नई दिल्ली: पूर्व कप्तान सौरव गांगुली के भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) का नया अध्यक्ष बनने के बाद से क्रिकेट फैंस को टीम इंडिया के हेड कोच रवि शास्त्री की टिप्पणी का बेसब्री से इंतजार था। माना जाता है कि गांगुली और शास्त्री के संबंध पिछले कुछ वर्षों में अच्छे नहीं रहे हैं। कई लोगों की राय थी कि दोनों के बीच पहले रहे टकराव से स्थिति असहज हो सकती है। हालांकि, ऐसा कुछ भी नहीं है और शास्त्री गांगुली के अध्यक्ष बनने से बेहद खुश हैं। उनका मनाना है कि गांगुली का अध्यक्ष बनना भारतीय क्रिकेट के लिए काफी फायदेमंद साबित होगा।
रवि शास्त्री से पहले भारतीय टीम के कोच अनिल कुंबले थे जिन्हें सौरव गांगुली, सचिन तेंदुलकर और वीवीएस लक्ष्मण वाली क्रिकेट एडवाइजरी कमेटी (सीएसी) ने चुना था। 18 महीने तक टीम इंडिया के डायरेक्टर रहे शास्त्री कोच पद की दौड़ में आगे माने जा रहे थे। लेकिन जब कुंबले कोच पद की दौड़ में शामिल हुए तो शास्त्री पिछड़ गए। शास्त्री और कुंबले के बीच मुकाबला टक्कर का था लेकिन बाजी कुंबले जीतने में सफल रहे। कुंबले को कोच जाने चुने के बाद शास्त्री ने आरोप लगाया था कि इंटरव्यू के दौरान जब उनकी बारी आई तो गांगुली मौजूद नहीं थे। वहीं, गांगुली ने शास्त्री की सीएसी को व्यक्तिगत रूप से न मिलने के लिए आलोचना की थी।
हालांकि, गांगुली ने बीसीसीआई अध्यक्ष का पद संभालने के बाद पहले प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि वह इस पद पर चीज़ों आसाना करने के लिए हैं। उन्होंने कहा कि मैं एक बात स्पष्ट कर देना चाहता हूं कि हम यहां स्थितियों को आसान बनाने के लिए हैं। किसी की जिंदगी को मुश्किल बनेन के लिए नहीं। सबकुछ यहां प्रदर्शन पर निर्भर करेगा। प्रदर्शन सबसे महत्वपूर्ण चीज है। इससे ही भारतीय क्रिकेट का भविष्ट निर्धारित होगा।
हेच कोच शास्त्री ने पुराने गिले-शिकवे का मिटाकर गांगुली को बधाई दी। उन्होंने टाइम्स ऑफ इंडिया को दिए इंटरव्यू में कहा, 'बीसीसीआई अध्यक्ष के रूप में पदभार संभालने के लिए सौरव को मेरी हार्दिक बधाई। उनकी नियुक्ति इस बात का संकेत है कि भारतीय क्रिकेट सही दिशा में बढ़ रहा है। वह हमेशा एक स्वाभाविक लीडर रहे हैं। जब उनके जैसा कोई शख्स बीसीसीआई का अध्यक्ष बना है, जो चार-पांच साल पहले ही क्रिकेट प्रशासन में एंट्री कर चुका हो, तब यह भारतीय क्रिकेट के लिए बेशक जीत-जीत (विन-विन) वाली स्थिति होती है। बीसीसीआई लिए ये कठिन समय हैं और बोर्ड की कम हुई साख को वापस लाने के लिए बहुत काम करना है। मैं उन्हें उनके कार्यकाल के लिए शुभकामनाएं देता हूं।'