- फिलहाल रेलवे चार तरह के विकलांग कैटगरी और 11 तरह के मरीजों और छात्रों को रियायती रेल टिकट उपलब्ध करा रही है
- कोविड-19 से पहले सीनियर सिटीजन को रेल टिकट पर मिलने वाली छूट अब बहाल नहीं की जाएगी।
- सीनियर सिटीजन को टिकट पर छूट देने से 2017-18 से 2019-20 के बीच रेलवे को 4794 करोड़ रुपये का नुकसान उठाना पड़ा है।
Concession on Railway Ticket: लॉकडाउन के बाद रेल सेवाएं सामान्य होने से, जो लोग फिर से रेल टिकट में छूट की पुरानी व्यवस्था बहाल होने की उम्मीद कर रहे थे। उनके लिए बुरी खबर है। रेल मंत्री अश्वनी वैष्णव ने साफ कर दिया है कि पहले से ही यात्रियों का किराया कम है। ऐसे में टिकट पर और रियायत नहीं दी जा सकती है। रेल मंत्री के बयान से साफ है कि कोविड-19 से पहले सीनियर सिटीजन को रेल टिकट पर मिलने वाली छूट अब बहाल नहीं की जाएगी। और सीनियर सिटीजन को पूरा किराया देकर ही यात्रा करनी होगी।
रेल मंत्री ने क्या कहा
लोकसभा में रेल मंत्री ने एक सवाल के जवाब में बताया कि कोविड-19 महामारी के चलते दो वर्षों से पैसेंजर सर्विस से होने वाली कमाई कम हो गई है। ऐसे में टिकट में छूट फिर से बहाल करने से रेलवे के वित्तीय सेहत पर और बुरा असर पड़ेगा। इसलिए सीनियर सिटीजन समेत सभी कैटगरी के लोगों के लिए रियायती रेल टिकट सेवा बहाल करना संभव नहीं है। इसके बावजूद फिलहाल रेलवे चार तरह के विकलांग कैटगरी और 11 तरह के मरीजों और छात्रों को रियायती रेल टिकट उपलब्ध करा रही है। बयान से साफ है कि रेलवे का सीनियर सिटिजन को रियायत पर टिकट पर देने का कोई इरादा नहीं है।
कोरोना से पहले ऐसे मिलती थी छूट
मार्च 2020 से पहले सीनियर सिटिजन कैटेगरी में महिलाओं को किराये पर 50 फीसदी और पुरुषों को सभी क्लास में रेल सफर करने के लिये 40 फीसदी छूट मिलती थी। इसके लिए महिलाओं की न्यूनतम आयु सीमा 58 और पुरुषों के लिये 60 वर्ष तय थी। लेकिन कोरोना काल के बाद यह छूट खत्म कर दी गई। रेल मंत्री के अनुसार, सीनियर सिटीजन को टिकट पर छूट देने से 2017-18 से 2019-20 के बीच रेलवे को 4794 करोड़ रुपये का नुकसान उठाना पड़ा है।