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Petrol-Diesel Price:महंगा पेट्रोल-डीजल फिर भी शौक भारी, भारत में इस 'कार' ने बदल दिया ट्रेंड

Updated Apr 27, 2022 | 20:14 IST

Petrol-Diesel Price: भले ही पेट्रोल-डीजल की कीमतें अपने रिकॉर्ड स्तर पर हैं। लेकिन भारतीयों ने अब एवरेज (Average) की परवाह करना कम कर दिया है।

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पेट्रोल-डीजल की बढ़ती कीमतों के बीच इन कारों की डिमांड
मुख्य बातें
  • प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा है कि विपक्षी दलों द्वारा शासित राज्य VAT की कीमतें नहीं घटा रहे हैं।
  • कांग्रेस नेता रणदीप सुरजेवाला ने आंकड़ों का सहारा लेते हुए ट्वीट कर कहा कि मोदी सरकार टैक्स लगाकर मोटी कमाई कर रही है। 
  • भारतीय ग्राहक छोटी कारों पर पहले जैसा जोर नहीं दे रहे हैं।

Petrol-Diesel Price: देश में पेट्रोल-डीजल की कीमतें 100 रुपये प्रति लीटर पार होना अब आम बात हो गई है। बढ़ती कीमतों ने आम आदमी की जेब पर सीधा बोझ डाला है। हालात यह है कि अब खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कीमतों को लेकर मैदान में कूद गए हैं। उन्होंने कहा है कि विपक्षी दलों द्वारा शासित राज्य VAT की कीमतें नहीं घटा रहे हैं। अगर वह ऐसा करें तो लोगों को राहत मिल सकती है। मोदी के बोलने के बाद विपक्ष भी पीछे नहीं रहने वाला था । कांग्रेस नेता रणदीप सुरजेवाला ने आंकड़ों का सहारा लेते हुए ट्वीट कर कहा कि मोदी सरकार टैक्स लगाकर मोटी कमाई कर रही है। 

लेकिन इस राजनीतिक बायनबाजी के बीच एक अहम आंकड़ा भी सामने है। जो यह साबित करता है कि भले ही पेट्रोल-डीजल की कीमतें अपने रिकॉर्ड स्तर पर हैं। लेकिन भारतीयों ने अब एवरेज (Average) और कीमत की परवाह करना कम कर दिया है। और पेट्रोल-डीजल की कीमतों पर उनका शौक भारी पड़ रहा है। यह बात इस बात से साबित होती है कि साल 2021-22 के पहले 9 महीने में यूटिलिटी व्हीकल या यू कहें कि SUV की हिस्सेदारी कारों की कुल बिक्री में 48 फीसदी पहुंच गई है। यानी शौक कीमतों पर भारी है। और लोग छोटी कारों पर पहले जैसा जोर नहीं दे रहे हैं।

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हर दूसरी कार अब यूटीलिटी  व्हीकल !

रेटिंग एजेंसी क्रिसिल की मार्च 2022 की रिपोर्ट के अनुसार भारत में तेजी से यूटीलिटी व्हीकल का बाजार बढ़ रहा है। साल 2020-21 के दौरान यूटीलिटी व्हीकल की कुल बिक्री में 39 फीसदी हिस्सेदारी थी। वह 2021-22 के पहले 9 महीने में बढ़कर 48 फीसदी पहुंच गई है। यानी करीब-करीब हर दूसरी बिक्री यूटीलिटी व्हीकल (UV) रिपोर्ट के अनुसार अगर 2014-15 से तुलना  की जाय तो आंकड़ें कहीं ज्यादा चौंकाते हैं। 2014-15 में यूटीलिटी व्हीकल की हिस्सेदारी केवल 21 फीसदी थी।

किन कारों पर आया लोगों का दिल

रिपोर्ट के अनुसार आज से 20 साल पहले (साल 2001-02) के दौरान ग्राहकों के पास प्रमुख रूप से जिप्सी, बलेरो (Balero), स्कॉर्पियो (Scorpio), क्वॉलिस (Qualis), सूमो जैसे यूटीलिटी व्हीकल के विकल्प थे। लेकिन 2010 आते-आते फॉर्च्यूनर (Fortuner), जायलो (Xylo), एंडेवर, टवेरा (Tavera) जैसे विकल्प मिलने लगे। इसके बाद दूसरे चरण में XUV500,अर्टिगा, डस्टर, इकोस्पोर्ट (Ecosport) ने बाजार में बड़ा बदलाव लाया।

इसके बाद क्रेटा (Creta), ब्रीजा (Breeza) मॉडल ने बाजार को बूस्ट दिलाया ।और एमजी मोटर्स (MG) , किआ (Kia) मोटर्स जैसी नई कार कंपनियों की एंट्री ने ग्राहकों को नए विकल्प दे दिए। जिसका असर है कि अब यूटीलिटी व्हीकल की मांग बढ़ती जा रही है। 

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