- दिलीप वेंगसरकर आज अपना 64वां जन्मदिन मना रहे हैं
- वेंगसरकर अपने बेबाक अंदाज के लिए हमेशा मशहूर रहे
- वेंगरसकर ने एक ऐसा रिकॉर्ड बनाया जो गावस्कर-तेंदुलकर भी नहीं तोड़ सके
मुंबई: टीम इंडिया के पूर्व धाकड़ बल्लेबाज दिलीप वेंगसरकर सोमवार को अपना 64वां जन्मदिन मना रहे हैं। वेंगसरकर अपने बेबाक अंदाज और चुनौतीपूर्ण पिचों पर लंबी पारी खेलने के लिए क्रिकेट जगत में लोकप्रिय थे। दिग्गज क्रिकेटर का जन्म 6 अप्रैल 1956 को महाराष्ट्र के राजापुर में हुआ था। दिलीप ने अपने करियर के दौरान कुछ बेहतरीन पारियां खेली कि उन्हें भारत के दिग्गज बल्लेबाजों की लिस्ट में शामिल हो गए। वह 1983 वर्ल्ड कप टीम के सदस्य भी रहे।
लॉर्ड्स पर बेहतरीन रिकॉर्ड
1983 से 1987 तक दिलीप वेंगसरकर ने अपनी बल्लेबाजी से विश्व क्रिकेट में धाक जमाई थी। क्रिकेट के मक्का कहे जाने वाले लॉर्ड्स मैदान पर वेंगसरकार ने एक ऐसा रिकॉर्ड बनाया, जो सुनील गावस्कर और सचिन तेंदुलकर जैसे दिग्गज बल्लेबाज भी नहीं तोड़ सके। वेंगसरकर ऐतिहासिक लॉर्ड्स मैदान पर लगातार तीन शतक लगाने वाले पहले गैर-इंग्लिश बल्लेबाज रहे। उनका यह रिकॉर्ड आज भी भारतीय क्रिकेट इतिहास में कायम है। इसी के चलते लोगों ने वेंगसरकर को लॉर्ड्स का भगवान तक कहा।
'कर्नल' के नाम से मशहूर वेंगसरकर ने सबसे पहले 1979 में लॉर्ड्स पर 0 और 103 रन की पारी खेली थी। तीन साल बाद जब भारत ने लॉर्ड्स पर टेस्ट खेला तो उसमें वेंगसरकर ने क्रमश: 2 और 157 रन बनाए। फिर चार साल बाद यानी 1986 में वेंगी ने क्रमश: नाबाद 126 और 33 रन की पारियां खेली। उन्होंने लॉर्ड्स में चार टेस्ट खेले और 72.57 की औसत से 508 रन बनाए।
आखिरी टेस्ट में शतक से चूके
दिलीप वेंगसरकर ने आखिरी बार 1990 में लॉर्ड्स के मैदान पर टेस्ट मैच खेला था। इस टेस्ट में वह दुर्भाग्यवश शतक नहीं जमा सके थे। तब उन्होंने क्रमश: 52 और 35 रन की पारी खेली थी। वेंगसरकर ने अपने टेस्ट करियर का आगाज न्यूजीलैंड के खिलाफ 1975-76 में किया था।
कप्तानी नहीं आई रास
दिलीप वेंगसरकर को चुनौतीपूर्ण पिचों पर लंबी पारी खेलने के लिए जाना जाता था। दिल्ली के फिरोजशाह कोटला मैदान की टर्न करने वाली पिच हो या फिर लॉर्ड्स में स्विंग लेती गेंदें, वेंगसरकर क्रीज पर डटे रहते थे और टीम के लिए अहम योगदान दिया करते थे। दाएं हाथ के बल्लेबाज ने पाकिस्तान, इंग्लैंड, वेस्टइंडीज और श्रीलंका के खिलाफ दमदार शतक जमाए। 1987 विश्व कप के बाद कपिल देव को हटाकर दिलीप वेंगसरकर को कप्तान बनाया गया।
वेंगसरकर को कप्तानी रास नहीं आई। उन्होंने अपने नेतृत्व में शुरुआती दो शतक जमाए, लेकिन इसके बाद वह कुछ खास नहीं कर सके। टीम को बेहतर परिणाम नहीं मिलने से 1989 में वेंगसरकर से कप्तानी छीन ली गई।
क्रिकेट करियर
वेंगसरकर ने 116 टेस्ट में भारत का प्रतिनिधित्व किया। उन्होंने 42.13 की औसत और 17 शतक व 35 अर्धशतकों की मदद से 6868 रन बनाए। इसके अलावा 129 वनडे में 34.73 की औसत से वेंगसरकर ने 3508 रन बनाए। वनडे में उनके नाम एक शतक दर्ज है।