- पहली बार 1992 में हुआ था टीवी अंपायर टेक्नोलॉजी का प्रयोग
- सचिन तेंदुलकर बने थे पहले शिकार
- थर्ड अंपायर जैसी योजना कब से शुरू हुई
Sachin Tendulkar: खेल जगत में क्रिकेट के खेल ने भी आज काफी बड़ा मुकाम हासिल कर लिया है। जिसमें एक बहुत खास स्थान थर्ड अंपायर का भी होता है। क्रिकेट के खेल में वैसे मैदानी अंपायर का हर फैसला सर्वमान्य कहा जाता है, लेकिन कभी-कभी मैदानी अंपायर के गलत फैसले का शिकार खिलाड़ियों को होना पड़ता था, जिसका एक सीधा असर मैच के परिणाम पर भी पड़ता था, जिसके बाद टीवी रिप्ले के आधार पर थर्ड अंपायर की नियुक्ति की गई और थर्ड अंपायर के आने के बाद अब फैसले में पारदर्शिता आने लगी है।
कौन बना सबसे पहले थर्ड अंपायर का शिकार?
वर्तमान दौर में क्रिकेट के खेल में टीवी अंपायर का महत्व भी काफी बढ़ गया है। रिप्ले को देखकर टीवी अंपायर मैदानी अंपायर के संदेह पर फैसला अपने पाले में ले लेते हैं, और रिप्ले देख इसका फैसला सुनाते हैं। आखिर थर्ड अंपायर जैसी योजना कब से शुरू हुई, ये बहुत से फैंस नहीं जानते होंगे।
इंटरनेशनल क्रिकेट तो पिछले 145 साल से खेला जा रहा है, लेकिन थर्ड अंपायर की आधारशिला आज से करीब 2 दशक पहले ही रखी गई है। साल 1992 में टीवी अंपायर की शुरुआत हुई, जिसके बाद अब एक और सवाल फैंस के जेहन में हिचकोले मारता होगा, कि आखिरकार पहली बार थर्ड अंपायर के द्वारा किस बल्लेबाज को आउट दिया गया।
सचिन तेंदुलकर बने थे थर्ड अंपायर के पहले शिकार
तो आईए अब उसी बात पर नजर डालते हैं। थर्ड अंपायर श्रीलंका के एक क्रिकेटर महिन्द्रा विजेसिंघे की मन की उपज थी, जिसे 1992 में भारत और दक्षिण अफ्रीका के बीच खेले गए टेस्ट मैच में अजमाया गया। इस मैच में थर्ड अंपायर के रूप में कार्ल लिटनबर्ग को जिम्मेदारी सौंपी गई थी।
इस मैच में दक्षिण अफ्रीका की पारी खत्म होने के बाद भारत की पारी शुरू हुई। भारत की खराब शुरुआत के बाद सचिन तेंदुलकर क्रीज पर पहुंचे। उनके सामने रवि शास्त्री पहले से मौजूद थे। सचिन जब 11 रन बनाकर खेल रहे थे, तभी एक रन लेने के चक्कर में सचिन रन आउट हो गए। फील्ड अंपायर ने फैसला थर्ड अंपायर की तरफ रैफर कर दिया। थर्ड अंपायर ने सचिन को क्रीज से बाहर पाते हुए आउट करार दिया। इस तरह से महान बल्लेबाज सचिन तेंदुलकर थर्ड अंपायर के द्वारा आउट दिए जाने वाले पहले क्रिकेटर बने। 14 नवंबर 1992 का ये दिन यादगार बन गया।