- केविन ओ ब्रायन ने सिर्फ 50 गेंदों में पूरा किया था शतक
- विश्व कप इतिहास में ओ ब्रायन सबसे तेज शतक जमाने वाले खिलाड़ी बने
- आयरलैंड ने बड़ा उलटफेर करते हुए इंग्लैंड को तीन विकेट से मात दी थी
नई दिल्ली: क्रिकेट में बड़े-बड़े उलटफेर देखने को मिलते हैं। कोई कमजोर टीम सशक्त टीम को मात देकर क्रिकेट जगत में भूचाल ला खड़ा करती है। 2 मार्च 2011 को बेंगलुरु के एम चिन्नास्वामी स्टेडियम पर कमजोर टीम के एक खिलाड़ी केविन ओ ब्रायन नाम की सुनामी आई थी, जिसमें सशक्त इंग्लैंड की टीम बह गई थी। ब्रायन ने इस मुकाबले में विश्व कप का सबसे तेज शतक लगाने का रिकॉर्ड बनाया और इस दिन को क्रिकेट इतिहास में यादगार बना दिया। इसे कहने में जरा भी हिचकिचाहट नहीं होगी कि यह एक बेहद असाधारण मुकाबला था, जहां कमजोर टीम ने हारी हुई बाजी को पलटा और विजेता बनकर सनसनी मचा दी। आयरलैंड ने मजबूत इंग्लैंड को एकतरफा अंदाज में मात दी थी।
यह सब मुमकिन हुआ था उस दिन गुलाबी बालों वाले केविन ओ ब्रायन के कारण। इस मुकाबले के बाद से कोई केविन ओ ब्रायन का नाम नहीं भूला। बता दें कि 2011 विश्व कप का यह 15वां मुकाबला था। इंग्लैंड और आयरलैंड भी चिर-प्रतिद्वंद्वी माने जाते हैं। इस मैच में वैसे कई फैंस की दिलचस्पी बिलकुल भी नहीं थी, लेकिन उस दिन ओ ब्रायन ने जो कमाल किया तो फैंस को जरूर निराशा हुई और फिर इसकी जमकर हाइलाइट्स देखी गई।
इंग्लैंड ने बनाया विशाल स्कोर
इंग्लैंड के कप्तान एंड्रयू स्ट्रॉस ने टॉस जीतकर पहले बल्लेबाजी का फैसला किया। केविन पीटरसन (59), जोनाथन ट्रॉट (92) और इयान बेल (81) की दमदार अर्धशतकीय पारियों की बदौलत इंग्लैंड ने निर्धारित 50 ओवर में 8 विकेट खोकर 327 रन बनाए। आयरलैंड की तरफ से जॉन मूनी ने चार जबकि ट्रेंट जोंसटन ने दो विकेट चटकाए। पॉल स्टर्लिंग और जॉर्ज डॉकरेल को एक-एक सफलता मिली। इंग्लैंड के पास जो गेंदबाजी आक्रमण था, उस हिसाब से वह मनोवैज्ञानिक रूप से इतना बड़ा स्कोर बनाकर पहले ही जीत चुकी थी।
हार की कगार पर आयरलैंड
जैसी की उम्मीद थी, आयरलैंड की टीम मुकाबले में नजर ही नहीं आ रही थी। उसके कप्तान विलियम पोर्टरफील्ड को जेम्स एंडरसन ने खाता भी नहीं खोलने दिया और पारी की पहली ही गेंद पर क्लीन बोल्ड करके पवेलियन भेज दिया। इसके बाद आयरलैंड के शीर्ष 5 विकेट 111 रन के स्कोर पर आउट हो चुके थे। आयरलैंड को जीत के लिए 154 गेंदों में 217 रन की दरकार थी और उसके जीतने की कोई उम्मीद नजर नहीं आ रही थी।
केविन ओ ब्रायन की आई सुनामी
केविन ओ ब्रायन क्रीज पर आए। उन्होंने शुरुआत से ही आक्रामक अंदाज में बल्लेबाजी की। इंग्लैंड को लगा कि यह बल्लेबाज कितने शॉट जमा पाएगा क्योंकि आयरलैंड कई विकेट गंवा चुका था और मुकाबला इंग्लैंड के पक्ष में जाता दिख रहा था। मगर उन्हें क्या पता था कि केविन ओ ब्रायन नाम की सुनामी आई है। मैदान के सभी कोनों में गेंद जाती हुई दिखना शुरू हो गई। इंग्लैंड का कोई गेंदबाज ओ ब्रायन के शॉट्स पर लगाम नहीं लगा पा रहा था।
विश्व कप का वर्ल्ड रिकॉर्ड
आयरलैंड के पास खोने के लिए तो कुछ भी नहीं था। केविन ओ ब्रायन ने ऐसे में चांस लिया और चिर-प्रतिद्वंद्वी टीम के गेंदबाजों की कुटाई करने को अपना प्रमुख लक्ष्य बनाया। देखते ही देखते कुछ पलों में बाजी पलटते हुए दिखना शुरू हुई। केविन ओ ब्रायन ने सिर्फ 50 गेंदों में 13 चौके और 6 छक्के की मदद से शतक जमा दिया। यह वर्ल्ड रिकॉर्ड बना। केविन ओ ब्रायन का नाम इतिहास के पन्नों में लिखा गया। वह विश्व कप इतिहास में सबसे तेज शतक जमाने वाले बल्लेबाज बने। ब्रायन को एलेक्स क्यूसेक (47) का अच्छा साथ मिला। दोनों ने छठें विकेट के लिए 162 रन की साझेदारी की। क्यूसेक रनआउट हो गए।
यहां से जॉन मूनी (33*) ने तूफानी ब्रायन का साथ निभाया। ब्रायन सिर्फ 63 गेंदों में 13 चौके और 6 छक्के की मदद से 113 रन बनाकर रनआउट हो गए। मगर तब तक आयरलैंड जीत के करीब पहुंच चुकी थी। जब ब्रायन आउट हुए तब आयरलैंड को जीत के लिए 11 गेंदों में 11 रन की दरकार थी। मूनी और ट्रेंट जोंसटन (7*) ने पांच गेंदें शेष रहते आयरलैंड को सबसे यादगार जीत दिलाई। केविन ओ ब्रायन रातोंरात पोस्टर ब्वॉय बन गए।