- भारत अपनी तेल जरूरतों का 80 फीसदी से अधिक आयात करता है।
- घरेलू ऑटो ईंधन की दरें 4 नवंबर से स्थिर बनी हुई हैं।
- अगर रूस और यूक्रेन के बीच संकट लंबा चलता है, तो भारत को खाना पकाने के तेल की कीमतों में बढ़ोतरी का सामना करना पड़ सकता है।
Petrol Price, Diesel Price: उत्तर प्रदेश और पंजाब सहित पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव खत्म होने के बाद अब आम जनता के मन में बड़ा सवाल खड़ा हो गया है कि देश में पेट्रोल और डीजल की कीमत (Petrol and Diesel Price) कब और कितनी बढ़ेगी। केंद्र सरकार द्वारा तेल विपणन कंपनियों (OMCs) को अंडर-रिकवरी में मदद करने के लिए पेट्रोल और डीजल की कीमतों में जल्द बढ़ोतरी की अनुमति देने की संभावना नहीं है।
मेटल और फर्टिलाइजर की कीमतें भी हैं चिंता का विषय
आधिकारिक सूत्रों का हवाला देते हुए, ToI ने बताया कि कच्चे तेल की कीमतें (Crude Oil Price) सरकार के लिए एक प्रमुख चिंता का विषय बनी हुई हैं। रूस-यूक्रेन युद्ध (Russia Ukraine War) के कारण मेटल और फर्टिलाइजर की कीमतों में वृद्धि भी सरकार के लिए महत्वपूर्ण चिंता का क्षेत्र है। एक वरिष्ठ अधिकारी के हवाले से कहा गया कि, 'पूरा ध्यान ईंधन की कीमतों पर है लेकिन ऐसे अन्य क्षेत्र हैं जहां हमें समान ध्यान देने की जरूरत है।'
विशेषज्ञों का मानना है कि भारत खुदरा मुद्रास्फीति का सामना कर रहा है, जो भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की 6 फीसदी की टॉलरेंस सीमा से ऊपर है। उल्लेखनीय है कि तेल की कीमतों में वृद्धि से घरेलू बजट और खपत पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ने की संभावना है। साथ ही, यह कोविड-19 महामारी (Covid-19) के सबसे खराब दौर के बाद अपनी अर्थव्यवस्था (Indian Economy) को पटरी पर लाने के देश के प्रयासों पर भी ब्रेक लगाएगा। धातु और अन्य वस्तुओं की कीमतों में वृद्धि भी आपूर्ति की कमी पैदा करने के अलावा मुद्रास्फीति को बढ़ाने के लिए बाध्य है।
क्या ईंधन पर टैक्स कम करेगी सरकार?
इससे पहले, खबरें सामने आई थीं कि तेल कंपनियों ने सरकार को बताया था कि पेट्रोल और डीजल की कीमत में 10 से 12 रुपये प्रति लीटर की कीमत में बढ़ोतरी की जरूरत है। हालांकि, राजस्व के प्रभाव के कारण केंद्र कम से कम वित्तीय वर्ष से पहले यानी 31 मार्च तक ईंधन पर टैक्स को कम करने के मूड में नहीं है।
खाने के तेल में भी हुई बढ़ोतरी
एल्युमीनियम, निकल और अन्य धातुओं की कीमतों में वृद्धि से ऑटोमोबाइल, इलेक्ट्रॉनिक सामान और यहां तक कि नवीकरणीय ऊर्जा उद्योगों जैसे तैयार माल की लागत में वृद्धि हो सकती है। इसके अलावा, सरकार को खाद्य तेल (Edible Oil) के वैकल्पिक स्रोतों को देखना चाहिए क्योंकि यूक्रेन से सूरजमुखी तेल (Sunflower Oil) की आपूर्ति युद्ध से प्रभावित हुई है। आंकड़ों से पता चलता है कि कई खाद्य तेलों की कीमतों में वृद्धि हुई है, बढ़ती कीमतों से मुद्रास्फीति बढ़ रही है और आम आदमी की जेब पर असर पड़ रहा है।
सब्सिडी बिल में होगी वृद्धि!
फर्टिलाइजर की कीमतों में वृद्धि से केंद्र के सब्सिडी बिल में भी वृद्धि होगी। भोजन, फर्टिलाइजर, घरेलू रसोई गैस (LPG Gas Cylinder) और मिट्टी के तेल (Kerosene) पर केंद्र की सब्सिडी चालू वित्त वर्ष में 5.96 लाख करोड़ रुपये आंकी गई है, जो प्रारंभिक बजट अनुमान से 2.5 गुना अधिक है क्योंकि सरकार ने महामारी के दौरान गरीबों की मदद करने के लिए मुफ्त में अतिरिक्त खाद्यान्न वितरित किया है।