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'अगला सितारा यहां से आ सकता है', उभरते हुए क्रिकेटरों के लिए चिंतित बॉम्बे हाईकोर्ट, BCCI से ये काम करने को कहा

Updated Jul 04, 2022 | 15:44 IST

Bombay High Court on Budding Cricketers: बॉम्बे हाईकोर्ट ने बीसीसीआई को उभरते हुए क्रिकेटरों को मूलभूत सुविधाएं देने को कहा है। हाईकोर्ट ने जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए यह बात कही।

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तस्वीर साभार:&nbspPTI
सांकेतिक फोटो

मुंबई: बंबई उच्च न्यायालय ने भारतीय क्रिकेट बोर्ड (बीसीसीआई), महाराष्ट्र क्रिकेट संघ (एमसीए) और राज्य अधिकारियों को सोमवार को सार्वजनिक मैदानों पर शौचालय, पीने के पानी और चिकित्सा सहायता जैसी मूलभूत सुविधाएं मुहैया कराने की हिदायत देते हुए कहा कि ‘‘आपका अगला बड़ा सितारा इन सार्वजनिक मैदानों’’ से आ सकता है। न्यायमूर्ति अनिल मेनन और एमएस कार्णिक की पीठ ने कहा कि कई बच्चे और वयस्क राज्य भर में सार्वजनिक मैदानों पर क्रिकेट और अन्य खेल खेलते हैं। क्रिकेट संघों या नागरिक निकायों के अंतर्गत आने वाले इन मैदानों में से अधिकांश में मूलभूत सुविधाओं का अभाव है।

बीसीसीआई और एमसीए दोनों के आंतरिक मेमोरेंडम में ट्रेनिंग शिविर या क्रिकेट को बढ़ावा देने के लिए ऐसे स्थलों पर मूलभूत सुविधाएं मुहैया कराने का नियम है जहां क्रिकेट का खेल खेला जा रहा हो। पीठ बंबई उच्च न्यायालय के वकील राहुल तिवारी की जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही थी। इस मामले में पक्ष (मामले में अपना ही प्रतिनिधित्व कर रहे) के रूप में निजी तौर पर मौजूद तिवारी ने अदालत से कहा कि वह स्वयं भी पेशेवर क्रिकेट खिलाड़ी थे और उन्होंने विभिन्न राज्य और जिला स्तर के क्रिकेट टूर्नामेंट में हिस्सा लिया।

तिवारी ने कहा, ‘‘जब कोई अभ्यास के लिए एक सार्वजनिक मैदान बुक करता है तो उसे नागरिक निकाय या उस खेल संघ को शुल्क देना पड़ता है जिसके अधिकार क्षेत्र में मैदान आता है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘लेकिन इनमें से अधिकतर मैदान, यहां तक कि जहां पेशेवर क्रिकेट शिविर आयोजित किए जाते हैं, वहां पीने का साफ पानी या खिलाड़ियों द्वारा इस्तेमाल किए जा सकने योग्य शौचालय तक नहीं हैं।’’ हालांकि एमसीए और बीसीसीआई के वकीलों ने उच्च न्यायालय को बताया कि राज्य के अधिकांश सार्वजनिक मैदान नगर निकायों के अधिकार क्षेत्र में आते हैं।

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उन्होंने आगे कहा कि ऐसे मामलों में भी जहां उन्होंने शिविर या अभ्यास मैच आयोजित किए, बुनियादी सुविधाएं प्रदान करने की अनुमति अक्सर संबंधित नागरिक निकाय या राज्य के अधिकारियों द्वारा अस्वीकार कर दी गई थी। लेकिन इस पर पीठ ने कहा कि ऐसा बयान स्वीकार्य नहीं  है। अदालत ने एमसीए और बीसीसीआई से कहा, ‘‘क्या आपने कभी आवेदन किया है और फिर अनुमति देने से इनकार किया गया है? एक हलफनामा दायर करें।’’

पीठ ने कहा, ‘‘यह कोई विरोधात्मक मुकदमा नहीं है क्योंकि आपको अपना अगला सितारा सार्वजनिक मैदान से मिल सकता है। इतने होनहार बच्चे सार्वजनिक मैदान पर खेल रहे हैं।’’ अदालत ने यह भी कहा कि क्रिकेट संघ और बृहन्मुंबई नगर निगम (बीएमसी) बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध नहीं कराने के कारण के रूप में धन की कमी का हवाला नहीं दे सकते। पीठ ने कहा कि महाराष्ट्र सरकार, बीएमसी, एमसीए और बीसीसीआई को दो सप्ताह के भीतर अपने-अपने हलफनामे दाखिल करने चाहिए जिसमें यह बताया गया हो कि उनके अधिकार क्षेत्र में कितने मैदान हैं और वहां क्या सुविधाएं उपलब्ध कराई गई हैं।

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