- रैना ने खुलासा किया कि उन्होंने सचिन की पारी देखने के लिए स्कूल बंक किया था
- सचिन तेंदुलकर के करियर की यह सबसे यादगार पारियों में से एक मानी जाती है
- तेंदुलकर के लगातार दो शतकों की मदद से भारत ने जीता था खिताब
नई दिल्ली: महान बल्लेबाज सचिन तेंदुलकर सर्वकालिक सर्वश्रेष्ठ बल्लेबाजों में से एक माने जाते हैं। मास्टर ब्लास्टर सचिन तेंदुलकर अपने चमकीले करियर के दौरान बल्लेबाजी के ध्वजवाहक रहे। 'क्रिकेट के भगवान' माने जाने वाले सचिन तेंदुलकर ने बल्लेबाजी का लगभग हर रिकॉर्ड अपने नाम किया और 2013 में इस खेल से विदाई ली। भारतीय क्रिकेटर सुरेश रैना ने हाल ही में सचिन तेंदुलकर के करियर की सबसे धाकड़ पारी (द डेजर्ट स्टॉर्म) को याद किया, जो उन्होंने 1998 में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ खेली थी।
क्रिकेट के दो प्रारूपों में ढेरों रिकॉर्ड्स तोड़ने के लिए पहचाने जाने वाले सचिन तेंदुलकर अपने अंतरराष्ट्रीय करियर के दौरान दर्शकों को मैदान तक खींचने में सफल रहे। किसी अन्य भारतीय खिलाड़ी की तरह सुरेश रैना भी बचपन से ही सचिन तेंदुलकर की बल्लेबाजी के दीवाने थे। अपनी युवा उम्र के दिनों को याद करते हुए रैना ने बताया कि कैसे वो मास्टर ब्लास्टर को बल्लेबाजी करते देखने के लिए क्लासेस छोड़ दिया करते थे।
तेंदुलकर की उस पारी ने ऐसा करा दिया
रैना ने टाइम्स ऑफ इंडिया से बातचीत करते हुए बताया कि सचिन तेंदुलकर की बल्लेबाजी देखने के लिए उन्होंने स्कूल बंक कर दिया था। शारजाह में सचिन तेंदुलकर की बेहतरीन पारी को याद करते हुए रैना ने कहा कि उन्होंने स्कूल के आखिरी दो पीरियड बंक किए क्योंकि तब तेंदुलकर की पारी शुरू होने वाली थी।
उन्होंने कहा, 'हमारे घर में अपट्रॉन टीवी थी और उसमें सिर्फ दूरदर्शन आता था। शारजाह में टूर्नामेंट चल रहा था, तो हम लोग मैच देखने के लिए स्कूल के आखिरी दो पीरियड बंक करते थे। सचिन पाजी उस युग में ओपनिंग करते थे। हम सिर्फ सचिन पाजी या द्रविड़ भाई को बल्लेबाजी करते देखना पसंद करते थे। मगर जब तेंदुलकर आउट हो जाते थे तो हम लोग चले जाते थे।'
तेंदुलकर के शॉट और ग्रेग की कमेंट्री
रैना ने आगे कहा, 'हम तो बच्चे थे। मैं तब 12 साल का था। सातवीं क्लास में पढ़ रहा था। तेंदुलकर तो बहुत बड़ा नाम थे।' 1998 में तेंदुलकर ने डेजर्ट स्टॉर्म पारी खेली, जहां कोका कोला कप में उन्होंने लगातार दो शतक जमाकर टीम को चैंपियन बनाया। तेंदुलकर ने पहले 143 रन की पारी खेलकर टीम को फाइनल के लिए क्वालीफाई कराया और फिर फाइनल में 134 रन बनाकर टीम को चैंपियन बनाया।
बाएं हाथ के बल्लेबाज ने कहा, 'सचिन तेंदुलकर पाजी ने लगातार दो शतक जमाए थे। माइकल कास्प्रोविच की गेंदों पर खड़े रहकर लंबे-लंबे छक्के जमाए। इसके अलावा टोनी ग्रेग की कमेंट्री ने उस पारी में जान फूंकने का काम किया था। ग्रेग भी तब बहुत बड़ा नाम थे। पाजी जिस तरह के फॉर्म में थे और उस पर जैसी कमेंट्री चल रही थी, हमारी तो इंग्लिश तब इतनी अच्छी नहीं थी, लेकिन उत्साह ने उस पारी का स्वाद दोगुना कर दिया था।'