लाइव टीवी

भारत के उस जेंटलमेन क्रिकेटर का है जन्मदिन, खेल भावना के लिए लगाया था हार को गले 

Updated Feb 12, 2021 | 08:38 IST

भारत के सर्वकालिक महान बल्लेबाजों में से एक गुंडप्पा विश्वनाथ आज अपना 72वां जन्मदिन मना रहे हैं। उनकी पहचान दुनिया के ऐसे खिलाड़ियों में है जिन्होंने खेल भावना के लिए हार को भी गले लगा लिया।

Loading ...
गुंडप्पा विश्वनाथ(साभार ICC)
मुख्य बातें
  • गुंडप्पा विश्वनाथ आज अपना 72वां जन्मदिन मना रहे हैं
  • भारत के लिए खेले 91 टेस्ट मैच और 24 वनडे
  • डेब्यू टेस्ट मैच में ऑस्टेलिया के खिलाफ जड़ा था शतक

नई दिल्ली: अगर आप किसी भी पुराने भारतीय क्रिकेट प्रशंसक से पूछे कि सबसे अधिक खेल भावना के साथ क्रिकेट खेलने वाला भारतीय खिलाड़ी कौन है तो वो सबसे गुंडप्पा विश्वनाथ का नाम लेगा। भारत के लिए 91 टेस्ट और 25 वनडे खेलने वाले विश्वनाथ को अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट को अलविदा कहे 38 साल हो गए हैं लकिन आज भी मैदान पर उनकी ईमानदारी और खेल भावना की मिसाल दी जाती है। 

12 फरवरी 1949 को मैसूर के निकट भडारवती में जन्मे गुंडप्पा रंगनाथ विश्वनाथ आज अपना 72वां जन्मदिन मना रहे हैं। उन्हें सत्तर अस्सी के दशक के भारत के सबसे बेहतरीन खिलाड़ियों में से एक माना जाता है। जिस तरह सुनील गावस्कर उस दौर में सर्वश्रेष्ठ ओपनर थे तो गुंडप्पा मध्यक्रम की बल्लेबाजी की रीढ़। 

गुंडप्पा विश्वनाथ एक कलाकार की तरह बल्लेबाजी करते थे। कलाई से खेले जाने वाले उनके शॉट्स का हर कोई कायल था। वो स्पिन और तेज गेंदबाजी के सामने बराबर मजबूती से बल्लेबाजी करने में सक्षम थे। वो गेंद का आखिरी समय तक इंतजार करते थे लेटकट शॉट खेलने में उन्हे महारथ हासिल थी। उनके रिकॉर्ड्स उनकी प्रतिभा का सही परिचय नहीं देते हैं लेकिन उन्हें आज भी भारत के सर्वकालिक महान खिलाड़ियों में गिना जाता है। 

ऐसा रहा अंतरराष्ट्रीय करियर 
विश्वनाथ ने अपने करियर की शुरुआत कानपुर में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ साल 1969 में की थी और अपने डेब्यू टेस्ट में शतक जड़ने का कारनामा कर दिखाया था। इसके बाद उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा। करियर में खेले 91 टेस्ट में उन्होंने 41.93 की औसत से 6080 रन बनाए। इस दौरान उन्होंने 14 शतक और 35 अर्धशतक जड़े। उनका सर्वाधिक स्कोर 222 रन रहा। वहीं भारत के लिए खेले 25 वनडे मैच में वो 19.95 की औसत से 439 रन बना सके। उन्होंने साल 1983 में कराची में पाकिस्तान के खिलाफ टेस्ट खेलकर क्रिकेट को अलविदा कहा। 

