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FCI से अब तीन महीने का राशन उधार पर उठा सकेंगे राज्य, कोरोना वायरस के बीच केंद्र सरकार ने लिया ये बड़ा फैसला

Updated Mar 24, 2020 | 13:57 IST

कोरोना वायरस के चलते पूरे देश में आपातकाल जैसे हालात हैं। लॉकडाउन के कारण लोगों के सामने रोजगार और राशन जैसी समस्या आ गई है। केंद्र सरकार ने ऐसे लोगों के लिए तीन महीने का राशन उधार पर देने का फैसला किया है।

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उधार राशन देगी केंद्र सरकार
मुख्य बातें
  • कोरोना वायरस के चलते पूरे देश में आपातकाल जैसे हालात
  • लोगों के सामने रोजगार और राशन जैसी मूलभूत समस्या उत्पन्न
  • केंद्र सरकार तीन महीने के लिए उधार राशन की सुविधा देगी

नई दिल्ली : कोरोना वायरस (Covid-19) महामारी के चलते पूरे देश में आपातकाल जैसे हालात पैदा हो गए हैं। लगभग सभी राज्यों में लॉकडाउन कर दिया गया है वहीं कई राज्यों में कर्फ्यू भी लगा दिया गया है। इसी लॉकडाउन और कर्फ्यू के बीच लोगों के सामने ना सिर्फ नौकरी और रोजगार की समस्या खड़ी हो गई है वहीं बड़ी आबादी ऐसी भी है जिन्हें डेली राशन के सामानों की भी प्राप्ति नहीं हो रही है।

इन्हीं लोगों की समस्याओं को हल करने के लिए वित्त मंत्रालय एक बड़ा कदम उठाने जा रही है। भारतीय खाद्य निगम (FCI) से तीन महीने का अनाज उधार लोगों को देने की छूट दी है। ऐसा निर्णय सार्वजनिक वितरण प्रणाली के तहत किया गया है। बता दें सार्वजनिक वितरण प्रणाली के तहत देशभर में करीब 7 करोड़ लाभार्थी आते हैं। वित्त मंत्रालय ने राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के लिए इस सुविधा का ऐलान किया है।  

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने एक ट्वीट कर इस बात की जानकारी दी। उन्होंने ट्वीट करते हुए कहा कि जनता के बीच अनाज और राशन की सप्लाई को सुनिश्चित करने के लिए और राज्य सरकारों को वित्तीय रुप से मदद के लिए वित्त मंत्रालय ने खाद्य व सार्वजनिक वितरण विभाग से ये अपील की है कि राज्य सरकारें एफसीआई से तीन महीने का राशन उधार पर उठा सकें।

वित्त मंत्रालय ने सरकार की ओर से किए जाने वाले सभी तरह के भुगतानों को सामान्य गति से चलाने और पैसों के लेन देन में देरी को रोकने को सुनिश्चित करने के लिए सरकारी व्यय प्रणाली को अनिवार्य सेवा के दायरे में ला दिया है। वित्त मंत्रालय ने एक सूचना जारी करते हुए कहा कि कोरोना वायरस के कारण आए संतट की समय में भुगतान प्रणाली से जुड़े सभी कार्यालय खुले रहेंगे।

मंत्रालय की अधिसूचना में कहा गया है कि सरकार की व्यय प्रणाली से जुड़े सामान्य और मंत्रालयों के एकीकृत वित्त प्रखंड (आईएफडी), लेखा महानियंत्रक (सीजीए) के विभाग और कार्यालयों की सेवाएं अब अनिवार्य सेवाओं की श्रेणी में होंगी।

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