- भारत ने 2016 आईसीसी वर्ल्ड टी20 के मैच में बांग्लादेश को 1 रन से मात दी थी
- महेंद्र सिंह धोनी ने आखिरी गेंद पर दौड़कर मुस्ताफिजुर रहमान को रनआउट किया था
- हार्दिक पांड्या ने बांग्लादेश को आखिरी ओवर में 11 रन बनाने से रोक दिया था
बेंगलुरु: बेंगलुरु के एम चिन्नास्वामी स्टेडियम पर रोमांच की हदें पार हो चुकी थी। भारत और बांग्लादेश के बीच आज से ठीक चार साल पहले यानी 2016 में आईसीसी वर्ल्ड टी20 का मुकाबला खेला गया था, जिसमें आखिरी गेंद तक ड्रामा चला और तीसरे अंपायर की मदद से मैच का नतीजा निकला था। बांग्लादेश की टीम टी20 इंटरनेशनल मैच में पहली बार भारत को मात देने के करीब थी। उसे तीन गेंदों में दो रन की दरकार थी। बांग्लादेश के पास तीन विकेट भी थे। मशरफे मुर्तजा के नेतृत्व वाली बांग्लादेश की टीम इस मुकाबले में 147 रन का पीछा कर रही थी। मेहमान टीम को जीत के लिए आखिरी 6 गेंदों में 11 रन की दरकार थी। भारतीय टीम की कमान एमएस धोनी के हाथों में थी, जिन्होंने आखिरी ओवर में अनोखा दांव खेला और गेंद युवा हार्दिक पांड्या को थमाई। यह मैच क्रिकेट फैंस लंबे समय तक नहीं भूल सकते।
बांग्लादेश ने भारत को बल्लेबाजी का दिया न्योता
23 मार्च 2016 को बेंगलुरु के एम चिन्नास्वामी स्टेडियम पर बांग्लादेश के कप्तान मशरफे मुर्तजा ने टॉस जीतकर भारत को पहले बल्लेबाजी के लिए आमंत्रित किया। भारतीय बल्लेबाजों ने शुरुआत हासिल की, लेकिन कोई बड़ा स्कोर नहीं बना पाया। सुरेश रैना (30) टीम के सर्वश्रेष्ठ स्कोरर रहे। भारत ने निर्धारित 20 ओवर में 7 विकेट खोकर 146 रन बनाए। बांग्लादेश की तरफ से मुस्ताफिर रहमान और अल अमीन हुसैन ने दो-दो जबकि शाकिब अल हसन, महमुदुल्लाह और शुवाग्ता होम को एक-एक विकेट मिला।
टीम इंडिया की शानदार गेंदबाजी
147 रन का पीछा करने उतरी बांग्लादेश की शुरुआत रविचंद्रन अश्विन ने बिगाड़ी। मगर तमीम इकबाल (35) ने सब्बीर रहमान (26) और शाकिब अल हसन (22) के साथ साझेदारियां करके बांग्लादेश को लक्ष्य के करीब पहुंचाया। गेंदबाजों ने नियमित अंतराल में विकेट निकालकर भारतीय टीम की वापसी कराई और मैच का नतीजा अंतिम ओवर तक के लिए ढकेल दिया।
ड्रामा, ड्रामा और सिर्फ ड्रामा
बांग्लादेश को अंतिम ओवर में जीत के लिए 11 रन की दरकार थी। क्रीज पर अनुभवी मुश्फिकुर रहीम और महमुदुल्लाह जमे हुए थे। बांग्लादेश ने भारत को तगड़ा झटका देने की तैयारी कर ली थी। एमएस धोनी नाजुक स्थितियों में बोल्ड फैसले लेने के लिए जाने जाते हैं। उन्होंने हार्दिक पांड्या को गेंद थमाई। पांड्या की पहली गेंद पर महमुदुल्लाह ने एक रन लिया। फिर मुश्फिकुर रहीम ने अगली दो गेंदों में लगातार दो चौके जमाकर बांग्लादेश की जीत लगभग पक्की कर दी।
चौका जमाते ही मुश्फिकुर रहीम ने जीत का जश्न मनाना शुरू कर दिया था। मगर 3 गेंदों का मुकाबला बाकी था, इस पर उनका ध्यान ही नहीं गया। बांग्लादेश को जीत के लिए 3 गेंदों में 2 रन की जरुरत थी जबकि उसके 3 विकेट शेष थे। इसके बाद जो हुआ, उसे आत्महत्या करना कहना गलत नहीं होगा। रहीम और महमुदुल्लाह ने अगली दो गेंदों में गैर-जिम्मेदाराना शॉट खेलकर अपने विकेट गंवा दिए। रोमांच की हदें पार हो चुकी थी।
बांग्लादेश को जीत के लिए आखिरी गेंद पर 2 रन की जरुरत थी। सुपर ओवर के लिए 1 रन बनाना भी ठीक होता। शुवाग्ता होम स्ट्राक पर थे। धोनी ने तब तक एक ग्लव अपनी कमर में रखा और एक ग्लव के सहारे फील्डिंग करने लगे। हार्दिक पांड्या ने ऑफ स्टंप के बाहर शॉर्ट लेंथ की गेंद डाली। होम इस गेंद पर बल्ला नहीं अड़ा सके। दूसरे छोर पर खड़े मुस्ताफिजुर रहमान 1 रन लेने के लिए दौड़ पड़े। वहीं विकेट के पीछे चुस्त धोनी ने गेंद लपकी और तेजी से दौड़ते हुए स्टंप्स पर हाथ मार दिया।
भारतीय टीम जश्न मनाने लगी, लेकिन एक प्रतिशत संदेह इस बात का था कि कहीं मुस्ताफिजुर रनआउट नहीं हुए तो मुकाबला सुपर ओवर में चला जाएगा। सभी की नजरें बड़ी स्क्रीन पर लगी हुई थी। थर्ड अंपायर को अपना फैसला सुनाना था। स्क्रीन पर जैसे ही आउट का संकेत आया, तो भारतीय टीम के सभी खिलाड़ी और मैदान में मौजूद दर्शक खुशी से झूम उठे। भारत ने टूर्नामेंट में बांग्लादेश का सफर समाप्त किया और अपनी उम्मीदें जीवित रखी। यह टी20 में भारतीय क्रिकेट इतिहास के सबसे रोमांचकारी मैचों में से एक रहा।