- भारत के दूसरे सबसे लंबे एक्सप्रेसवे का निर्माण सितंबर में शुरू होगा
- यह दिल्ली और प्रयागराज के बीच यात्रा की अवधि को 10-11 घंटे से घटाकर 6 घंटे कर देगा
- एक्सप्रेस-वे छह लेन का होगा जिसे भविष्य में 8 लेन में बदला जा सकता है
नई दिल्ली: उत्तर प्रदेश के पूर्वी और पश्चिमी हिस्सों को जोड़ेने वाले बहुप्रतीक्षित गंगा एक्सप्रेसवे का निर्माण कार्य सितंबर में शुरू होगा। यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने पहले ही कहा था कि 1,020 किलोमीटर लंबे एक्सप्रेसवे का निर्माण कार्य शुरू होने वाला है क्योंकि राज्य सरकार ने परियोजना के लिए आवश्यक 80 से 90% से अधिक भूमि का अधिग्रहण कर लिया है। यह एक्सप्रेस वे भारत का दूसरा सबसे लंबा एक्सप्रेस वे होगा। आइए जानते हैं कैसा होगा गंगा एक्सप्रेस वे और इसकी विशेषताएं
परियोजना से जुड़ेंगे 519 गांव
रिपोर्ट्स के मुताबिक, उत्तर प्रदेश एक्सप्रेसवे इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट अथॉरिटी (UPEDIA) ने मेरठ को प्रयागराज से जोड़ने वाली परियोजना के लिए पहले से ही टेंडर जारी करने की तैयारी कर ली है। सिविल ठेकेदारों को निविदा जारी करना संभवत: अगस्त 2021 में शुरू होगा। परियोजना को भविष्य में वाराणसी तक बढ़ाया जा सकता है। एक्सप्रेस-वे से 519 गांव जुड़ेंगे।
ये जिले होंगे शामिल
इस परियोजना के निर्माण कार्य पर 36,000 से 42,000 करोड़ रुपये की लागत आने की उम्मीद है और इसके 26 महीनों में पूरा होने की उम्मीद है। परियोजना के पहले चरण के निर्माण की कुल लागत 35,952 करोड़ रुपये आंकी गई है। इस परियोजना के लिए वित्त पोषण 70% ऋण और 30% इक्विटी संयोजन द्वारा किया जाएगा।यूपी में तीसरा एक्सप्रेस-वे मेरठ के बुजौली गांव के पास से शुरू होकर प्रयागराज के जुदापुर दांडू गांव में खत्म होगा। एक्सप्रेसवे के निर्माण का पहला चरण 596 किलोमीटर लंबा होगा और इसमें मेरठ, ज्योतिभा फुले नगर, हापुड़, संभल, बदायूं, शाहजहांपुर, फर्रुखाबाद, हरदोई, उन्नाव, रायबरेली, प्रतापगढ़ और प्रयागराज जिले शामिल होंगे।
कुछ ऐसा होगा एक्सप्रेसवे का नक्शा
इसमें 14 बड़े पुल, 126 छोटे पुल, आठ रोड ओवरब्रिज और 18 फ्लाईओवर होंगे। एक्सप्रेस-वे पर गंगा पर एक किलोमीटर का पुल और रामगंगा पर 720 मीटर का एक और पुल बनाया जाएगा। इस एक्सप्रेस वे पर नौ जन सुविधा परिसर, 2 मुख्य टोल प्लाजा और 12 रैंम्प टोल प्लाजा होंगे। एक्सप्रेसवे के निकट इण्डस्ट्रियल ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट, शिक्षण एवं प्रशिक्षण संस्थान, मेडिकल संस्थान आदि की स्थापना हेतु भी अवसर सुलभ होंगे।बुंदेलखंड और पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे के सपने को जमीन पर उतार रही उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने अब 'गंगा एक्सप्रेस-वे के लिए युद्धस्तर पर तैयारी शुरू कर दी है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इसके लिए यूपीडा सहित सभी संबंधित विभागों को 'मिशन मोड' में काम करने का निर्देश दिया है।
योगी ने दी थी हरी झंडी
29 जनवरी 2019 को योगी आदित्यनाथ ने गंगा की धारा के साथ 'गंगा एक्सप्रेसवे' के निर्माण को हरी झंडी दी थी। दो फेस में बनने वाले इस एक्सप्रेस की लंबाई 1020 किलोमीटर होगी जोकि अपने आप में कीर्तिमान है। यह देश का सबसे लंबा एक्सप्रेस वे होगा। 602 किलोमीटर के पहले फेज में यह मेरठ से अमरोहा, बुलंदशहर, बदायूं, शाहजहांपुर, कन्नौज, उन्नाव, रायबरेली, प्रतापगढ़ होते हुए प्रयागराज पहुंचेगा। वहीं दूसरे फेस में एक सेक्शन 110 किलोमीटर का होगा जोकि गढ़मुक्तेश्वर से उत्तराखंड बॉर्डर तक और एक सेक्शन 314 किलोमीटर का होगा जोकि प्रयागराज को बलिया से जोड़ेगा।
हरिद्वार से वाराणसी तक बढ़ाने की तैयारी
योगी सरकार गंगा एक्सप्रेस वे की लंबाई बढ़ाने की योजना पर काम कर रही है । गंगा एक्सप्रेस वे को प्रयागराज से बढ़ा कर वाराणसी और मेरठ से बढ़ा कर हरिद्वार तक करने की तैयारी है । मुख्यमंत्री योगी आदित्य नाथ ने एक्सप्रेस वे के विस्तार का प्रस्ताव तैयार करने के निर्देश जारी कर दिए हैं। विस्तार के प्रस्ताव पर मुहर लगने के बाद देश के सबसे लंबे गंगा एक्सप्रेस वे की लंबाई करीब 150 किलोमीटर तक बढ़ने की उम्मीद है । प्रयागराज से वाराणसी तक के विस्तार में गंगा एक्सप्रेस वे के जरिये पूर्वांचल और विंध्य क्षेत्र के कई जिलों में विकास की नई राह खुलना तय है । गंगा एक्सप्रेस वे वाराणसी के साथ मिर्जापुर, भदोही, सोनभद्र और चंदौली को भी जोड़ेगा।
इसके अलावा गंगा एक्सप्रेसवे छह लेन का होगा और भविष्य में इसे 8 लेन तक बढ़ाया जा सकता है। गंगा एक्सप्रेस-वे पर चलने वाले वाहनों की टॉप स्पीड 120 किमी प्रति घंटे तक सीमित रहेगी। यह परियोजना दिल्ली से प्रयागराज की यात्रा के मौजूदा 10-11 घंटे के समय को घटाकर सिर्फ 6 घंटे कर देगी।