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खिलाड़ी वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाकर महान बनते हैं..लेकिन इन जनाब का सामान पैक कर दिया गया - जानिए अजीब वजह

Updated May 28, 2021 | 07:30 IST

Jimmy Matthews world record and career, Cricket Throwback, 28th May: क्रिकेट इतिहास में कई खिलाड़ियों ने विश्व रिकॉर्ड बनाए लेकिन शायद ही कोई हुआ जिसका बोरिया-बिस्तर बांध दिया गया था

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Cricket Throwback 28th May (Twitter)
मुख्य बातें
  • कौन हैं ऑस्ट्रेलिया के जिम्मी मैथ्यूज?
  • एक दिन में दो टेस्ट हैट्रिक का विश्व रिकॉर्ड बनाया
  • उसके बाद किस्मत ने नहीं दिया साथ

खेल की दुनिया में विश्व रिकॉर्ड बनाना एक ऐसी सफलता होती है जिसके दम पर आप लंबे समय तक अपनी जगह पक्की करने में सफल हो जाते हैं। खासतौर पर क्रिकेट जगत में, जहां रिकॉर्ड्स और आंकड़े के मायने हर कदम पर खिलाड़ी के साथ रहते हैं। आज के दिन (28 मई) क्रिकेट में एक ऐसा रिकॉर्ड बना था जो इतना बड़ा था कि आज 109 साल बाद भी कोई उस रिकॉर्ड की बराबरी नहीं कर सका। लेकिन उस रिकॉर्ड के साथ दो ऐसी बातें भी जुड़ी हैं जो किसी को भी चौंकाने के लिए काफी हैं।

आज से ठीक 109 साल पहले यानी 1912 में ऑस्ट्रेलियाई क्रिकेटर जिमी मैथ्यूज ने एक हैरतअंगेज रिकॉर्ड बना डाला था। क्रिकेट के मैच में जहां गेंदबाज एक हैट्रिक लेने के लिए पूरा जोर लगा देते हैं और किस्मत के दम पर उनको बमुश्किल करियर में एक हैट्रिक नसीब होती है, वहीं जिमी मैथ्यूज ने एक ही दिन में दो हैट्रिक ले डाली थीं, वो भी टेस्ट क्रिकेट में।

एक दिन में दो हैट्रिक का वर्ल्ड रिकॉर्ड

साल 1912 में तीन देशों के बीच टेस्ट क्रिकेट का त्रिकोणीय टूर्नामेंट खेला गया था। उस 9 टेस्ट मैचों के टूर्नामेंट में ऑस्ट्रेलिया, इंग्लैंड और दक्षिण अफ्रीका की टीमें आमने-सामने थीं। उस सीरीज में दो दिवसीय मुकाबले हुए थे। टूर्नामेंट के पहले मैच ऑस्ट्रेलिया और दक्षिण अफ्रीकी टीमों की भिड़ंत हुई। ओल्ड ट्रैफर्ड (मैनचेस्टर, इंग्लैंड) के मैदान पर खेले गए इस मैच में ऑस्ट्रेलियाई लेग स्पिनर जिमी मैथ्यूज ने आज के दिन एक नहीं दो बार हैट्रिक लेकर सबको चौंका दिया।

ऑस्ट्रेलिया ने पहले बैटिंग करते हुए 448 रन बनाए। मैच के दूसरे दिन जिमी मैथ्यूज ने दक्षिण अफ्रीका की पहली पारी में लगातार 3 विकेट लिए (3/16) और दक्षिण अफ्रीकी टीम 265 रन पर ढेर हो गई। इसके बाद वे फॉलोऑन खेलने को मजबूर हुए और जिमी मैथ्यूज ने एक दिन में दूसरी बार फिर हैट्रिक लेकर सबको चौंका दिया। इस दूसरी पारी में उन्होंने 38 रन देकर 3 विकेट लिए। दक्षिण अफ्रीका 95 रन पर ढेर हो गई और ऑस्ट्रेलिया ने 88 रन से मैच जीत लिया।

पहली चौंकाने वाली बात - बिना फील्डर की मदद के हैट्रिक !

