- 2007 में शोएब अख्तर और मोहम्मद आसिफ के बीच हुआ था विवाद
- शोएब अख्तर ने ड्रेसिंग रूम में मोहम्मद आसिफ पर बल्ले से हमला किया था
- शाहिद अफरीदी ने अब इस बारे में अपनी प्रतिक्रिया दी है
नई दिल्ली: पाकिस्तान क्रिकेट इतिहास में 2007 की ड्रेसिंग रूम घटना सबसे विवादित में से एक मानी जाती है। पाकिस्तान के पूर्व तेज गेंदबाज शोएब अख्तर का करियर विवादों से भरा रहा है। उनके करियर का सबसे बड़ा विवाद 2007 में आया, जब जोहानसबर्ग में वह मोहम्मद आसिफ के साथ विवाद में शामिल हुए थे।
ऐसी खबरें थी कि दोनों बल्लेबाजों के बीच पहले बातों में विवाद हुआ और फिर शोएब अख्तर ने मोहम्मद आसिफ के बाएं पैर की जांघ पर बल्ला मार दिया। इस खराब ऐतिसोड की बाद में पुष्टि पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड (पीसीबी) ने की और अख्तर को दक्षिण अफ्रीका में आयोजित 2007 वर्ल्ड टी20 से वापस बुला लिया गया।
शोएब अख्तर ने अपनी आत्मकथा कंट्रोवर्शियली योर्स (Controversially Yours) में अपने करियर के इस हिस्से पर प्रकाश डालते हुए शाहिद अफरीदी पर स्थिति को बिगाड़ने का आरोप लगाया। शोएब अख्तर ने अपनी आत्मकथा में लिखा, 'अफरीदी ने स्थिति बिगाड़ी थी और मैंने अपना बल्ला दोनों पर चलाया था। अफरीदी खुद को बचाने में सफल रहे, लेकिन आसिफ वहां से हट नहीं पाए और बल्ला उनकी जांघ पर लगा, वो गिर गए। मैं खो गया था। मैंने विशेषकर ड्रेसिंग रूम में कभी इस तरह का बर्ताव नहीं किया था।'
काफी सालों के बाद शाहिद अफरीदी ने इस घटना पर अपनी चुप्पी तोड़ी और स्थिति बिगाड़ने की बातों को नकारा। उन्होंने माना कि ऐसी घटना हुई थी। अफरीदी ने आगे शोएब अख्तर की तारीफ करते हुए कहा कि वह अच्छे दिल वाले व्यक्ति हैं। अफरीदी ने समा डॉट टीवी से बातचीत में कहा, 'चीजें होती हैं। मोहम्मद आसिफ ने मुझसे मजाक किया था, जिस पर शोएब अख्तर आगबबूला हो गए और यह सब हुआ। मगर शोएब का दिल बहुत खूबसूरत है।'
किट को पास में रखकर सोता था: शाहिद अफरीदी
आगे बातचीत में शाहिद अफरीदी ने अपने क्रिकेट करियर के शुरूआती दिनों को याद किया जब उनकी जिंदगी में एकमात्र चीज क्रिकेट ही थी। पूर्व कप्तान ने याद किया कि जब वह 14 साल के थे, तब उनका पूरा ध्यान क्रिकेट पर था और वह अपने पास क्रिकेट किट रखकर सोते (नींद) थे।
पूर्व कप्तान ने खुलासा किया कि तब सोशल मीडिया नहीं था, तो लोग अखबार में छपी मेरी फोटो लेकर वालिद (पिता) के पास आकर उन्हें दिखाते थे, जिससे वो बहुत खुश होते थे। जब मैं अंडर-14 और अंडर-18 खेल रहा था, तब क्रिकेट ही मेरी जिंदगी में सबकुछ था। मैं अपने पास किट रखकर सोता था और अगर अगले दिन मैच होता था, तो मैं बिलकुल देरी से नहीं पहुंचना चाहता था।
अफरीदी ने कहा, 'उस समय सोशल मीडिया नहीं था। लोग डॉन और जंग में मेरी छपी हुई फोटो वाले अखबार लाकर पिता को दिखाते थे और बोलते कि आपका बेटा कुछ अच्छा करेगा।'