- आयकर अधिनियम 1961 की धारा 56(2) के तहत कुछ उपहारों में टैक्स भी लगता है।
- ऐसे में महंगे तोहफे लेने से पहले आपको सचेत रहने की जरूरत है।
- आइए जानते हैं नियोक्ता, रिश्तेदारों, दोस्तों या अन्य लोगों से प्राप्त उपहार पर टैक्स के नियम क्या हैं।
Tax on Gifts in India: त्योहारी सीजन के दौरान उपहारों का लेना-देना भारत में बेहद आम है। हालांकि, बहुत से लोगों को इस बात की जानकारी नहीं है कि त्योहारी सीजन (Festive Season) के दौरान प्राप्त उपहारों पर टैक्स (Tax) लग सकता है। वर्ष के दौरान प्राप्त उपहारों पर आयकर अधिनियम 1961 (Income Tax Act 1961) की धारा 56(2)(X) के मुताबिक, 'अन्य स्रोतों से आय' के तहत स्लैब दर के अनुसार कर लगाया जाता है।
कुल इतनी कीमत वाले उपहारों पर नहीं लगता टैक्स
ध्यान दें कि सभी उपहारों पर कर नहीं लगाया जाता है। उपहार की प्रकृति और इसे किससे प्राप्त किया जाता है, इसके आधार पर कर के नियम अलग-अलग होते हैं। यदि एक वर्ष के दौरान प्राप्त सभी उपहारों का कुल मूल्य 50,000 रुपये से अधिक है, तो यह आयकर नियमों के अनुसार कर योग्य होगा। मौद्रिक और गैर-मौद्रिक दोनों उपहारों को 50,000 रुपये की सीमा में शामिल किया जाएगा।
इधर जानें क्या हैं नियम (Gift taxation rules)
नियोक्ता से मिले उपहार पर टैक्स के नियम (Tax Rule for gift received from employer)
भारत में अधिकांश नियोक्ता वर्ष के दौरान विभिन्न अवसरों पर अपने कर्मचारियों को उपहार देते हैं, जैसे कि दिवाली, नया साल, आदि। आयकर अधिनियम के अनुसार, यदि कोई नियोक्ता कोई उपहार प्रदान करता है, जो वित्तीय वर्ष के दौरान वाउचर या नकद राशि 5,000 रुपये से कम है, तो यह पूरी तरह से कर-मुक्त होता है। हालांकि, अगर उपहार की राशि 5,000 रुपये से अधिक है, तो पूरी राशि को वेतन के हिस्से के रूप में माना जाता है और टैक्स स्लैब के अनुसार 'perquisite' के रूप में कर लगाया जाता है।
रिश्तेदारों से प्राप्त उपहार पर टैक्स (Tax Rule for Gifts received from relatives)
रिश्तेदारों से प्राप्त उपहार बिना किसी सीमा के कर से पूरी तरह मुक्त हैं। लेकिन यहां रिश्तेदार धारा 56 (2) के रिश्तेदार की परिभाषा के अंतर्गत होने चाहिए। आयकर अधिनियम 1961 के अनुसार, करीबी रिश्तेदारों से प्राप्त उपहार कर से मुक्त हैं।
दोस्तों और अन्य लोगों से प्राप्त उपहार पर टैक्स (Tax Rule for Gifts received from friends)
दोस्तों से प्राप्त उपहारों को अन्य स्रोतों से आय के रूप में माना जाएगा और इसके अनुसार कर लगाया जाएगा। हालांकि, एक वित्तीय वर्ष के दौरान कुल मिलाकर प्राप्त 50,000 रुपये तक के उपहार (या तो दिवाली या किसी अन्य त्योहार पर) कर से मुक्त हैं।
हालांकि, शादी के अवसर पर प्राप्त उपहार या वसीयत या विरासत के तहत हस्तांतरित उपहार किसी भी व्यक्ति से प्राप्त होने पर कर से मुक्त होते हैं, न कि केवल रिश्तेदारों से।