लाइव टीवी

निवेशकों को आकर्षित करने के लिए DDT को खत्म करने का प्रस्ताव, 25,000 करोड़ सालाना राजस्व की प्राप्ति

Updated Feb 01, 2020 | 19:53 IST

Budget 2020-21 में सरकार ने निवेशों को आकर्षित करने के लिए डिविडेंड डिस्ट्रिब्यूशन टैक्स (DDT) को खत्म करने का प्रस्ताव रखा है। 

Loading ...

नई दिल्ली : वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट 2020-21 पेश कर दिया है। इस बार बजट में कई चीजें ऐतिहासिक हुई हैं। टैक्स स्लैब में ऐतिहासिक बदलाव किया गया है वहीं रिपोर्ट के मुताबिक वित्त मंत्री सीतारमण ने अब तक का सबसे लंबा बजट स्पीच दिया है, जो पूरे दो घंटे 40 मिनट का था। 

इस बजट सरकार ने निवेशकों को आकर्षित करने के लिए डिविडेंड डिस्ट्रिब्यूशन टैक्स को खत्म करने का प्रस्ताव रखा है। भारतीय इक्विटी बाजार को और आकर्षित करने बनाने तथा निवेशकों के बड़े वर्ग को राहत प्रदान करने के लिए वित्त मंत्री लाभांश वितरण कर को हटाने और लाभांश कराधान की क्लासिकल प्रणाली को अपनाने का प्रस्ताव लेकर आई है।

इस प्रावधान के तहत कंपनियों को डीडीटी का भुगतान करने की आवश्यकता नहीं होगी। लाभांश पर कर केवल प्राप्तकर्ताओं के हाथों में उनकी लागू दर पर ही लगाया जाएगा। यह भी तर्क दिया गया है कि डीडीटी के उद्ग्रहण की प्रणाली के परिणामस्वरुप निवेशकों के कर भार में वृद्धि होती है, विशेषकर उनके लिए जिनकी लाभांश आय को उनकी आय में शामिल किया जाए तो उन्हें डीडीटी की दर से कम दर पर कर देना होता है। डीडीटी का उन्मूलन वास्तव में उद्योग की मदद करेगा, जिसमें पहले 20.35% के प्रभावी डीडीटी का भुगतान करना पड़ता था।

क्या होता है डिविडेंड डिस्ट्रिब्यूशन टैक्स
इसके अतिरिक्त अधिकांश विदेशी निवेशकों को उनके अपने देश में डीडीटी की अनुपलब्धता होने के परिणामस्वरुप उनके लिए इक्विटी पूंजी पर लाभ की दर में कमी आएगी। बता दें कि डिविडेंड डिस्ट्रिब्यूशन टैक्स उस राशि को कहते हैं तो कंपनी फायदा होने पर अपने शेयरहोल्डर्स को देती है। शेयर होल्डर्स को कंपनी की ओर से मिलने वाले डिविडेंड पर लगने वाले टैक्स को डिविडेंड डिस्ट्रिब्यूशन टैक्स कहा जाता है।

डीडीटी हटाए जाने से क्या प्रभाव पड़ेगा
डीडीटी को हटाए जाने से 25,000 करोड़ रुपए का अनुमानित वार्षिक राजस्व प्राप्त होगा। यह एक और साहसिक कदम है जिससे भारत निवेश के लिए एक आकर्षक गंतव्य बनेगा। यह कदम कंपनियों द्वारा मुनाफे के अधिक वितरण को प्रोत्साहित करेगा, जिससे शेयरधारकों की क्रय शक्ति भी बढ़ेगी। 

घोषणा करते हुए, वित्त मंत्री ने कहा कि अब लाभांश प्राप्तकर्ताओं के हाथों में लगाया जाएगा। डीडीटी को 1997 में आयकर व्यवस्था का हिस्सा बनाया गया था, लगभग 21 साल से अधिक समय तक। डीडीटी के पीछे मुख्य विचार घरेलू कंपनियों के शेयरों में निवेश को प्रोत्साहित करना था।

डीडीटी हटाने से बाजार खुश होगा और निवेश आकर्षक होगा। नीति में बदलाव के परिणामस्वरूप, सरकार 25,000 करोड़ रुपये के राजस्व का भुगतान करेगी।

Times Now Navbharat पर पढ़ें Business News in Hindi, साथ ही ब्रेकिंग न्यूज और लाइव न्यूज अपडेट के लिए हमें गूगल न्यूज़ पर फॉलो करें ।