो जाए
यदि किसी अनहोनी के कारण बैंक लॉकर धारक की मौत हो जाती है तो ऐसी स्थिति में नॉमिनी को लॉकर का इस्तेमाल करने के लिए बैंक को एक एप्लिकेशन देना होता है।
इन दस्तावेज की होगी आवश्यकता
- लॉकरधारक का मृत्यू प्रमाण पत्र
- केवाईसी गाइडलाइंस के मुताबिक नॉमिनी का एक पहचान पत्र जिसमें उसकी फोटो हो
- फॉर्म के मुताबिक एक्नॉलेजमेंट
- अगर लॉकर धारक ने ज्वॉइंट अकाउंट खुलवाया हुआ है, तो किसी एक लॉकर धारक की मौत के बाद उसका नॉमिनी दूसरे लॉकर धारक के साथ लॉकर एक्सेस करने का आधिकार रखता है।
- यदि लॉकर होल्डर ने किसी को नॉमिनी नहीं बनाया है, जो इस स्थिति में बैंक लॉकर होल्डर के कानूनी सलाहकार से बातचीत करके व्यक्ति के कानूनी उत्तराधिकारी को लॉकर का अधिकार दे सकता है।
- ज्वॉइंट अकाउंट में दोनों ही लॉकर होल्डर्स की मौत के बाद उनके नॉमिनी को लॉकर इस्तेमाल करने की छूट दी जाती है।
- किसी बैंक लॉकर से चीजें निकालने की इजाजत से पहले बैंक लॉकर कस्टोडियन एक इंवेंट्री बनाता है। यह इंवेंट्री लॉकर होल्डर या नॉमिनी दोनों में से किसी की मौजूदगी में बनाई जाती है। इस दौरान दूसरे गवाह भी वहां मौजूद होते हैं।