Tata-Mistry dispute : सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार (26 मार्च) को एनसीएलएटी के 18 दिसंबर 2019 के उस फैसले को रद्द कर दिया, जिसमें सायरस मिस्त्री को टाटा ग्रुप का दोबारा कार्यकारी अध्यक्ष नियुक्त करने का आदेश दिया गया था। रतन टाटा ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले की सराहना करते हुए कहा कि यह जीतने या हारने का मुद्दा नहीं है।
उन्होंने इस फैसले को टाटा ग्रुप की अखंडता और नैतिकता पर मुहर बताया और कोर्ट का आभार जताया। टाटा ने फैसले पर प्रतिक्रिया देते हुए ट्वीट किया कि मैं उच्चतम न्यायालय के फैसले की सराहना करता हूं और मैं न्यायालय का आभारी हूं। उन्होंने आगे लिखा कि यह हार और जीत का विषय नहीं है। मेरी ईमानदारी और समूह के नैतिक आचरण पर लगातार हमले किए गए। फैसले ने टाटा ग्रुप के मूल्यों और नैतिकता पर मुहर लगाई है, जो हमेशा से ग्रुप के मार्गदर्शक सिद्धान्त रहे हैं। उन्होंने कहा कि इस फैसले ने न्यायपालिका की निष्पक्षता को और मजबूत किया है।
टाटा संस प्राइवेट लिमिटेड और साइरस इन्वेस्टमेंट्स प्राइवेट लिमिटेड ने राष्ट्रीय कंपनी विधि अपीलीय न्यायाधिकरण (एनसीएलएटी) के फैसले के खिलाफ क्रॉस अपील दायर की थी, जिसपर सुप्रीम कोर्ट का फैसला आया है। आदेश में आगे कहा गया कि टाटा ग्रुप की अपील को स्वीकार किया जाता है, और एसपी ग्रुप की अपील खारिज की जाती है।
चीफ जस्टिस एस ए बोबडे और जस्टिस ए एस बोपन्ना और वी रामसुब्रमण्यम की पीठ ने टाटा समूह की अपील को स्वीकार किया। पीठ ने अपने आदेश में कहा कि राष्ट्रीय कंपनी लॉ अपीलीय न्यायाधिकरण (एनसीएलएटी) के 18 दिसंबर 2019 के आदेश को रद्द किया जाता है। एनसीएलएटी ने अपने आदेश में 100 अरब डॉलर के टाटा समूह में साइरस मिस्त्री मिस्त्री को कार्यकारी चेयरमैन पद पर बहाल कर दिया था।
शापूरजी पालोनजी (एसपी) ग्रुप ने 17 दिसंबर को कोर्ट से कहा था कि अक्टूबर, 2016 को हुई बोर्ड की बैठक में मिस्त्री को टाटा संस के चेयरमैन पद से हटाना खूनी खेल और घात लगाकर किया गया हमला था। यह कंपनी संचालन के सिद्धान्तों के खिलाफ था। वहीं टाटा ग्रुप ने इन आरोपों को खारिज करते हुए कहा था कि इसमें कुछ भी गलत नहीं था और बोर्ड ने अपने अधिकार का इस्तेमाल करते हुए मिस्त्री को पद से हटाया था।
टाटा-मिस्त्री विवाद में कब क्या हुआ
- 18 दिसंबर 2019 - सुप्रीम कोर्ट ने एनसीएलएटी के 18 दिसंबर 2019 के उस फैसले को रद्द कर दिया, जिसमें सायरस मिस्त्री को टाटा ग्रुप का दोबारा कार्यकारी अध्यक्ष नियुक्त करने का आदेश दिया गया था।
- 24 अक्टूबर 2016- साइरस मिस्त्री टाटा संस के चेयरमैन पद से हटाए गए। रतन टाटा अंतरिम चेयरमैन बने।
- 20 दिसंबर 2016- मिस्त्री परिवार द्वारा समर्थित दो निवेश कंपनियां साइरस इनवेस्टमेंट्स प्राइवेट लि. और स्टर्लिंग इनवेस्टमेंट्स कॉरपोरेशन प्राइवेट लि. एनसीएलटी की मुंबई बेंच में गयी। उन्होंने टाटा संस पर अल्पांश शेयरधारकों के उत्पीड़न और कुप्रबंधन का आरोप लगाया। मिस्त्री को बर्खास्त करने की कार्रवाई को चुनौती दी गयी।
