कोलकाता: भारत और बांग्लादेश दोनों ही टीमों के लिए 22 नवंबर से कोलकाता में शुरू हो रहे डे-नाइट टेस्ट में पिंक बॉल का सामना करना बड़ी चुनौती होगा। पारंपरिक रूप से टेस्ट क्रिकेट में इस्तेमाल की जाने वाली लाल गेंद की तुलना में पिंक बॉल ज्यादा स्विंग होगी। इसके अलावा रात के वक्त गेंदबाजी के दौरान ओस भी परेशानी का सबब बनेगी। ऐसे में कप्तान के साथ-साथ खिलाड़ियों के लिए भी मैच के दौरान किसी एक योजना पर अमल कर पाना संभव नहीं होगा।
इंदौर में खेले गए पहले टेस्ट को तीन दिन में पारी और 130 रन के अंतर से अपने नाम करने के बाद टीम इंडिया ने इंदौर में रहकर डे-नाइट टेस्ट के लिए तैयारी करने का फैसला किया। बांग्लादेश ने भी भारतीय टीम की तरह इंदौर में हो कोलकाता टेस्ट के लिए तैयारी करने का फैसला किया। रविवार शाम भारतीय टीम ने दूधिया रोशनी में पिंक बॉल के साथ होलकर स्टेडियम में अभ्यास भी किया।
भारतीय टीम भले ही पहली बार पिंक बॉल के साथ दूधिया रोशनी में टेस्ट क्रिकेट खेलेगी लेकिन टीम इंडिया में वर्तमान में खेल रहे तकरीबन 10 खिलाड़ियों के पास दूधिया रोशनी में पिंक बॉल के साथ खेलने का अनुभव है। अधिकांश को ये अनुभव साल 2016-17 में आयोजित दलीप ट्रॉफी के दौरान इंडिया रेड, इंडिया ब्लू और इंडिया ग्रीन के लिए खेलते हुए मिला था। इस टेस्ट में टीम इंडिया में आज शामिल अधिकांश खिलाड़ी पास हुए थे।
विराट, रहाणे और अश्विन के पास नहीं है अनुभव
वर्तमान टीम के खिलाड़ियों में से टीम के कप्तान विराट कोहली और उपकप्तान अजिंक्य रहाणे, स्टार स्पिनर रविचंद्रन अश्निन और स्पीड स्टार उमेश यादव के पास पिंक बॉल से खेलने का कोई अनुभव नहीं है।
मयंक अग्रवाल और चेतेश्वर पुजारा हैं मास्टर
शानदार फॉर्म में चल रहे मयंक अग्रवाल और चेतेश्वर पुजारा के लिए पिंक बॉल से खेलने का अनुभव बेहद शानदार रहा था। दोनों ही खिलाड़ियों के शानदार प्रदर्शन की वजह से इंडिया ब्लू की टीम खिताब जीतने में सफल हुई थी। मयंक अग्रवाल ने टूर्नामेंट में चार अर्धशतक और एक अर्धशतक जड़ा था। वहीं टेस्ट स्पेशलिस्ट चेतेश्वर पुजारा नाबाद 256 और 166 रन की पारी खेली थी। वहीं रोहित शर्मा ने इसी टीम के लिए खेलते हुए 30 और नाबाद 32 रन की पारी खेली थी।
जडेजा हुए थे सुपरहिट
गेंदबाजी में रवींद्र जडेजा ने शानदार प्रदर्शन किया था। जडेजा पिंक बॉल के टेस्ट में सुपरहिट साबित हुए थे। जडेजा ने फाइनल की दोनों पारियों में कुल दस विकेट(5/95 और 5/76) झटके थे और बल्लेबाजी करते हुए 48 रन का पारी खेली थी। वो भारत के घरेलू क्रिकेट में पिंक बॉल के साथ एक मैच में 10 विकेट लेने वाले पहले खिलाड़ी बने थे।
हालांकि कुलदीप यादव अंतिम एकादश में शामिल नहीं हैं लेकिन उन्होंने इंडिया रेड की तरफ से खेलते हुए 27.88 की औसत से 17 विकेट पिंक बॉल से लिए थे। यदि इस बात को जहन में रखा जाए तो कोलकाता में कलाई का स्पिनर धमाल मचा सकता है। फिंगर स्पिनर को ओस के दौरान गेंद को ग्रिप करने में परेशानी होगी।
कैब लीग में खेले थे साहा और शमी
भारतीय टीम में शामिल बंगाल के दो खिलाड़ियों रिद्धिमान साहा और मोहम्मद शमी को इडेन गार्डन्स में पिंक बॉल से खेलने का अनुभव है। दोनों ने तीन साल पहले कैब सुपर लीग के फाइनल में अपने क्लब मोहन बागान के लिए पिंक बॉल से मैच खेला था। इस मैच की पहली पारी में शमी ने पांच विकेट झटके थे और मैच में कुल 7 विकेट लिए थे। वहीं साहा ने मैच के दौरान एक कैच लपका था और बल्ले से दोनों पारियों में 33 और 0 रन का योगदान दिया था।
इशांत नहीं छोड़ सके थे छाप
टीम इंडिया के सबसे अनुभवी गेंदबाज इशांत शर्मा भी 2016-17 सीजन में दलीप ट्रॉफी में पिंक बॉल से खेले थे लेकिन कोई खास प्रदर्शन नहीं कर सके थे। वहीं टीम में शामिल हनुमा विहारी और रिषभ पंत को साल 2017-18 में पिंक बॉल के साथ दलीप ट्रॉफी में खेलने का मौका मिला था। विहारी ने इस दौरान एक शतक जड़ा था वहीं रिषभ पंत ने भी उसी दौरान बल्लेबाजी करते हुए 11, 15 और 46 रन की पारी खेली थी। 46 रन की पारी उन्होंने 23 गेंद में खेली थी। युवा शुभमन गिल को पिंक बॉल से खेलने का कोई मौका अबतक नहीं मिला है।