- मुंबई में साल 2009 में सगवाह ने खेली थी 293 रन की पारी
- दूसरे दिन नाबाद 284 रन बनाकर पवेलियन लौटे थे सहवाग
- अगले दिन तिहरे शतक से 7 रन दूर बने थे मुथैया मुरलीधरन का शिकार
नई दिल्ली: 'नजफगढ़ के नवाब' के नाम से मशहूर भारत के पूर्व सलामी बल्लेबाज वीरेंद्र सहवाग को आज भी उनकी विस्फोटक बल्लेबाजी के लिए याद किया जाता है. दुनिया का दिग्गज से दिग्गज गेंदबाज उनके सामने गेंद डालने से घबराता था क्योंकि अपने दिन सहवाग दुनिया के किसी भी गेंदबाज की बल्ले से बखिया उधेड़ने की काबीलियत रखते थे.
तीसरे तिहरे शतक से 7 रन के अंतर से गए थे चूक
सहवाग को इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता था कि परिस्थितियां कैसी हैं और उनके सामने कौन गेंदबाजी कर रहा है. वो सिर्फ और सिर्फ अपने जाने पहचाने अंदाज में बल्लेबाजी करते थे. फिर चाहे परिणाम कुछ भी निकले. इसी वजह से उनका नाम टेस्ट क्रिकेट में दो तिहरा शतक जड़ने वाले चुनिंदा बल्लेबाजों की सूची में दर्ज है. सहवाग करियर में तीसरी बार तिहरा शतक पूरा करने के करीब पहुंचे थे लेकिन महज 7 रन के अंतर से इतिहास में अपना नाम दर्ज कराने से चूक गए थे.
दूसरे दिन 284* रन बनाकर लौटे थे पवेलियन
साल 2009 में मुंबई में श्रीलंका के खिलाफ सहवाग तिहरे शतक के मुहाने पर थे. लेकिन राहुल द्रविड़ ने उनसे कहा कि वो अपना तिहरा शतक पूरा करने के लिए जल्दबाजी न करें और अगले दिन उसे पूरा करें. श्रीलंका के दिग्गज स्पिनर मुथैया मुरलीधरन भी उस टेस्ट मैच का हिस्सा थे. उस दिन नाबाद 284* रन बनाकर पवेलियन लौटने वाले सहवाग को अगले दिन मुथैया मुरलीधरन ने 293 रन पर आउट करके तिहरा शतक पूरा करने से रोक दिया था.
नहीं माननी चाहिए थी द्रविड़ की सलाह
ऐसे में मुरलीधरन ने खुलासा किया है कि सहवाग ने इसके बाद उनसे कहा था कि मुझे राहुल द्रविड़ की सलाह नहीं माननी चाहिए थी और दूसरे ही दिन उनके खिलाफ अटैक करके तिहरा शतक पूरा कर लेना चाहिए था. मुरलीधरन ने इस घटना के बारे में बताया, मुझे याद है कि वो मुंबई में 290 रन बनाकर खेल रहा था और द्रविड़ ने उससे कहा कि आराम से खेले तुम अगले दिन तिहरा शतक पूरा कर सकते हो. अगले दिन उसने ऐसा करने की कोशिश की लेकिन लपके गए. इसके बाद उसने(सहवाग) ने मुझसे कहा मुझे द्रविड़ की बात कभी नहीं सुननी चाहिए थी और तुम्हारे खिलाफ आक्रमण करना चाहिए था.'
बेहद खतरनाक बल्लेबाज थे सहवाग
मुरली ने आगे कहा, सहवाह मेरी गेंदबाजी को अच्छी तरह पढ़ लेता था और उसे पहले से ही मालूम चल जाता था कि मैं क्या करने वाला हूं. हालांकि वो ये कहता था कि मैं उनकी गेंदों को पढ़ तो नहीं पाता हूं लेकिन अन्य खिलाड़ियों की तुलना में मैं तुम्हारी गेंदों को अलग तरीके से खेलता हूं. वो बेहद खतरनाक था और ये बात मैं कई बार कह चुका हूं.'
सहवाग की 293 रन की धमाकेदार पारी की बदौलत उस मैच में भारत ने 726 रन का विशाल स्कोर खड़ा किया था. श्रीलंका ने इससे पहले अपनी पारी में 393 रन बनाए थे. हालांकि दूसरी पारी में 309 रन पर ढेर होने के बावजूद श्रीलंकाई टीम ने भारत को जीत हासिल करने से रोक दिया था.