- 12 जनवरी 2017- टाटा संस ने टीसीएस के तत्कालीन मुख्य कार्यपालक अधिकारी और प्रबंध निदेशक एन. चंद्रशेखरन को चेयरमैन बनाया।
- 6 फरवरी 2017- मिस्त्री को टाटा समूह की होल्डिंग कंपनी टाटा संस के निदेशक मंडल से भी हटाया गया।
- 6 मार्च 2017- एनसीएलटी मुंबई ने मिस्त्री परिवार की दो निवेश कंपनियों की अर्जी खारिज की। न्यायाधिकरण ने कहा कि अपीलकर्ता कंपनी में न्यूनमत 10 प्रतिशत मालिकाना हक के मानदंड को पूरा नहीं करता।
- 17 अप्रैल 2017- एनसीएलटी मुंबई ने दोनों निवेश कंपनियों की उस याचिका को भी खारिज कर दिया, जिसमें अल्पांश शेयरधारकों के उत्पीड़न का मामला दर्ज कराने को लेकर कम-से-कम 10 प्रतिशत हिस्सेदारी के प्रावधान से छूट देने का आग्रह किया गया था।
- 27 अप्रैल 2017- ये निवेश कंपनियां अपीलीय न्यायाधिकरण में पहुंचीं ।
- 21 सितंबर 2017- अपीलीय न्यायाधिकरण ने दोनों निवेश कंपनियों की उत्पीड़न और कुप्रबंधन के खिलाफ मामला दायर करने के लिए न्यूनतम हिस्सेदारी के प्रावधान से छूट देने के आग्रह वाली याचिका स्वीकार कर ली। हालांकि उसने मिस्त्री की दूसरी याचिका को खारिज कर दिया, जिसे एनसीएलटी विचार करने लायक नहीं होने के आधार पर खारिज किया था।
- अपीलीय न्यायाधिकरण ने एनसीएलटी की मुंबई पीठ को नोटिस जारी करने और मामले में सुनवाई करने को कहा।
- 5 अक्टूबर 2017- निवेश कंपनियों ने दिल्ली में एनसीएलटी की प्रधान पीठ से संपर्क कर पक्षपात का हवाला देते हुए मामले को मुंबई से दिल्ली स्थानांतरित करने का आग्रह किया।
- 6 अक्टूबर 2017- एनसीएलटी की प्रधान पीठ ने याचिका खारिज कर दी और दोनों निवेश कंपनियों पर 10 लाख रुपये की लागत का जुर्माना थोपा।
- 9 जुलाई 2018: एनसीएलटी मुंबई ने मिस्त्री की याचिका खारिज की, जिसमें टाटा संस के चेयरमैन पद से हटाये जाने को चुनौती दी गयी थी।
- 3 अगस्त 2018: दोनों निवेश कंपनियां एनसीएलटी के आदेश के खिलाफ अपीलीय न्यायाधिकरण गयीं।
- 29 अगस्त 2018: अपीलीय न्यायाधिकरण ने साइरस मिस्त्री की याचिका सुनवाई के लिए दाखिल कर ली।
- 18 दिसंबर 2019: अपीलीय न्यायाधिकरण ने मिस्त्री को टाटा संस का कार्यकारी चेयरमैन बहाल करने का आदेश दिया। मामले में अपील करने के लिये टाटा संस को चार सप्ताह का समय दिया गया।
- 2 जनवरी 2020: टाटा संस ने एनसीएलएटी के 18 दिसंबर 2019 के फैसले को उच्चतम न्यायालय में चुनौती दी।
- 10 जनवरी: उच्चतम न्यायालय ने एनसीएलएटी के फैसले पर रोक लगाई।
- 22 सितंबर: उच्चतम न्यायालय ने शापूरजी पलोनजी समूह को टाटा संस में अपने शेयर गिरवी रखने से रोका।
- 8 दिसंबर: विवाद में अंतिम सुनवाई शुरू।
- 17 दिसंबर: न्यायालय ने विवाद में फैसला सुरक्षित रखा।
- 26 मार्च, 2020: उच्चतम न्यायालय ने शुक्रवार को एनसीएलएटी के 18 दिसम्बर 2019 के उस फैसले को रद्द कर दिया, जिसमें सायरस मिस्त्री को ‘टाटा समूह’ का दोबारा कार्यकारी अध्यक्ष नियुक्त करने का आदेश दिया गया था।