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Bad Bank : क्या है 'बैड बैंक', बजट 2021 में वित्त मंत्री को क्यों करना पड़ा यह उपाय

Updated Feb 02, 2021 | 11:11 IST

आर्थिक विशेषज्ञों का मानना है कि बैकों के एनपीए पर रोक लगाने के लिए 'बैड बैंक' एक अच्छा विचार है। इससे बैंकों को बढ़ते एनपीए के भार एवं दबाव से मुक्ति मिलेगी।

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तस्वीर साभार:&nbspPTI
क्या है 'बैड बैंक'।

नई दिल्ली : कोरोना महामारी से अर्थव्यवस्था को भारी नुकसान पहुंचा है। सरकार इस संकट के अर्थव्यवस्था को उबारने और उसे दोबारा पटरी पर लाने के लिए बीते एक साल में लाखो-करोड़ों रुपए का पैकेज जारी कर चुकी है। बैंकिंग क्षेत्र अर्थव्यवस्था का एक अहम घटक है लेकिन इसका नॉन परफॉर्मिंग असेट्स (एनपीए) लगातार बढ़ता गया है। बढ़ता एनपीए सरकार के लिए चिंता का विषय है। अब इस पर रोक लगाने के लिए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट 2021 में 'बैड बैंक' की व्यवस्था की है। वित्त मंत्री ने उम्मीद जताई है कि 'बैड बैंक' व्यवस्था से बैंकों का अपना एनपीए कम करने में मदद मिलेगी। 

क्या है 'बैड बैंक'
आर्थिक विशेषज्ञों का मानना है कि बैकों के एनपीए पर रोक लगाने के लिए 'बैड बैंक' एक अच्छा विचार है। इससे बैंकों को बढ़ते एनपीए के भार एवं दबाव से मुक्ति मिलेगी। गत मई में इंडियन बैंक एसोसिएशन (आईबीए) ने 'बैड बैंक' गठित करने के लिए आरबीआई एवं वित्त मंत्रालय को सुझाव दिया था। भारतीय उद्योग महासंघ (सीआईआई) भी एनपीए का बोझ हल्का करने के लिए 'बैड बैंक' बनाए जाने के पक्ष में है। 'बैड बैंक' बैंकों का बैलेंसशीट ठीक करने में मदद करता है। यह बैंक कर्जदाताओं एवं वित्तीय संस्थाओं के बैड लोन खरीदता है और उनकी एक निर्धारित समय में एनपीए को सुलझाता है। बैंक जब एनपीए के भार एवं दबाव से मुक्त हो जाते हैं तो वे ज्यादा सकारात्मक तरीके से नए ऋण के बारे में सोचते हैं। 

NPA को लेकर आरबीआई ने किया है आगाह
आरबीआई ने अपनी वित्तीय स्थिरता रिपोर्ट में बढ़ते एनपीए को लेकर आगाह किया है। आरबीआई का कहना है कि एनपीए जो सितंबर 2020 में 7.5 प्रतिशत था, वह सितंबर 2021 में बढ़कर 13.5 प्रतिशत पर पहुंच सकता है। ऐसा यदि होता है तो यह पिछले 22 वर्षों में सबसे ऊंचे स्तर पर होगा। इस एनपीए का भार केवल बैंकिंग प्रणाली पर ही नहीं बल्कि इसका दबाव अर्थव्यवस्था पर भी पड़ेगा।  कोरोना महामारी की वजह से कई कंपनियां एवं कर्जदार बैंकों को ब्याज एवं लेनदारी चुकाने में असमर्थ हुए हैं। ऐसे में आशंका है कि आने वाले दिनों में एनपीए में और वृद्धि होगी।  ॉ

बैंकों में 20,000 करोड़ रुपये की पूंजी डालेगी सरकार  
बैंकों का पूंजी बढ़ाने के लिए सरकार ने बजट 2021 में प्रावधान किए हैं। सरकार ने सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में 20,000 करोड़ रुपये की पूंजी डालने का फैसला किया है। पूंजी के मिलन से इन बैंकों को पूंजी संबंधी नियामकीय शर्तों को पूरा करनें में आसानी होगी। 2021-22 का बजट पेश करते हुए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि सरकार ने सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में 20,000 करोड़ रुपये की पूंजी डालने का प्रस्ताव किया है। वित्त वर्ष 2019-20 में सरकार ने सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में 70,000 करोड़ रुपये की पूंजी डालने का प्रस्ताव किया था।

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