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पीएफ और ग्रेच्युटी के पैसे को लेकर लें ये 5 फैसले, बेहतर होगी रिटायरमेंट लाइफ

Updated Jan 10, 2022 | 23:43 IST

अगर आप रिटायरमेंट के बाद आर्थिक तौर पर मजबूत होना चाहते हैं तो आपको अपनी सेवाकालीन बचत पर ध्यान देना चाहिए। हां वे 5 वित्तीय निर्णय दिए जा रहे हैं जिन पर विचार कर सकते हैं।

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पीएफ और ग्रेच्युटी के पैसों को लेकर विशेष ध्यान दें

लोग रिटायरमेंट के बाद अपने दिन-प्रतिदिन की वित्तीय जरूरतों के लिए केवल अपने मासिक पेंशन पर निर्भर होते हैं। प्रायः वे इस बात की अनदेखी करते हैं कि अपनी दो सेवाकालीन बचतों यानी कर्मचारी भविष्य निधि (ईपीएफ) और ग्रेच्युटी का अधिकतम फायदा कैसे उठाएं। रिटायरमेंट के बाद कर्मचारी भविष्य निधि और ग्रेच्युटी से मिलने वाली एकमुश्त राशि उन लोगों के लिए एक खजाने के समान है जो जानते हैं कि इसका बेहतर उपयोग कैसे किया जाए। अगर आप रिटायरमेंट के लिए आर्थिक रूप से तैयार रहना चाहते हैं, तो आपको अपनी सेवाकालीन बचत पर ध्यान देना चाहिए। ऐसे कई तरीके हैं जिनकी मदद से आप इन निधियों का बेहतर उपयोग और वृद्धि कर सकते हैं। यहां वे 5 वित्तीय निर्णय दिए जा रहे हैं जिन पर विचार कर आप रिटायरमेंट के समय पीएफ और ग्रेच्युटी योजनाओं से अच्छी-खासी रकम घर ले जा सकते हैं।

अपना ईपीएफ बढ़ने दें

डेब्ट श्रेणी के किसी भी इंस्ट्रूमेंट के मध्य ईपीएफ में सबसे अधिक 8.5% का ब्याज मिलता है। आपकी नौकरी के अंतिम दिन के बाद, आपके ईपीएफ में जमा राशि पर 36 महीने तक ब्याज अर्जित होता रहता है। उदाहरण के लिए, यदि आपकी नौकरी का अंतिम दिन 31 मार्च 2022 है, तो आपका ईपीएफ खाता निष्क्रिय होने से पहले उस पर तीन वित्तीय वर्षों यानी एफवाई 22, एफवाई 23 और एफवाई 24 के लिए ब्याज अर्जित होना जारी रहेगा। चूंकि इसमें चक्रवृद्धि ब्याज की गणना होती है, अतः आपको न केवल अपने मूलधन पर बल्कि अर्जित ब्याज पर भी ब्याज मिलेगा। इसलिए, अगर आपको इस पैसे की तुरंत जरूरत नहीं है, तो इसे ईपीएफ फंड में ही बने रहने दें। तीन साल की अवधि के बाद, आप ईपीएफ से पूरी राशि निकाल सकते हैं या इसे सक्रिय बनाए रखने के लिए आंशिक रूप से निकासी कर सकते हैं, और इस तरह आप बैलेंस पर ब्याज कमाना जारी रख सकते हैं।

अपनी वित्तीय देनदारियों का निपटान करें 

अपनी वित्तीय देनदारियों, यदि कोई है, का जायजा लें। हो सकता है कि आपके होम लोन, कार लोन या किसी अन्य लोन की ईएमआई अभी शेष हो। उन्हें आगे न बढ़ने दें। आप अपनी वित्तीय देनदारियों से निजात पाने के लिए या तो एक बार में या फिर नियमित प्री-पेमेंट के जरिए बकाया ऋणों को निपटाने में पीएफ और ग्रेच्युटी के पैसे का उपयोग कर सकते हैं।

कम-से-मध्यम जोखिम वाले निवेश उत्पादों पर विचार करें 

अपनी जोखिम क्षमता के आधार पर, विभिन्न एसेट क्लास में फंड आवंटित करें। जिन उत्पादों में जोखिम बहुत अधिक हो उनमें निवेश न करना ही समझदारी है, भले ही वे अधिक रिटर्न देते हों। स्वयं को उन वित्तीय उत्पादों तक सीमित रखें जो बहुत कम से लेकर मध्यम जोखिम वाले हों और तरजीही तौर पर डेब्ट-ओरिएंटेड उत्पाद हों। जिन वित्तीय इंस्ट्रूमेंट् में आप एकमुश्त निवेश करने पर विचार कर सकते हैं, उनमें डाकघर बचत, सार्वजनिक भविष्य निधि (पीपीएफ), म्यूचुअल फंड द्वारा पेशकश की जाने वाली बैलेंस्ड एडवांटेज स्कीम और डेब्ट-ओरिएंटेड हाइब्रिड म्यूचुअल फंड स्कीम शामिल हैं।

