नई दिल्ली: सरकार द्वारा एयर इंडिया में हिस्सेदारी बेचने के फैसले के बाद से ऐसी रिपोर्ट्स आ रही कि टाटा संस ग्रुप एयरलाइन के लिए बोली लगा सकता है। हालांकि इस तरह की रिपोर्ट्स पर विराम लगाते हुए टाटा संस के चेयरमैन एन. चंद्रशेखरन ने बुधवार को बताया कि एयर इंडिया के बारे में कुछ भी कहना अभी जल्दबाजी होगी। सरकार ने इस नेशनल कैरियर की 100 फीसदी हिस्सेदारी बेचने का फैसला किया है।
ऑटो एक्सपो 2020 में पहुंचे एन चंद्रशेखरन ने जब यह पूछा गया कि क्या टाटा समूह एयर इंडिया में हिस्सेदारी की बोली लगाएगी? उन्होंने बताया, 'अभी इस बारे में कहना जल्दबाजी होगी...।' गौरतलब है कि पिछले कुछ वक्त से खबर आ रही थी कि टाटा संस ग्रुप एयर इंडिया के लिए सिंगापुर एयरालइंस के साथ मिलकर बोली लगा सकता है। दोनों के बीच इस संबंध में बातचीत चल रही है।
रिपोर्ट में बताया गया था कि टाटा ग्रुप ने एयर एशिया इंडिया के एयर इंडिया एक्सप्रेस में विलय सहित इस खरीदारी को लेकर काम शुरू कर दिया गया है। बता दें कि एयर एशिया इंडिया में टाटा ग्रुप की 51 फीसदी हिस्सेदारी है, जबकि एयर इंडिया एक्सप्रेस सार्वजनिक क्षेत्र की एयरलाइन एयर इंडिया की पूर्व स्वामित्व वाली अनुषंगी है।
सरकार ने एयर इंडिया के साथ ही एयर इंडिया एक्सप्रेस के विनिवेश का भी फैसला किया है। पिछले महीने प्रारंभिक सूचना ज्ञापन (पीआईएम) जारी किया गया और राष्ट्रीय एयरलाइन में पूरी हिस्सेदारी बेचने की प्रक्रिया शुरू की है। ध्यान रहे कि इससे पहले भी सरकार एयर इंडिया में अपनी हिस्सेदारी बेचने की कोशिश कर चुकी है।
कब लगा था एयर इंडिया को झटका
सरकार ने एयर इंडिया को बढ़ते कर्ज के बोझ को कम करने के लिए बेचने का फैसला किया है। एयर इंडिया के पतन की शुरुआत साल 2007 में हुई थी, जबकि इसका विलय इंडियन एयरलाइंस के साथ हुआ था। इसके बाद नौकरशादी के खराब फैसले और कर्ज में होने के बाद भी बोइंस से विमान खरीदने से एयर इंडिया की वित्तीय हालात खराब हो गई। साल 2018-19 में एयर इंडिया का कुल घाटा 8,556.35 करोड़ रुपये पहुंच गया।