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Chtan Chauhan Cricket Career: खेल हो या राजनीति, हर दम फ्रंटफुट पर आकर खेले चेतन चौहान

Updated Aug 17, 2020 | 08:19 IST

Chetan Chauhan Cricket Career: चेतन चौहान भारतीय खेल जगत की उन शख्सियतों में से एक थे जिन्होंने खेल के साथ साथ राजनीति में भी सफलता हासिल की। ऐसा रहा उनका क्रिकेट और राजनीतिक करियर।

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चेतन चौहान Chetan Chauhan

नई दिल्ली: भारत के पूर्व टेस्ट क्रिकेटर चेतन चौहान का कोरोना के कारण रविवार को निधन हो गया वो 72 वर्ष के थे। उन्होंने गुरुग्राम के मेदांता अस्पताल में अंतिम सांस ली। साल 1969 में टेस्ट डेब्यू करने वाले चेतन चौहान ने करियर में 40 टेस्ट खेले और 31 की औसत से 2084 रन बनाए। वो भारत के उन चुनिंदा क्रिकेट खिलाड़ियों में से एक थे जिन्होंने खेल के साथ-साथ राजनीति के मैदान में भी अपना परचम लहराया। 

टेस्ट क्रिकेट में भारत के सबसे बहादुर ओपनर्स में से एक रहे चेतन चौहान ने 22 साल की उम्र में न्यूजीलैंड के खिलाफ मुंबई में अपने करियर की शुरुआत की थी। उन्हें मास्टर ब्लास्टर सुनील गावस्कर के साथ सत्तर और अस्सी के दशक में की साझेदारियों के लिए हमेशा याद किया जाएगा। गावस्कर और चौहान की जोड़ी भारत की सर्वकालिक ओपनर्स की जोड़ी में से एक है। दोनों ने दस शतकीय साझेदारियां निभाईं। चेतन चौहान के खेल की अपनी तकनीकी सीमाएं थीं और वो खुलकर शॉट्स नहीं खेल पाते थे लेकिन उनके साहस पर कभी कोई सवाल नहीं खड़ा कर सका। उनका डिफेंस और गेंद की लाइन में खेलने की क्षमता उन्हें एक बेहतरीन ओपनर बनाती थीं। 

न्यूजीलैंड के खिलाफ की करियर की शुरुआत 
उन्हें आउट कर पाना बेहद मुश्किल काम था। उनके धैर्य और जिद जैसे गुणों के कारण 1969 से 1981 तक उन्होंने भारत को 40 टेस्ट मैच में अच्छी शुरुआत दी। उन्होंने साल 1969 में 22 साल की उम्र में न्यूजीलैंड के खिलाफ मुंबई में टेस्ट करियर की शुरुआत की थी। उसी सीजन उन्हें ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ खेलने का भी मौका मिला। उन्हें साल 1972-73 में इंग्लैंड के खिलाफ दो टेस्ट मैच की सीरीज के लिए टीम में शामिल किया गया था। उनके करियर का सबसे बेहतरीन दौर 1977-78 में शुरू हुआ जब उन्हें ऑस्ट्रेलिया दौरे के लिए टीम में शामिल किया गया। 

साल 1979 में ओवल में गावस्कर के साथ चेतन चौहान ने 213 रन की शानदार साझेदारी की। दोनों ने मिलकर विजय मर्चेंट और मुश्ताक अली की 203 रन की साझेदारी का रिकॉर्ड तोड़ दिया। उन्होंने 1936 में मैनचेस्टर के ओल्ड ट्रैफर्ड मैदान पर ये साझेदारी की थी। इस साझेदारी में चौहान ने 80 रन का योगदान किया था। वो दुर्भाग्यशाली रहे की टेस्ट करियर में कोई शतक नहीं जड़ सके। वो टेस्ट क्रिकेट इतिहास के पहले खिलाड़ी थे जिन्होंने बगैर शतक के 2 हजार से ज्यादा रन बनाए। 

