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Wholesale inflation rate : थोक महंगाई दर 4.5 साल के निचले स्तर पर लेकिन फूड प्राइस में हुई वृद्धि

Updated Jun 15, 2020 | 19:54 IST

WPI inflation rate : थोक मूल्य सूचकांक (डब्ल्यूपीआई) आधारित मुद्रास्फीति मई में 3.21% घट गई। एक साल पहले इसी माह में इसमें 2.79% की वृद्धि हुई थी।

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थोक महंगाई दर में गिरावट
मुख्य बातें
  • थोक कीमतों में मई में 3.21% की गिरावट हुई
  • मई में विनिर्मित प्रोडक्ट्स में 0.42% की गिरावट देखी गई
  • फाइनल इंडेक्स अगले महीने जारी किया जाएगा

नई दिल्ली: देश में थोक कीमतों में मई में 3.21% की गिरावट देखी गई, क्योंकि ईंधन और बिजली की कीमतों में तेज गिरावट आई, यहां तक कि खाद्य पदार्थ भी महंगे हो गए। कॉमर्स एंड इंडस्ट्री मंत्री ने एक बयान में कहा कि थोक मूल्य सूचकांक (WPI) पर आधारित मुद्रास्फीति की वार्षिक दर, मई 2020 के लिए (-) 3.21 प्रतिशत (प्रोविजनल) पिछले वर्ष के इसी महीने के दौरान 2.79 प्रतिशत की थी। मई के दौरान खाद्य पदार्थों की महंगाई दर 1.13 प्रतिशत रही, जबकि अप्रैल में यह 2.55 प्रतिशत थी। ईंधन और पावर में, अपस्फीति मई में 19.83 प्रतिशत थी, जबकि पिछले महीने में 10.12 प्रतिशत थी। मई में विनिर्मित उत्पादों में 0.42 प्रतिशत की गिरावट देखी गई। ईंधन और बिजली क्षेत्र की मांग में भारी गिरावट के चलते मई माह में थोक मूल्य सूचकांक (WPI) आधारित महंगाई दर साढ़े चार साल के न्यूनतम स्तर पर पहुंच गई और इस दौरान अवस्फीति 3.21% रही। हालांकि, इस दौरान खाद्य जिंसों के दाम बढ़े हैं। अवस्फीति, मुद्रास्फीति के ठीक उलट है। यह वह स्थिति है जब मुद्रा का मूल्य बढ़ता है यानी कीमतें घटती हैं।

वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के सोमवार को जारी वक्तव्य के मुताबिक डब्ल्यूपीआई ने नवंबर 2015 के बाद का सबसे निचला स्तर छुआ है। उस समय अवस्फीति 3.7%  थी। मंत्रालय के वक्तव्य में कहा गया है कि मासिक डब्लयूपीआई के आंकड़ों पर आधारित मुद्रास्फीति की सालाना दर मई 2020 में शून्य से नीचे 3.2%  (अस्थाई आंकड़ा) रही है। एक साल पहले इसी माह में यह 2.79% (स्फीति) रही थी। हालांकि, मई 2020 के दौरान खाद्य जिंसों में मुद्रास्फीति 1.13%  रही जबकि एक महीना पहले अप्रैल में इस समूह की मुद्रास्फीति 2.55% रही थी।

आंकड़ों के अनुसार दलहनों में थोक मुद्रास्फीति मई में भी लगातार दहाई अंक में 11.91% पर बनी रही जबकि एक महीना पहले अप्रैल में यह 12.31% पर थी। आलू की मुद्रास्फीति 52.25%  रही जबकि इसके विपरीत सब्जियों के दाम में 12.48 प्रतिशत की अवस्फीति रही। अंडे, मांस और मछली जैसे प्रोटीन युक्त वस्तुओं की मुद्रास्फीति मई में 1.94%  रही।

सरकार द्वारा खुदरा स्तर पर जुटाये पिछले सप्ताह जारी आंकड़ों के मुताबिक मई माह में खाद्य मुद्रास्फीति 9.28% बढ़ी है। इनमें दलहन, मांस और मछली, तेल और वसा के दाम अधिक तेजी से बढ़े। जहां तक ईंधन और बिजली समूह की बात है इस समूह में मई माह में इसमें अवस्फीति 19.83% रही जबकि एक महीना पहले भी यह 10.12% (अवस्फीति) रही थी। विनिर्मित उत्पादों के समूह में भी मई के दौरान 0.42% की अवस्फीति रही।

सरकार ने 25 मार्च से देशभर में लॉकडाउन लागू कर दिया था। इस दौरान बाजार से पूरे आंकड़े नहीं जुटाये जा सके इसीलिये मंत्रालय ने अप्रैल 2020 के लिए थोक मूल्य सूचकांक के पूरे आंकड़े जारी नहीं किये थे। इस दौरान खाद्य, प्राथमिक वस्तुओं और ईंधन एवं बिजली समूह के ही आंकड़े जारी किये गये।
बहरहाल, मंत्रालय ने अपने देशभर में फैले कार्यालयों से कहा है कि वह इलेक्ट्रानिक उपकरणों के जरिये मूल्य आंकडे जुटायें और अप्रैल के अंतिम लिये आंकड़े अब अगले महीने जारी किये जायेंगे।

इस बीच, मार्च में थोक मुद्रास्फीति 0.42% रही जबकि 14 अप्रैल को अस्थाई आंकड़े में इसके 1% रहने की बात कही गई थी। इक्रा की प्रधान अर्थशास्त्री अदिति नायर ने कहा कि कच्चा तेल जैसे कुछ जिंसों के दाम में तेजी से आने वाले समय थोक मुद्रास्फीति में गिरावट थमेगी, वहीं खाद्य वस्तुओं के दाम पर दबाव कम होने का संकेत है। इससे खुदरा खाद्य वस्तुओं की महंगाई दर नरम होगी।

उन्होंने कहा कि हमारा मानना है कि मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) मुद्रास्फीति को काबू में रखने के बजाए फिलहाल आर्थिक गतिविधियों में तेजी लाने पर ध्यान देगी। वैसे भी महंगाई दर निकट भविष्य में नरम रहेगी। नायर ने कहा कि इसीलिए हमारा अनुमान है कि एमपीसी अगली बैठक में रेपो दर में 0.25% की और कटौती करेगी। रिजर्व बैंक ने पिछले महीने रेपो दर में 0.4% की कटौती की थी। इस कटौती के बाद नीतिगत दर 4% के अबतक के न्यूनतम स्तर पर आ गई है।

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