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Loan Tips : सिक्योर्ड लोन लेने जा रहे हैं? पहले लोन टू वैल्यू रेशो के बारे में जान लें

Updated May 24, 2021 | 13:11 IST

सिक्योर्ड लोन को गिरवी रखी गई अंडरलाइंग एसेट के आधार पर और अधिक श्रेणियों में बांटा जा सकता है। लोन लेने के पहले लोन टू वैल्यू रेशो के बारे में जान लें।

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लोन लेने से पहले जानने वाली जरूरी बातें (तस्वीर-istock)

कोलेट्रल (संपार्श्विक) जरूरतों के अनुसार मार्केट में दो प्रकार के लोन प्रोडक्ट्स उपलब्ध हैं- सिक्योर्ड (सुरक्षित) लोन और अनसिक्योर्ड (असुरक्षित) लोन। किसी सिक्योर्ड लोन के लिए कोलेट्रल की जरूरत होती है जैसे कि प्रॉपर्टी या कोई अन्य पात्र एसेट जिसे गिरवी रखना पड़ता है, जबकि अनसिक्योर्ड लोन, जैसे पर्सनल लोन के लिए किसी कोलेट्रल की जरुरत नहीं होती है। सिक्योर्ड लोन को गिरवी रखी गई अंडरलाइंग एसेट के आधार पर और अधिक श्रेणियों में बांटा जा सकता है। उदाहरण के लिए, आप इमूवेबल प्रॉपर्टी (अचल संपत्ति), शेयर्स, गोल्ड, एफड, जीवन बीमा पॉलिसी आदि के बदले में सिक्योर्ड लोन ले सकते हैं।

अगर उधारकर्ता तय अवधि में भुगतान नहीं करता है तो गिरवी रखी गई एसेट से उधारदाता को बकाया राशि की वसूली में सहायता मिलती है। यहां यह भी नोट करना जरूरी है कि उधारदाता गिरवी रखे जाने वाले कोलेट्रल एसेट की पूरी वैल्यू को लोन की राशि के रूप में स्वीकार (एप्रूव) नहीं करता है। फाइनेंसर बैंक किसी गिरवी रखी गई एसेट के बदले में अधिकतम लोन राशि का फैसला करने में ‘पर्मिसेबल लोन टू वैल्यू (एलटीवी) रेशो’ का इस्तेमाल करता है। प्रत्येक लोन प्रोडक्ट के लिए यह रेशो अलग-अलग होता है।

उदाहरण के लिए, लोन के लिए सोने के आभूषणों की स्थिति में अधिकतम 75% एलटीवी की अनुमति दी जाती है। इसलिए, आप एसेट की वैल्यू के 75% तक ही लोन प्राप्त कर पाएंगे और एसेट की शेष वैल्यू सिक्योरिटी मार्जिन के रूप में बैंक के पास रहती है। इससे उधारदाता संस्थान को एसेट की कीमत में उतार-चढ़ाव के विरूद्ध सुरक्षा मिलती है।

उधारकर्ता को उस समय-समय पर रिपेमेंट के संबंध में सजग रहने की जरूरत होती है जब गिरवी रखी गई अंडरलाइंग एसेट की वैल्यू, फिक्स्ड वैल्यू इंस्ट्रुमेंट होती है जैसे कि एफडी, बीमा पॉलिसी, नेशनल सेविंग सर्टिफिकेट (एनएससी) आदि। लेकिन जब गिरवी रखी गई अंडरलाइंग एसेट की वैल्यू में उतार-चढ़ाव होता है, तो इस बात की संभावना भी होती है कि एसेट की वैल्यू में कमी हो सकती है। इसलिए, उधारकर्ता को पूरी लोन अवधि के दौरान एलटीवी मार्जिन को बनाए रखने की जरूरत होती है, और ऐसा करने में विफल रहने पर, बैंक द्वारा अपनी बकाया राशि की वसूली के लिए गिरवी रखी गई अंडरलाइंग एसेट को बेचा जा सकता है। इस लेख में, हम एलटीवी में परिवर्तन की कंसेप्ट (संकल्पना) और आपके लोन पर इसके प्रभाव को विस्तार से समझते हैं।

सिक्योर्ड लोन में एलटीवी को बनाए रखना क्यों महत्वपूर्ण होता है?

