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PPF Vs ELSS: पीपीएफ और ईएलएसएस दोनों के जरिए कर सकते हैं बचत, जानें कौन है बेहतर विकल्प

Updated Jul 04, 2020 | 10:09 IST

public provident fund and Equity-linked Saving Schemes: बचत के इन दोनों विकल्पों पर अगर गौर करें तो एक बात साफ है कि दोनों बेहतर विकल्प हैं और यह एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति की जरूरत पर निर्भर करता है।

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पीपीएफ और ईएलएसएस के जरिए कर सकते हैं बचत
मुख्य बातें
  • पीपीएफ और ईएलएसएस दोनों के जरिए बचत की जा सकती है।
  • पीपीएफ और ईएलएसएस दोनों में 1.5 लाख तक के निवेश पर मिलती है सेक्शन 80सी के तहत मिलती है छूट
  • पीपीएफ और ईएलएसएस दोनों बचत स्कीम लेकिन दायरा अलग अलग

नई दिल्ली। सामान्य तौर पर कहा जाता है कि आप की इनकम जितनी भी बचत करने की आदत डालें। दरअसल बचत से आपको फायदा यह होता है कि मुश्किल दिनों में आप को किसी के सामने हाथ फैलाने की जरूरत नहीं पड़ती है। अब बचत की तमाम सारी स्कीम हैं जिसमें पीपीएफ और ईएलएसएस(Equity-linked Saving Schemes) प्रमुख हैं। अब इन दोनों विकल्पों में कौन सा विकल्प आप के लिए बेहतर है इसे समझना  जरूरी है। पीपीएफ और ईएलएसएस दोनों के जरिए सेक्शन 80 सी में डेढ़ लाख तक डिडक्शन के लिए आप योग्य होते हैं। लेकिन इन दोनों स्कीम में आप के लिए बेहतर क्या हो सकता है इसे समझने की आवश्यकता है। 

क्या है पीपीएफ
अगर बात पीपीएफ की करें तो निश्चित तौर पर यह हर किसी वर्ग में लोकप्रिय है। यह एक तरह से डेब्ट प्रोडक्ट है जिसमें आप को तयशुदा रकम मिलने के साथ ही यह एग्जेंप्ट,एग्जेंप्ट और एग्जेंप्ट यानि की ईईई टैक्स रिजीम में आता है। इसका अर्थ यह है कि अगर आप डेढ़ लाख तक किसी वित्तीय वर्ष में निवेश करते हैं तो आप को टैक्स नहीं देना होगा। इसके साथ ही आप को उस राशि पर जो ब्याज मिलेगा वो मूलधन के साथ टैक्स फ्री(निकासी के समय) होता है। 
क्या है ईएलएसएस
ईलएसएस एक म्यूचुअल फंड है जिसमें इक्विटी और और दूसरे इंस्ट्रूमेंट्स जुड़े होते हैं। ईएलएसएस में भी 1.5 लाख तक का निवेश टैक्स फ्री है। लेकिन ईएलएसएस में अगर एल लाख से अधिक का कैपिटल गेन्स हो तो उस पर 10 प्रतिशत की दर से टैक्स लगता है।



पीपीएफ और ईएलएसएस में फर्क
बड़ी बात यह है कि पीपीएफ और ईएलएसएस का दोनों के जरिए बचत की जा सकती है। लेकिन दोनों का दायरा अलग अलग है लिहाजा सीधे तौर पर तुलना करना उचित नहीं है।सिंघल और अग्रवाल सीएम फर्म के रिषभ सिंघल कहते हैं कि पीपीएफ में फिक्स्ड रेट ऑफ इंटरेस्ट मिलता है और वो 7.1 फीसद के करीब होता है। इसलिए जो लोग ज्यादा जोखिम नहीं उठाने के साथ साथ लंबे समय तक निवेश प्रक्रिया का हिस्सा बनना चाहते हैं उनके लिए पीपीएफ बेहतर विकल्प है। जहां तक ईएलएसएस की बात है यह उनके लिए जो रिस्क उठाना चाहते हैं। इसमें अगर बुद्धिमानी से निवेश किया जा सकता है, रिटर्न बेहतर होने के साथ लॉक इन पीरियड पीपीएफ से कम होता है। 

वृद्धि फाइनेंसियल सर्विस के फाइनेंसियल एडवाइजर प्रशांत पंडित कहते हैं कि अगर उनकी मानें तो किसी भी शख्स को नौकरी मिलते ही उसे पीपीएफ खाता खोल देना चाहिए भले ही उसकी इनकम टैक्स के दायरे आए या ना आए। यह 15 साल के लॉक ईन पीरियड की वजह से जरूरी हो जाता है।  

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