- प्रत्यक्ष लाभ अंतरण (डीबीटी) एक सरकारी योजना है
- इसके तहत लाभार्थियों को करोड़ों रुपए के भुगतान किए गए
- इसके तहत बैंक खातों में 36,659 करोड़ रुपये डाले जा चुके हैं
नई दिल्ली: जरूरतमंदों को मदद पहुंचाने में डीबीटी कोरोना वायरस महामारी के दौरान एक बड़ा हथियार सामने उभरकर आया है। 24 मार्च 2020 से 17 अप्रैल 2020 तक की लॉकडाउन अवधि के दौरान डीबीटी प्रणाली के जरिये 16.01 करोड़ लाभार्थियों और जरूरतमंदों के बैंक खातों में 36,659 करोड़ रुपये डाले जा चुके हैं।
प्रत्यक्ष लाभ अंतरण (डीबीटी) एक सरकारी योजना क्या है?
प्रत्यक्ष लाभ अंतरण (डीबीटी) एक सरकारी योजना है। केंद्र सरकार द्वारा डीबीटी योजना की शुरुआत की गई । इस योजना के माध्यम से सरकार द्वारा प्रदान की जाने वाले सब्सिडी लाभ को चेक जारी करने, नकद भुगतान या सेवाओं अथवा वस्तुओं पर कीमत छूट प्रदान करने की बजाय सीधे लाभार्थी के खाते में स्थानांतरित यानी जमा करने का काम किया जाता है। इसके जरिए लाभार्थियों और जरूरतमंदों के बैंक खातों में सीधे रुपए डाले जाते हैं। कुल मिलाकर भारत सरकार का एक ऐसा पेमेंट सिस्टम जिसके तहत लोगों के बैंक खातों में सीधे सब्सिडी डाली जाती है। यह इसलिए शुरू की गई कि बैंक खातों में सब्सिडी जमा करने से देरी,कमियां आदि कई समस्याएं खत्म हो जाएंगी जिसका लाभ लाभार्थियों को हुआ है।
डीबीटी के तहत पैसे कैसे होते हैं ट्रांस्फर?
यह सब्सिडी लाभार्थियों (Beneficiaries) तक या तो उनके खाते में सीधे ट्रांसफर कर दिया जाता है। जब किसी भी योजना के तहत केंद्र सरकार सीधे तौर पर लाभार्थियों के खाते में पैसे ट्रांसफर करती है तो उसे ही 'डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर' कहा जाता है। क्योंकि योजना का सीधा लाभ योजना से जुड़े लाभार्थी को होता है। DBT योजना का सबसे बड़ा फायदा यह है कि इसमें किसी तरह के धोखाधड़ी की कोई गुंजाईश नहीं रहती है। क्योंकि यहां लाभार्थी के खाते में सरकार सीधे तौर पर पैसे ट्रांसफर करती है । इस प्रकार सरकारी योजना का पूरा फायदा लाभार्थी को मिल जाता है। डीबीटी से जहां एक तरफ नकद राशि सीधे लाभार्थी के खाते में जाती है वहीं गड़बड़ियों पर अंकुश लगता है और दक्षता बढ़ती है।
36,659 करोड़ रुपये से अधिक राशि 16.01 करोड़ लाभार्थियों को मिली
वित्त मंत्रालय की जारी विज्ञप्ति के अनुसार यह पैसा मजबूत डिजिटल भुगतान प्रौद्योगिकी लोक वित्त प्रबंधन प्रणाली (पीएफएमएस) के माध्यम से डीबीटी के जरिये सीधे लाभार्थियों के खाते में डाले गये हैं। यह राशि केंद्रीय योजनाओं/केंद्र प्रायोजित योजनाओं के अलावा राज्य सरकारों की योजनाओं के तहत दी गयी है। मंत्रालय के अनुसार कुल 36,659 करोड़ रुपये से अधिक राशि 16.01 करोड़ लाभार्थियों को कोरोना वायरस की रोकथाम के लिये जारी बंद (24 मार्च से 17 अप्रैल) के दौरान दिये गये।