सिक्योर्ड लोन में, आमतौर पर बैंक गिरवी रखी गई एसेट की 50% से 90% वैल्यू तक के लोन की अनुमति देते हैं। शेयरों और म्यूचुअल फंड्स के बदले में लोन के लिए, बैंक आमतौर पर एसेट वैल्यू के 50% तक लोन देते हैं। गोल्ड के बदले में लोन के लिए, बैंक आमतौर पर गोल्ड की वैल्यू के 75% से 90% तक लोन देते हैं। पिछले वर्ष, आरबीआई ने 31 मार्च, 2021 तक गैर-कृषि उद्देश्यों के लिए बैंक गोल्ड लोन हेतु एलटीवी को 75% से 90% तक कर दिया था। जब आप सिक्योरिटीज़ के बदले में लोन के लिए आवेदन करते हैं, तब बैंक चाहती हैं कि आप तय मार्जिन को बनाए रखें, जो कि सिक्योर्ड लोन में गिरवी रखी गई अंडरलांइग एसेट के प्रकार पर निर्भर करता है। उदाहरण के लिए, गोल्ड के बदले में लोन के लिए, बैंक आमतौर पर 75% तक एलटीवी की अनुमति देता है यानी उधारकर्ता को लोन को जारी रखने के लिए 25% के सुरक्षा मार्जिन को बनाए रखना होता है। मान लीजिए कि किसी उधारकर्ता द्वारा 20% प्रतिवर्ष की दर से 75,000/- रुपये के लोन के लिए 100,000/- के मूल्य के गोल्ड को गिरवी रखा जाता है। इसका अर्थ है कि बैंक के पास ब्याज के भुगतान न करने की स्थिति में लगभग 17 महीनों की सुरक्षा है। लेकिन, यदि मार्केट में गोल्ड की वैल्यू 100,000/- रुपए से कम हो जाती है और मान लेते हैं कि ये 80,000/- रुपये ही रह जाती है, तो बकाया ब्याज की वसूली के लिए बैंक का सुरक्षा मार्जिन उस सीमा तक कम हो जाता है। इसलिए, जब गिरवी रखी गई एसेट की मार्केट वैल्यू कम हो जाती है, तो बैंक द्वारा आमतौर पर उधारकर्ता को बकाया ब्याज का भुगतान करने के लिए, या गिरवी रखी गई सिक्योरिटी के साइज को बढ़ाने के लिए या लोन राशि के एक हिस्से को वापस करने के लिए नोटिस भेजा जाता है।

जब गिरवी रखी गई कोलेट्रल एसेट की वैल्यू कम हो जाती है, तो ध्यान में रखी जाने वाली बातें

सामान्य तौर पर, गिरवी रखी गई एसेट की वैल्यू उस समय कम होती है जब आपने पीक मार्केट के दौरान लोन लिया होता है। उदाहरण के लिए, वर्ष 2020 में गोल्ड की उच्चतम वैल्यू 57,000/- रुपए /10 ग्राम हो गई थी, और आपने उसी दौरान बैंक से गोल्ड के बदले में लोन लिया था। वर्तमान में गोल्ड का रेट 47,000/- रुपए /10 ग्राम है, यानी पिछले वर्ष के ‘पीक रेट’ की तुलना में 10,000/- रुपए कम है। अगर आपने गिरवी रखे गए लोन के बदले में अधिकतम अनुमत (एलाऊड) लोन लिया है यानी गोल्ड वैल्यू का करीब 90%, तो बैंक ये चाहेगा कि आप एलटीवी रेशो को रिइंस्टेट (पुनः स्थापित) करने के लिए बकाया लोन राशि को कम करें या फिर और अधिक गोल्ड गिरवी रखें। मान लीजिए कि, कुछ महीनों के बाद, फिर से गोल्ड की वैल्यू बढ़कर 57,000/- हो जाती है, तो आप बैंक से गिरवी रखे गए अतिरिक्त गोल्ड को वापस करने के लिए कह सकते हैं, या आप इसी के अनुसार लोन राशि को बढ़ा सकते हैं।

निष्कर्ष

जब बाजार में तेजी होती है, तो आप गिरवी के रूप में एसेट की बढ़ती वैल्यू का प्रयोग करने का अवसर देख सकते हैं। लेकिन, जब आप हाई मार्केट में गिरवी रखने के लिए गोल्ड जैसी एसेट का प्रयोग करते हैं, तो आपको पूरी एलटीवी का इस्तेमाल करने से बचना चाहिए। जब आप ‘पीक मार्केट’ में लोन लेते हैं, तो आपको करीब 60% तक एलटीवी का प्रयोग करना चाहिए। इससे आपको उधारदाता की तरफ से बार-बार एलटीवी मार्जिन को बनाए रखने का अनुरोध नहीं मिलेगा। साथ ही, आपको अपने लोन का भुगतान समय पर करना चाहिए क्योंकि इससे समय के साथ आपका एलटीवी कम हो जाएगा। और यदि गिरवी रखी गई एसेट की मार्केट वैल्यू में थोड़ी भी कमी होती है, तो आप इसकी वजह से किसी भी दिक्कत से बच जाएंगे।

(इस लेख के लेखक, BankBazaar.com के CEO आदिल शेट्टी हैं)
(डिस्क्लेमर: यह जानकारी एक्सपर्ट की रिपोर्ट के आधार पर दी जा रही है। बाजार जोखिमों के अधीन होते हैं, इसलिए निवेश के पहले अपने स्तर पर सलाह लें।) ( ये लेख सिर्फ जानकारी के उद्देश्य से लिखा गया है। इसको निवेश से जुड़ी, वित्तीय या दूसरी सलाह न माना जाए)

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