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इस साल 4.9 करोड़ और लोग होंगे अत्यंत गरीब! लाखों बच्चों के विकास पर पड़ेगा असर: UN

Updated Jun 10, 2020 | 15:01 IST

कोरोना वायरस संकट की वजह से इस साल करोड़ों लोग गरीब हो जाएंगे। संयुक्त राष्ट्र ने कहा कि लाखों बच्चों के विकास अवरुद्ध हो जाएगा।

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दुनिया में और बढ़ेगी गरीबी
मुख्य बातें
  • संयुक्त राष्ट्र के महासचिव एंतोनियो गुतारेस ने दुनिया के आर्थिक संकट को लेकर चिंता जताई है
  • उन्होंने कहा कि कोविड-19 संकट ने हालात को बुरा बनाया है
  • उन्होंने कहा कि तत्काल कदम नहीं उठाए गए खाद्यान्न जोखिम बढ़ सकता है

संयुक्त राष्ट्र : कोविड-19 संकट की वजह से इस साल करीब 4.9 करोड़ और लोग अत्यंत गरीबी के गर्त में जा सकते हैं। इतना ही नहीं वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में हर एक प्रतिशत की गिरावट का असर लाखों बच्चों के विकास को अवरुद्ध करेगा। यह अंदेशा संयुक्त राष्ट्र के महासचिव एंतोनियो गुतारेस ने जताया है। उन्होंने देशों से वैश्विक खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए तत्काल कदम उठाने के लिए कहा है। गुतारेस ने चेतावनी दी कि यदि तत्काल कदम नहीं उठाए गए तो साफ है कि भीषण वैश्विक खाद्यान्न आपात स्थिति का जोखिम बढ़ रहा है। इसका दीर्घावधि में करोड़ों बच्चों और युवाओं पर असर हो सकता है।
 
82 करोड़ से ज्यादा लोग भुखमरी का शिकार

खाद्य सुरक्षा पर एक नीति जारी करते हुए उन्होंने मंगलवार को कहा कि दुनिया की 7.8 अरब आबादी को भोजन कराने के लिए पर्याप्त से अधिक खाना उपलब्ध है। लेकिन वर्तमान में 82 करोड़ से ज्यादा लोग भुखमरी का शिकार हैं। और पांच वर्ष की आयु से कम के करीब 14.4 करोड़ बच्चों का भी विकास नहीं हो है। हमारी खाद्य व्यवस्था ढह रही है और कोविड-19 संकट ने हालात को बुरा बनाया है।

करीब 4.9 करोड़ और लोग होंगे अत्यंत गरीबी का शिकार 

गुतारेस ने कहा कि इस साल कोविड-19 संकट के चलते करीब 4.9 करोड़ और लोग अत्यंत गरीबी का शिकार हो जाएंगे। खाद्य और पोषण से असुरक्षित लोगों की संख्या लगातार बढ़ रही है। वैश्विक जीडीपी में प्रत्येक प्रतिशत की गिरावट सात लाख अतिरिक्त बच्चों के विकास को अवरुद्ध करेगी। उन्होंने कहा कि प्रचुर मात्रा में खाद्यान्न वाले देशों में भी खाद्य आपूर्ति श्रृंखला बाधित हुई है।

देशों को खाद्य और पोषण सेवाएं अनिवार्य कर देना चाहिए

गुतारेस ने ‘तत्काल कार्रवाई’ करने की बात को दोहराया, ताकि इस महामारी के सबसे बुरे वैश्विक परिणामों को नियंत्रित किया जा सके। उन्होंने देशों से लोगों की जिंदगी और आजीविका बचाने के लिए काम करने को कहा। उन्होंने कहा कि देशों को उन जगहों पर ज्यादा काम करने की जरूरत है जहां सबसे ज्यादा जोखिम है। उन्होंने कहा कि इसका मतलब यह है कि देशों को खाद्य और पोषण सेवाओं को अनिवार्य कर देना चाहिए जबकि खाद्य क्षेत्र में काम करने वाले लोगों को पर्याप्त सुरक्षा उपलब्ध करानी चाहिए।
 

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