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महंगाई का झटका! मार्च में 14.55 फीसदी पर पहुंच गई थोक महंगाई दर

Updated Apr 18, 2022 | 17:54 IST

Wholesale Inflation Data: भारत में आम जनता महंगाई की मार झेल रही है। मार्च में फरवरी के मुकाबले WPI और बढ़ गई।

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तस्वीर साभार:&nbspBCCL
महंगाई का झटका! मार्च में 14.55 फीसदी पर पहुंच गई थोक महंगाई दर
मुख्य बातें
  • पिछले साल मार्च में WPI मुद्रास्फीति 7.89 फीसदी थी।
  • मार्च में खुदरा मुद्रास्फीति बढ़कर 6.95 फीसदी हो गई।
  • इस महीने की शुरुआत में रिजर्व बैंक ने अपनी प्रमुख रेपो दर को स्थिर बनाए रखा।

Wholesale Inflation Data: सोमवार को सरकार ने थोक मूल्य-आधारित मुद्रास्फीति (Wholesale price-based Inflation, WPI) के आंकड़े जारी कर दिए हैं। सरकारी आंकड़ों के अनुसार मार्च में भारत की थोक मूल्य-आधारित मुद्रास्फीति इससे पिछले महीने फरवरी के 13.11 फीसदी से बढ़कर 14.55 फीसदी हो गई।

चार महीने के उच्च स्तर पर WPI 
थोक मूल्य आधारित मुद्रास्फीति मार्च में चार महीने के उच्च स्तर पर पहुंच गई है। कच्चे तेल (Crude Oil) और कमोडिटी की कीमतों में तेजी आने से इसमें इजाफा हुआ। हालांकि इस दौरान देश में सब्जियों की कीमतों में कमी देखी गई।

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कम हुई खाद्य वस्तुओं की मुद्रास्फीति
सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, अप्रैल 2021 से WPI मुद्रास्फीति लगातार 12वें महीने दोहरे अंकों में बनी हुई है। आखिरी बार WPI का ऐसा स्तर नवंबर 2021 में दर्ज किया गया था। तब मुद्रास्फीति 14.87 फीसदी थी। पिछले महीने खाद्य वस्तुओं की मुद्रास्फीति फरवरी में 8.19 फीसदी से कम होकर 8.06 फीसदी हो गई। सब्जियों की महंगाई दर फरवरी में 26.93 फीसदी के मुकाबले 19.88 फीसदी थी।

पिछले महीने इसलिए बढ़ी महंगाई दर
वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि, 'मार्च 2022 में मुद्रास्फीति की उच्च दर मुख्य रूप से क्रूड पेट्रोलियम और नेचुरल गैस, मिनरल ऑयल, धातुओं आदि की कीमतों में वृद्धि की वजह से हुई। रूस और यूक्रेन संकट (Russien Ukraine War) की वजह से वैश्विक आपूर्ति प्रभावित हुई है।'

विनिर्मित वस्तुओं की मुद्रास्फीति मार्च में 10.71 फीसदी रही, जबकि फरवरी में यह 9.84 फीसदी थी। ईंधन और बिजली की बात करें, तो महीने के दौरान इसकी मूल्य वृद्धि की दर 34.52 फीसदी थी। कच्चे पेट्रोलियम की मुद्रास्फीति मार्च में बढ़कर 83.56 फीसदी हो गई, जो फरवरी में 55.17 फीसदी थी।

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