खेल से ज्यादा खेलभावना रही सर्वोपरि 
विश्वनाथ की पहचान एक ऐसे खिलाड़ी की रही जिसने मैदान पर हमेशा खेल भावना को सर्वोपरी रखा और कभी चीटिंग नहीं की। उन्हें अपने करियर में दो बार टीम की कमान संभालने का मौका मिला। साल 1979-80 में इंग्लैंड के बल्लेबाज बॉब टेलर को उन्होंने मुंबई में खेले गए गोल्डन जुबली टेस्ट के दौरान अंपायर के आउट दिए जाने के बावजूद वापस बुला लिया था। वाकया ऐसा था कि भारतीय टीम उस मैच की पहली पारी में इयान बॉथम की घातक गेंदबाजी के आगे 242 रन बनाकर ढेर हो गई थी। इसके जवाब में भारतीय टीम ने शानदार वापसी करते हुए कपिल देव की घातक गेंदबाजी की बदौलत 58 रन पर इंग्लैंड के पांच खिलाड़ियों को पवेलियन भेज दिया था। इसके बाद  इयान बॉथम और विकेटकीपर बल्लेबाज बॉब टेलर मोर्चा संभाले थे।

बॉब टेलर को वापस बुलाने का फैसला पड़ा था भारी
ऐसे में कपिल देव की एक गेंद बॉब टेलर के बल्ले के करीब से लगकर विकेटकीपर के दस्तानों में समा गई। ऐसे में गेंदबाज सहित अन्य खिलाड़ियों ने अपील की तो अंपायर हनुमंत राव ने बॉब को आउट करार दिया। लेकिन उस वक्त गुंडप्पा जहां खड़े थे वहां से साफ दिख रहा था कि गेंद बॉब टेलर के बल्ले पर नहीं पैड पर लगी थी। ऐसे में गुंडप्पा ने टेलर से पूछा गेंद उनके बैट में लगी थी तो उन्होंने ना में जवाब दिया और टीम की कमान संभाल रहे गुंडप्पा ने ये सुनकर अंपायर से उन्हें वापस बुला लेने को कहा। 

टेलर और बॉथम ने के बीच हुई 171 रन की साझेदारी
गुंडप्पा ने ये निर्णय तो लिया लेकिन इसके बाद बॉथम और बॉब टेलर के बीच छठे विकेट के लिए हुई 171 रन की साझेदारी ने इंग्लैंड को संकट से उबार दिया। हालांकि इस साझेदारी में इयान बॉथम का बड़ा योगदान था। उनके 114 रन की शतकीय पारी खेलकर आउट होने पर यही ये साझेदारी खत्म हुई। इसके बाद टेलर 43 रन बनाकर कपिल की ही गेंद पर एलबीडब्लू हुए। इंग्लैंड की टीम ने 54 रन की बढ़त पहली पारी में 296 रन बनाने में सफल रही। इसके बाद भारतीय टीम दूसरी पारी में भी महज 158 रन बनाकर ढेर हो गई और अंत में इंग्लैंड ने विजयी लक्ष्य को आसानी से हासिल करके 10 विकेट से जीत हासिल की। बॉथम ने इस मैच में कुल 13 विकेट लिए और शतक जड़ा था। 

विश्वनाथ उस दौर में भारत के सबसे अधिक पॉपुलर क्रिकेटर थे। गावस्कर भले ही उनसे ज्यादा रन बनाते और शतक जड़ते लेकिन विवादों से दूर रहने और कम बोलने वाले विश्वनाथ का बल्ला बोलता था। उन्होंने शतक से ज्यादा भारत की जीत की वरीयता दी। उनके लिए खेल और व्यक्तिगत उपलब्धियों से ज्यादा खेल भावना की अहमियत थी कि खेल सही तरह से खेला जाए। 
  

देश और दुनिया की ताजा ख़बरें (Hindi News) अब हिंदी में पढ़ें | क्रिकेट (Cricket News) की खबरों के लिए जुड़े रहे Timesnowhindi.com से | आज की ताजा खबरों (Latest Hindi News) के लिए Subscribe करें टाइम्स नाउ नवभारत YouTube चैनल