नियमित कैश फ़्लो सुनिश्चित करें 

अपनी मासिक पेंशन के अतिरिक्त नियमित कैश फ़्लो के लिए, आप नियमित ब्याज भुगतान या डिविडेंट पेआउट के विभिन्न विकल्प चुन सकते हैं। अपनी जरूरत के आधार पर, आप अपनी डाकघर बचत में मासिक या तिमाही ब्याज भुगतान विकल्पों पर विचार कर सकते हैं। इस तरह, आप नियमित अंतराल पर ब्याज प्राप्त करना जारी रख सकते हैं। उदाहरण के लिए, यदि आप वरिष्ठ नागरिक बचत योजना (एससीएसएस) में 5 वर्षों के लिए 10 लाख रुपए का एकमुश्त निवेश करते हैं - जिसमें वर्तमान में 7.4% ब्याज मिलता है - तो आपको तिमाही रूप से 18,500 रुपए प्राप्त होंगे। इस तरह 5 साल की अवधि में ब्याज के रूप में कुल 3,70,000 रुपए प्राप्त होंगे, और इस अवधि की समाप्ति पर आपको अपना मूलधन वापस मिल जाएगा। इसी तरह, आप अपने म्यूचुअल फंड निवेश में डिविडेंड का विकल्प चुन सकते हैं या सिस्टमैटिक विथ्ड्रॉअल प्लान (एसडब्ल्यूपी) का उपयोग कर सकते हैं। इन सभी उपायों से सुनिश्चित होता है कि आपको अपनी वित्तीय जरूरतें पूरी करने के लिए नियमित रूप से अतिरिक्त आय प्राप्त हो।

आपातकालीन फ़ंड तैयार करें और स्वास्थ्य बीमा खरीदें 

हर समय आपातकालीन फ़ंड तैयार रखने में ही समझदारी है। सुनिश्चित करें कि रिटायरमेंट के बाद आपके पास कम से कम 5 लाख रुपए हैं जिसका उपयोग किसी भी तत्काल परिस्थिति में किया जा सके - जैसे कि किसी मेडिकल एमर्जेंसी के लिए या फिर किसी अन्य अप्रत्याशित देनदारी को पूरा करने के लिए। इस राशि को या तो नियमित बैंक डिपॉजिट या लिक्विड म्यूचुअल फंड स्कीम में रखें। चूँकि चिकित्सा से जुड़ी आकस्मिकताएँ कई बार आपकी जेब पर भारी पड़ सकती हैं, इसलिए यदि आपका मौजूदा मेडिकल इंश्योरेंस प्लान आपकी आवश्यकताओं को पूरा करने में असमर्थ है, तो कोई बेहतर मेडिकल इंश्योरेंस प्लान लेना ही समझदारी है। ऐसा करते समय, स्वास्थ्य बीमा योजनाओं से जुड़ी विभिन्न उपयोगी अतिरिक्त सुविधाओं पर विचार करें और उनकी समीक्षा करें। यह गौरतलब है कि मेडिकल एमर्जेंसी आपकी आर्थिक स्थिति को पटरी से उतार सकती है; इसलिए एक अच्छा मेडिकल इंश्योरेंस होना आपको इनके खिलाफ ढाल प्रदान करता है।

रिटायरमेंट जीवन की अपनी चुनौतियां होती हैं। यदि आप अपनी सभी परिसंपत्तियों और जीवनभर की बचत का बेहतर और विचारशील प्रबंधन करते हैं, तो आपको बिना किसी आर्थिक परेशानी के रिटायरमेंट के बाद अपने जीवन का आनंद उठाने में मदद मिलती है। जरूरत पड़ने पर आप पेशेवर फाइनेंशियल प्लानर्स की सलाह भी ले सकते हैं।

(इस लेख के लेखक, BankBazaar.com के CEO आदिल शेट्टी हैं)
(डिस्क्लेमर:  ये लेख सिर्फ जानकारी के उद्देश्य से लिखा गया है। इसको निवेश से जुड़ी, वित्तीय या दूसरी सलाह न माना जाए)

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