- जोफ्रा आर्चर ने 2019 विश्व कप का मेडल गंवाया
- इंग्लैंड ने न्यूजीलैंड को मात देकर जीता था 2019 विश्व कप का खिताब
- आर्चर ने कहा कि उन्होंने एक सप्ताह में पूरा घर ऊपर-नीचे कर दिया, लेकिन मेडल नहीं मिला
लंदन: इंग्लैंड के तेज गेंदबाज जोफ्रा आर्चर ने शनिवार को खुलासा किया है कि उन्होंने घर बदला और इस दौरान विश्व कप का मेडल गंवा दिया, जिसे खोजने के लिए वह पागल से हो गए हैं। पिछले साल ससेक्स के तेज गेंदबाज ने विश्व क्रिकेट में खुद को स्थापित किया। उन्होंने इंग्लैंड को 2019 विश्व कप चैंपियन बनने में अहम भूमिका निभाई। 50 ओवर के विश्व कप में आर्चर ने 20 विकेट चटकाए, जो इंग्लैंड के गेंदबाजों में सबसे ज्यादा थे।
25 साल के तेज गेंदबाज ने 2019 में ही अपने अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट की शुरुआत की थी। उन्हें फाइनल मुकाबले में सुपर ओवर डालने की जिम्मेदारी मिली थी। आर्चर ने इंग्लैंड को बाउंड्री के आधार पर न्यूजीलैंड पर खिताबी जीत दिलाई क्योंकि सुपर ओवर में भी दोनों टीमों का स्कोर बराबर था। मगर बारबाडोस में जन्में तेज गेंदबाज से शनिवार को जब मेडल के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा, 'मैंने उसे एक तस्वीर में सजाकर टांगा था। किसी ने मुझे ऐसे भेजा था और फिर मैंने उसे अपने घर पर टांगा। मैंने फ्लैट बदला और फोटो नई दीवार पर भी लगी, लेकिन मेडल वहां से गायब था। मैंने एक सप्ताह में पूरा घर ऊपर-नीचे करके देख लिया, लेकिन अब तक मेडल नहीं मिला।'
25 साल के तेज गेंदबाज ने आगे कहा, 'मुझे पता है कि यह घर में होगा, इसलिए इसे खोजने के लिए अब तक पागल हो चुका हूं। मगर अब तक मेडल नहीं मिला।' आर्चर पिछले महीने बारबाडोस से यूके लौटे। उन्होंने कहा कि कोरोना वायरस के कारण चूंकि सभी क्रिकेट गतिविधियां निलंबित है, इसकी वजह से उन्हें मेडल खोजने का समय मिल गया है। उन्होंने कहा, 'अकेले रहने में कुछ और करना नहीं है। मैं मेडल खोजने के लिए अपना पूरा जोर लगा दूंगा।'
सुपर ओवर करने को तैयार नहीं थे आर्चर
इयोन मोर्गन के नेतृत्व वाली इंग्लैंड क्रिकेट टीम के लिए भले ही जोफ्रा आर्चर विश्व कप में तुरुप का इक्का साबित हुए हो, लेकिन उन्होंने बताया कि वह फाइनल में सुपर ओवर करने के लिए तैयार नहीं थे।
आर्चर से जब सुपर ओवर के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा, 'बहुत देरी हो चुकी थी। मुझे तब तक भरोसा नहीं था क्योंकि वॉर्म अप करके वहां कैसी गेंदबाजी करूंगा, इस बारे में कुछ नहीं सोचा था। इसका मतलब यह नहीं कि मैं गेंदबाजी करना नहीं चाहता था। मेरा यह मानना था कि उस समय मैं उस पोजीशन पर नहीं था, जो ऐसी जिम्मेदारी उठाए। मैं टीम में नया था। सबसे कम मैच खेले थे। मैंने नहीं सोचा था कि मुझे इस तरह की जिम्मेदारी सौंपी जाएगी। यह पूरे टूर्नामेंट का एकमात्र सुपर ओवर था। मैंने इस बारे में कुछ सोचा नहीं था और न ही परिस्थिति को देखते हुए कोई योजना बनाई थी।'