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IEC 2022: ऐतिहासिक सस्ती दरों पर हाउसिंग लोन, रियल एस्टेट के लिए अच्छा समय-केकी मिस्त्री

Updated Apr 22, 2022 | 13:48 IST

IEC 2022: इंडिया इकोनॉमिक कॉन्क्लेव में HDFC के वाइस चेयरमैन और सीईओ केकी मिस्त्री ने कहा कि पिछले 5 या 10 सालों में बैंकिंग सेक्टर का आकार बढ़ा है। एचडीएफसी बैंक और एचडीएफसी के मर्जर से शेयरधारकों को फायदा होगा।

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मुख्य बातें
  • केकी मिस्त्री ने IEC 2022 में 'भारत के ग्रोथ साइकल को कैसे अनलॉक करें' टॉपिक पर फायरसाइड चैट की।
  • मिस्त्री से पहले मंच पर सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया के सीईओ अडार पूनावाला भी आए थे।
  • मुद्रास्फीति भी उच्च आय से प्रेरित होती है और आय में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है: केकी मिस्त्री।

IEC 2022: टाइम्स नेटवर्क के इंडिया इकोनॉमिक कॉन्क्लेव 2022 के दूसरे दिन, 22 अप्रैल 2022 को हाउसिंग डेवलप्मेंट फाइनेंस कॉर्पोरेशन (HDFC) के वाइस चेयरमैन और सीईओ केकी मिस्त्री (Keki Mistry) ने शिरकत की। केकी मिस्त्री ने कहा कि, 'कोरोना वायरस महामारी ने हाउसिंग की मांग को बढ़ा दिया है। रियल एस्टेट सेक्टर में भारी वृद्धि देखी गई है। साल 2017 से 2020 तक भी हाउसिंग में वृद्धि थी, लेकिन यह मुख्य रूप से टियर 2 और टियर 3 शहरों में थी। मुंबई, दिल्ली, बंगलुरु जैसे टीयर 1 शहरों में वृद्धि थोड़ी कम थी, खासकर उन जगहों पर, जहां कीमतें अधिक थीं।'

कोविड ने सब कुछ बदल दिया है और लोगों को पता लगा है कि प्रॉपर्टी के लिए अफॉर्डेबिलिटी में सुधार हुआ है। मुंबई में साल 2017 में आपने जिस कीमत पर प्रॉपर्टी खरीदी, साल 2020 में भी उसकी कीमत उतनी ही थी। लेकिन इस 3 साल की अवधि में लोगों की इनकम बढ़ी है। इसलिए आय में वृद्धि होने की वजह से संपत्ति को खरीदने का सामर्थ्य बढ़ा। ऐसे में सेक्टर में ज्यादा सप्लाई का डर भी दूर हो गया। इसलिए ज्यादा से ज्यादा लोग घर खरीदना चाह रहे थे। जब प्रॉपर्टी की कीमतें कम होती हैं, तब लोग घर नहीं खरीदते हैं, लेकिन जब आप देखते हैं कि कीमतें बढ़ रही हैं, तो वे खरीदना शुरू करते हैं। यह सभी उद्योग में होता है।

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सीमित समय के लिए की गई थी स्टांप ड्यूटी में कटौती
स्टांप ड्यूटी में कटौती बहुत सीमित समय के लिए की गई थी। शायद अक्टूबर 2020 से मार्च 2021 (लगभग 6 महीने) के लिए। यह 5 फीसदी से कम होकर 2 फीसदी हो गई थी। कोरोना काल में ब्याज दर में काफी कमी आई है। हाउसिंग लोन पर इतना कम ब्याज इतिहास में कभी नहीं था। अगर यह 25 बीपीएस, 50 बीपीएस या 75 बीपीएस ऊपर भी चली जाए, फिर भी यह उस ब्याज दर से कम होगी, जिसे भारत में पहले लोग चुकाते थे।

जमीन नहीं, बल्कि मैन्युफैक्चरिंग प्रोडक्ट्स की बढ़ रही कीमतें
प्रॉपर्टी की वैल्यू में जमीन की करीब 70 फीसदी हिस्सेदारी होती है। इस समय जमीन की कीमतें नहीं बढ़ रही हैं बल्कि मैन्युफैक्चरिंग प्रोडक्ट्स, जैसे सीमेंट, स्टील, लेबर, पेंट, आदि में महंगाई बढ़ी है। भारत में लोगों के लिए, अपना घर होना किसी भी परिवार के लिए सबसे महत्वपूर्ण है। एक घर के मालिक होने से आपको संतुष्टि तो मिलती है ही, साथ ही सुरक्षा भी मिलती है। पहली बार घर खरीदने वालों की औसत आयु 38 साल या 39 साल होती है। मुझे घरों की मांग में संरचनात्मक वृद्धि दिखाई देती है।

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सरकार और केंद्रीय बैंक की तारीफ
जिस गति से भारतीय अर्थव्यवस्था ने वापसी की है, वह शानदार है। इसका श्रेय भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) और सरकार को जाता है। आरबीआई ने सुनिश्चित किया है कि हमेशा पर्याप्त लिक्विडिटी रहे। ब्याज दरों को नीचे लाया गया है। मुझे लगता है कि हमने अर्थव्यवस्था को बहुत अच्छे से संभाला है। खपत मजबूत रही है और आगे भी मजबूत बनी रहेगी।

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