घरेलू क्रिकेट में शानदार है रिकॉर्ड 
टेस्ट क्रिकेट में सीमित सफलता के बीच घरेलू क्रिकेट में उनका शानदार रिकॉर्ड रहा। उन्होंने रणजी ट्रॉफी में महाराष्ट्र और दिल्ली की टीमों का प्रतिनिधित्व किया। 179 प्रथम श्रेणी मैचों की 299 पारियों में 22 बार नाबाद रहते हुए उन्होंने 40.22 की औसत से 11,143 रन बनाए। इसमें 21 शतक और 59 अर्धशतक शामिल थे। 207 रन उनका सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन रहा। अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट से संन्यास लेने के बाद वो नॉर्थ जोन के चयनकर्ता भी रहे। इसके बाद भाजपा की टिकट से दो बार अमरोहा सीट से लोकसभा सांसद भी चुने गए।

ऐसा रहा शुरुआती जीवन 
उत्तर प्रदेश में जन्म लेने के बाद वो पिता के साथ 1960 में पुणे चले गए। पिता फौज में अधिकारी थे इसलिए उनके ट्रांसफर होते रहते थे। उन्होंने पुणे के वाडिया कॉलेज से ग्रेजुएशन किया। उस दौरान उन्होंने महाराष्ट्र के पूर्व खिलाड़ी कमल भंडारकर से क्रिकेट की कोचिंग ली। चौहान को पुणे विश्वविद्यालय की टीम की तरफ से साल 1966-67 में रोहिंटन बारिया ट्रॉफी में खेलने का मौका मिला। 

इस तरह खुले टीम इंडिया के दरवाजे 
पुणे विश्वविद्यालय के लिए शानदार प्रदर्शन करने के बाद वो विज्जी ट्ऱॉफी के लिए वेस्ट जोन की टीम में चुन लिए गए। उन्होंने उसमें नॉर्थ जोन के खिलाफ 103 रन की पारी खेली। इसके बाद फाइनल में साउथ जोन के खिलाफ 88 और 63 रन बनाए। इस मैच की दूसरी पारी में उनके ओपनिंग पार्टनर सुनील गावस्कर थे। विज्जी ट्रॉफी में शानदार प्रदर्शन ने उन्हें महाराष्ट्र की रणजी टीम में जगह दिला दी। इसमें उन्होंने पहला शतक एक साल बाद जड़ा। लेकिन बारिश से प्रभावित मैच में उनकी टीम ने 52 रन पर 6 विकेट गंवा दिए थे उस स्थिति में उनकी शतकीय पारी की बहुत तारीफ हुई थी।  इसके बाद दलीप ट्रॉफी के फाइनल में पांच टेस्ट गेंदबाजों का सामना करते हुए उन्होंने साउथ जोन के खिलाफ शतक(103) जड़ दिया। इसके साथ ही उनके लिए टीम इंडिया के दरवाजे भी खुल गए। 

राजनीतिक सफर
क्रिकेट प्रशासन में काम करते हुए चेतन चौहान ने राजनीति की ओर भी अपने कदम बढ़ा लिए। डीडीसीए में काम करते हुए दिवंगत अरुण जेटली के संपर्क में रहते हुए उन्होंने भाजपा का दामन थामा और दो बार अमरोहा से लोकसभा के लिए चुने गए। उन्हें हालांकि उन्हें लोकसभा चुनावों में हार का सामना भी करना पड़ा। तीन साल पहले उत्तर प्रदेश में भाजपा की जीत के बाद उन्हें योगी आदित्यनाथ के मंत्रिमंडल में खेल मंत्री के रूप में जगह मिली थी। वर्तमान में उनके पास सैनिक कल्याण, होमगार्ड, पीआरडी और नागरिक सुरक्षा मंत्रालय की जिम्मेदारी थी। 

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