लाइव टीवी

जब शीशा घुसने से एक आंख की रोशनी गई, उसके बाद और खतरनाक बल्लेबाज बन गया ये भारतीय

Updated Jan 05, 2020 | 11:34 IST | टाइम्स नाउ डिजिटल

Happy Birthday Mansur Ali Khan Pataudi: भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान मंसूर अली खान पटौदी का आज ही के दिन 1941 में जन्म हुआ था। उन्होंने देश का सबसे युवा टेस्ट कप्तान होने का गौरव हासिल किया था।

Loading ...
तस्वीर साभार:&nbspTwitter
मंसूर अली खान पटौदी

नई दिल्ली: अक्सर क्रिकेटरों को कामयाबी तब मिलती है जब वो अपनी जिंदगी का काफी अरसा पिच पर गुजारते हैं। वहीं, कुछ खिलाड़ी ऐसे भी होते हैं जिन्हें कामयाबी तो हासिल हो जाती है मगर शोहरत नहीं मिलती। लेकिन एक खिलाड़ी क्रिकेट की दुनिया में ऐसा भी था जिसे बहुत कम उम्र में ही सफलता और शोहरत दोनों मिली। यह क्रिकेट कोई और नहीं बल्कि भारतीय टीम के कप्तान रह चुके मंसूर अली खान पटौदी थे। आज उनका जन्मदिन है। पटौदी का जन्म 5 जनवरी 1941 को भोपाल में एक नवाब खानदान में हुआ था। उन्हें टाइगर पटौदी और नवाब पटौदी के नाम से भी जाना जाता था।

20 वर्ष की उम्र में क्रिकेट करियर शुरुआत करने वाले पटौदी ने महज 21 साल की उम्र में भारतीय टीम की कमान संभाली थी। उन्होंने भारत के लिए 1961 से 1975 के बीच क्रिकेट खेला। पटौदी देश का सबसे युवा टेस्ट कप्तान होने का गौरव हासिल किया था। उनकी गिनती भारत के सबसे बेहतरीन टेस्ट कप्तानों में की जाती है। उन्होंने 46 टेस्ट मैच खेले। उन्होंने 34.91 की औसत से कुल 2783 रन बनाए। इस दौरान उन्होंने 6 शतक और 16 अर्धशतक जमाए। टेस्ट क्रिकेट में उनका सर्वोच्च स्कोर नाबाद 203 रन है। उनका 22 सितंबर 2011 को फेफड़ों के संक्रमण की वजह से निधन हो गया था। 

जब शीशा घुसने से गई एक आंख की रोशनी

टाइगर पटौदी उम्र जब 11 साल थी तब उनके पिता इफ्तिखार अली खान पटौदी की मौत हो गई थी। इसके बाद मंसूर इंग्लैंड चले गए। वहां रहकर उन्होंने पढ़ाई की और क्रिकेट खेला। वह शुरू से ही जबरदस्त प्लेयर थे। वह मैदान पर खड़े होने के बाद गेंदबाज़ों के पसीने छुड़ा देते। 20 साल की उम्र में इंग्लैंड में घरेलू मैच खेलते थे।लेकिन इंग्लैंड में हुए एक कार एक्सीडेंट ने उनकी पूरी जिंदगी को बदला दिया। एक्सीडेंट इतना भीषण था कि कार का शीशा उनकी दाईं आंख में जा घुसा। एक आंख खराब होने के बाद उन्होंने अपनी जिंदगी के छह महीने बिस्तर पर गुजारे। 

हालांकि, उन्होंने हिम्मत नहीं हारी और अपने हौसले को बरकरार रखा। एक आंख की रोशनी गंवाने के बाद डॉक्टरों ने पटौदी को क्रिकेट खेलने से मना कर दिया था। लेकिन पटौदी इरादे के पक्के थे। उन्होंने एक्सीडेंट के पांच महीने बाद भारत के लिए अपने टेस्ट करियर का आगाज किया। यह मैच 1961 में इंग्लैंड के खिलाफ दिल्ली में खेला गया था। 

बल्लेबाजी करते वक्त पटौदी को दो गेंदें दिखाई देती थीं। मगर उन्होंने जल्द ही इसका भी हल निकाल लिया। उन्होंने फैसला किया वह उस गेंद पर शॉट मारेंगे जो अंदर की तरफ नजर आती है। इतना ही नहीं बल्लेबाजी के दौरान वह अपनी टोपी से दाईं आंख को छुपा लेते थे जिससे उन्हें एक ही गेंद दिखाई दे। पटौदी ने 40 टेस्ट मैचों में भारत की कप्तानी की। इसमें 9 टेस्टों में भारत को जीत मिली जबकि 19 बार हार का सामना करना पड़ा।

देश और दुनिया की ताजा ख़बरें (Hindi News) अब हिंदी में पढ़ें | क्रिकेट (Cricket News) की खबरों के लिए जुड़े रहे Timesnowhindi.com से | आज की ताजा खबरों (Latest Hindi News) के लिए Subscribe करें टाइम्स नाउ नवभारत YouTube चैनल