जिमी मैथ्यूज ने एक दिन में दो हैट्रिक लेकर सबको चौंका दिया था। लेकिन इस दिन सिर्फ यही एकमात्र चौंकाने वाली बात नहीं थी। दरअसल, जिमी मैथ्यूज की इन दोनों हैट्रिक में फील्डरों का कोई योगदान नहीं था, उन्होंने दोनों हैट्रिक अपने दम पर ही हासिल की थीं। इन छह विकेटों में दो बल्लेबाजों को बोल्ड किया, दो शिकार LBW के जरिए किए और दो विकेट अपनी ही गेंद पर कैच (caught and bowled) लेकर झटके। ऐसा क्रिकेट इतिहास में कभी देखने को नहीं मिला जब किसी गेंदबाज ने दो हैट्रिक ली हों और दोनों में एक भी विकेट में किसी ग्राउंड फील्डर या विकेटकीपर का योगदान ना रहा हो।

दूसरी चौंकाने वाली बात - बोरिया बिस्तर बांध दिया गया

एक दिन में दो हैट्रिक और फील्डरों के बिना दोनों हैट्रिक लेना, सिर्फ यही बातें नहीं थीं जिन्होंने सबको हैरान किया। बल्कि कुछ ऐसा भी होना बाकी था जो सवाल आज तक क्रिकेट इतिहास के सबसे अजीबोगरीब सवालों में शुमार है। दरअसल, विश्व रिकॉर्ड बनाकर दुनिया को हैरान करने वाले जिमी मैथ्यूज को उनके ऐतिहासिक प्रदर्शन के बावजूद इस टूर्नामेंट के खत्म होते ही टीम से बाहर कर दिया गया। टीम प्रबंधन ने उनका सामान पैक करा दिया और ये सवाल इसलिए और बड़ा हो गया क्योंकि उसके बाद मैथ्यूज की कभी दोबारा टीम में वापसी तक नहीं हुई। यानी जिस खिलाड़ी ने किसी टूर्नामेंट में सबसे बड़ा विश्व रिकॉर्ड बनाया हो, वही टूर्नामेंट उसके अंतरराष्ट्रीय करियर का अंतिम टूर्नामेंट साबित हो गया।

अब सवाल आता है कि उनको क्यों बाहर किया, तो इसके पीछे की वजह भी उनके करियर की तरह गायब हो गई। किसी भी क्रिकेट अधिकारी ने उन दिनों जिमी के करियर पर ऑन रिकॉर्ड प्रतिक्रिया देने से इनकार कर दिया था, बस वजह ये जाहिर करने की कोशिश की गई थी कि हैट्रिक वाले मैच के अलावा बाकी मैचों में ऑलराउंडर के रूप में वो खास कमाल नहीं कर सके।

कौन थे जिमी मैथ्यूज? जनवरी में करियर शुरू, अगस्त में खत्म

थॉमस जेम्स मैथ्यूज, जिनको बाद में जिमी मैथ्यूज बुलाया जाने लगा, उनका जन्म दक्षिण ऑस्ट्रेलिया के माउंट गैम्बियर में 3 अप्रैल 1884 को हुआ था। जब वो ऑस्ट्रेलिया की तरफ से मैदान पर पहली बार उतरे थे, तो उनको क्रिकेट जगत के सर्वश्रेष्ठ ऑलराउंडरों में शुमार किया जाता था। जनवरी 1912 में इंग्लैंड के खिलाफ खेलते हुए उन्हें अपने टेस्ट करियर का आगाज किया और उसी साल अगस्त में उनका करियर खत्म भी हो गया।

अपने इस छोटे और प्रभावशाली करियर में इस खिलाड़ी ने 8 मैच खेले जिसमें उन्होंने 16 विकेट झटके और 1 अर्धशतक के दम पर 153 रन बनाए। जबकि प्रथम श्रेणी क्रिकेट के 67 मैचों में उन्होंने 14 पचासे जड़ते हुए 2149 रन बनाए और 177 विकेट भी लिए।

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