कुल राशि में से 27,442 करोड़ रुपये केंद्र प्रायोजित योजनाओं और केंद्रीय योजनाओं के लिये तथा 9,717 करोड़ रुपये राज्य सरकार की विभिन्न योजनाओं के तहत डीबीटी माध्यम से कुल 16.01 करोड़ लाभार्थियों के खाते में डाली गई है।मंत्रालय के ब्योरे के अनुसार केंद्र प्रायोजित और केंद्रीय योजनाओं से जुड़े लाभार्थियों की संख्या 11.42 करोड़ जबकि राज्यों की विभिन्न योजनाओं से संबद्ध लाभार्थियों की संख्या 4.59 करोड़ रही। नकद अंतरण के जरिये भुगतान के लिये लेखा महानियंत्रक (सीजीए) के डिजिटल भुगतान प्रैद्योगिकी पीएफएमएस का उपयोग पिछले तीन वित्त वर्ष में काफी बढ़ा है। वर्ष 2018 में जहां डीबीटी के माध्यम से कुल राशि का वितरण 22 प्रतिशत था, वह बढ़कर 2019-20 में 45 प्रतिशत हो गया।
विभिन्न योजनाओं के तहत भुगतान
केंद्रीय या केंद्र प्रायोजित जिन योजनाओं के लिये डीबीटी माध्यम से भुगतान किया गया, उसमें पीएम किसान, महात्मा गांधी राष्ट्रीय रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा), राष्ट्रीय सामाजिक सहायता कार्यक्रम (एनएसएपी), प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना (पीएमएमवीवाई), राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (एनआरएलएम), राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन और राष्ट्रीय स्कॉलरशिप पोर्टल के जरिये विभिन्न मंत्रालयें की ‘स्कॉलरशिप’ योजना शामिल हैं।इसके अलावा प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना पैकेज के तहत घोषित नकद भुगतान भी प्रत्यक्ष लाभ अंतरण के जरिये किया जा रहा है। महिला जनधन खाताधारकों के खाते में 500-500 रुपये डाले जा रहे हैं। वित्तीय सेवा विभाग के आंकड़े के अनुसार 13 अप्रैल 2020 तक कुल 19.86 करोड़ महिला खाताधारकों के खाते में 9,930 करोड़ रुपये डाले गये हैं।
किसान सम्मान निधि के अंतर्गत कुल 17,733.53 करोड़ रुपये का भुगतान
मंत्रालय के अनुसार कोरोना वायरस के दौरान उत्तर प्रदेश, बिहार, मध्य प्रदेश, त्रिपुरा, महाराष्ट्र, जम्मू कश्मीर, आंध्र प्रदेश और अन्य राज्यों ने डीबीटी के माध्यम से लाभार्थियों के खाते में पैसे डाले हैं।आंकड़ों के अनुसार राज्य सरकारों ने पीएफएमएस का उपयोग कर 4.59 करोड़ से अधिक लाभार्थियों को 9,217.22 करोड़ रुपये का लाभ 24 मार्च से 17 अप्रैल के बीच दिया है।वित्त मंत्रालय के आंकड़े के अनुसार प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि (पीएम किसान योजना के अंतर्गत 8,43,79,326 लाभार्थिययों को कुल 17,733.53 करोड़ रुपये दिये गये हैं। इस योजना के तहत लाभार्थी किसानों को साल में 2,000 रुपये की तीन किस्तों में कुल 6,000 रुपये दिये जाते हैं।
मनरेगा के तहत 5,406.09 करोड़ रुपये का भुगतान
इसी प्रकार मनरेगा के तहत 1,55,68,86 लाभार्थियों को 5,406.09 करोड़ रुपये का भुगतान किया गया है। राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन के तहत 10,98,128 लाभार्थियों को 280.80 करोड़ रुपये तथा प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना के तहत 7,58,153 लाभार्थियों को 209.47 करोड़ रुपये का भुगतान किया गया है।
गौर हो कि एक अप्रैल 2015 से वित्त मंत्रालय ने डीबीटी के तहत भुगतान, लेखा और रिपोर्टिंग के लिये पीएफएमएस के उपयोग को अनिवार्य कर दिया था। उसने सभी मंत्रालयों और विभागों को यह सुनिश्चित करने को कहा था कि डीबीटी योजनाओं के तहत कोई भी भुगतान का प्रसंस्करण तब तक नहीं होगा जब तक ऐसे भुगतान के लिये इलेक्ट्रॉनिक भुगतान फाइल पीएफएमएस के जरिये प्राप्त नहीं हो।