- सुप्रीम कोर्ट में आज होनी है बीसीसीआई के नए सविंधान के कूलिंग ऑफ पीरियड के मामले में सुनवाई
- कोर्ट के इस फैसले पर टिका है सौरव गांगुली और जय शाह का बोर्ड के अध्यक्ष और सचिव पद का भविष्य
- मौजूदा प्रावधानों के अनुसार 7 मई को जय शाह का खत्म हो चुका है कार्यकाल, सौरव गांगुली का कार्यकाल 27 जुलाई को हो जाएगा समाप्त
नई दिल्ली: बीसीसीआई के मौजूदा अध्यक्ष सौरव गांगुली के भविष्य का फैसला आज सुप्रीम कोर्ट करेगा। बीसीसीआई के नए संविधान में दो कार्यकाल के बीच कूलिंग ऑफ पीरियड के प्रावधान है जिसमें छूट दिए जाने को लेकर सौरव गांगुली और जय शाह ने याचिका दायर की है। लोढा समिति की अनुशंसा के लागू होने के बाद बीसीसीआई के अधिकारियों को कुल 6 साल (राज्य बोर्ड अथवा बीसीसीआई) काम करने के बाद 3 साल के कूलिंग पीरियड से गुजरना होगा। इसके बाद ही वो दोबारा कोई पद संभाल सकेंगे।
टीम इंडिया के पूर्व कप्तान बीसीसीआई अध्यक्ष बनने से पहले क्रिकेट एसोसिएशन ऑफ बंगाल के अध्यक्ष और जय शाह गुजरात क्रिकेट एसोसिएशन में संयुक्त सचिव के रूप में कार्यरत थे। अक्टूबर 2019 में सौरव गांगुली के बीसीसीआई अध्यक्ष और जय शाह के सचिव निर्वाचित होने के बाद दोनों ने संविधान में संशोधन की गुहार सुप्रीम कोर्ट के सामने लगाई थी। जिससे कि वो बीसीसीआई में अपने पद पर बने रह सकें।
संविधान के मौजूदा प्रावधानों के मुताबिक सौरव गांगुली का बतौर अध्यक्ष कार्यकाल 27 जुलाई को खत्म हो जाएगा। वहीं जय शाह का कार्यकाल 7 मई को समाप्त हो चुका है। इस मामले की सबसे रोचक बात यह है कि बीसीसीआई में बदलाव की लड़ाई लड़ने वाले बिहार क्रिकेट एसोसिएशन के सचिव आदित्य वर्मा भी सौरव गांगुली और जय शाह के कार्यकाल को बढ़ाए जाने के पक्ष में हैं। आदित्य वर्मा ने साल 2013 में आईपीएल स्पॉट फिक्सिंग मामले में याचिका दायर की थी। वर्मा ने कहा है कि सौरव गांगुली और जय शाह के कार्यकाल के दौरान कूलिंग ऑफ पीरियड की छूट दिए जाने की याचिका का उनके वकील कोर्ट में विरोध नहीं करेंगे।
आदित्य वर्मा का मानना है कि बोर्ड के कामकाज को स्थिर करने के लिए सौरव गांगुली और जय शाह की जोड़ी की जरूरत है। उन्होंने कहा, मैंने हमेशा कहा है कि बीसीसीआई का नेतृत्व करने के लिए सौरव गांगुली सर्वश्रेष्ठ व्यक्ति हैं। मुझे लगत है कि बीसीसीआई में स्थाइत्व लाने के लिए दादा और जय को पूर्ण कार्यकाल मिलना चाहिए। इसलिए सीएबी की ओर से दादा को बतौर बीसीसीआई अध्यक्ष पूर्ण कार्यकाल दिए जाने पर मुझे कोई आपत्ति नहीं है।
आदित्य ठाकुर ने आगे कहा, उनके कार्यकाल के 9 में से 4 महीने कोरोना वायरस की वजह से बर्बाद हो गए। किसी भी प्रशासक को अपनी योजनाओं और नीतियों को क्रियान्वित करने के लिए समय मिलना चाहिए।