- यशस्वी जायसवाल ने पाकिस्तान के खिलाफ सेमीफाइनल में शतक जमाया
- यशस्वी जायसवाल ने 113 गेंदों में 8 चौके और 4 छक्के की मदद से नाबाद 105 रन बनाए
- भारतीय टीम ने लगातार तीसरी बार आईसीसी अंडर 19 विश्व कप के फाइनल में प्रवेश किया
नई दिल्ली: भारतीय अंडर 19 क्रिकेट टीम के ओपनर यशस्वी जायसवाल ने मंगलवार को आईसीसी अंडर 19 विश्व कप के सेमीफाइनल में चिर-प्रतिद्वंद्वी पाकिस्तान के खिलाफ शतक जमाया और टीम को 10 विकेट की जीत दिलाते हुए लगातार तीसरी बार फाइनल में पहुंचाया। जायसवाल ने मौजूदा टूर्नामेंट में बेहतरीन प्रदर्शन किया और अब रविवार को होने वाले फाइनल मुकाबले में उनसे एक बार फिर उम्दा प्रदर्शन की उम्मीद होगी।
युवा शतकधारी यशस्वी जायसवाल अधिकांश अपने स्थानीय कोच ज्वाला सिंह से देर रात फोन पर बात करते हैं। यशस्वी हमेशा कुछ अलग करने की कोशिश करते हैं और अगर उन्हें अपनी बल्लेबाजी में कोई तकनीकी खामी दिखती है तो कोच का जवाब होता है, 'बस अपने खेल का आनंद उठाओ।' मगर गहराई से कोई जाने तो कोच ज्वाला बहुत खुश नहीं थे। यशस्वी अच्छी शुरुआत तो हासिल कर रहे थे, लेकिन इसे बड़े स्कोर में तब्दील नहीं कर पा रहे थे। उनका अंडर 19 टीम में चयन इस आधार पर हुआ था कि लिस्ट ए टूर्नामेंट में मुंबई के लिए खेलते हुए उन्होंने मुंबई सीनियर्स के लिए दोहरा शतक जमाया था।
यशस्वी में कैसे कोच ने जगाई शतक की ज्वाला
मौजूदा अंडर 19 विश्व कप में यशस्वी के साथ कुछ बदला नहीं था। वह चार मैचों में बेहतरीन शुरुआत हासिल जरूर कर रहे थे, लेकिन एक बार भी इसे बड़े स्कोर में तब्दील नहीं कर पा रहे थे। ज्वाला जोर देकर कह रहे थे कि दुनिया ने अब तक यशस्वी जायसवाल का असली खेल नहीं देखा है।
आखिरकार, मंगलवार को चिर-प्रतिद्वंद्वी पाकिस्तान के खिलाफ बाएं हाथ के बल्लेबाज ने कोच की उम्मीदों पर खरा उतरते हुए शतक जमा दिया। यशस्वी ने 113 गेंदों में 8 चौके और चार छक्के की मदद से 105* रन बनाए। जायसवाल को साथी ओपनर दिव्यांश सक्सेना (59*) का अच्छा साथ मिला और दोनों ने टीम को 10 विकेट से जीत दिलाते हुए फाइनल में पहुंचा दिया। जायसवाल ने गेंदबाजी करते भी हैदर अली का महत्वपूर्ण विकेट हासिल किया था।
कोच हुए संतुष्ट
एक स्टूडेंट, जिसने खुद के लिए काफी ऊंचा स्तर स्थापित कर रखा हो, उसका एक शतक ही कोच को संतुष्टि पहुंचा सकता है। जब यह शतक चिर-प्रतिद्वंद्वी पाकिस्तान के खिलाफ और वह भी विश्व कप में आए तो इसकी अहमियत काफी बढ़ जाती है। ज्वाला ने कहा, 'यशस्वी जायसवाल अंडर-19 विश्व कप के लिए भारतीय टीम में सिलेक्ट हुआ तो मुझसे पूछा कि मैं खुश हूं या नहीं। मैंने कहा कि आप पिछले एक साल से भारतीय अंडर-19 टीम के लिए खेल रहे हो तो इसमें उत्सुकता का कोई कारण नहीं। बस शांत रहो। अंडर-19 विश्व कप हर दो साल में आता है और इन दो सालों में हमने नई प्रतिभा को आते-जाते देखा है।'
ज्वाला ने समझाया बड़ी पारी का महत्व
ज्वाला सिंह ने कोच रहते हुए कई खिलाड़ियों के करियर बनते और बिगड़ते देखे हैं। वह यशस्वी को हमेशा जिंदगी की सच्चाई बताकर चलते हैं। यशस्वी को भी लंबे समय के लक्ष्य का अंदाजा है। ज्वाला ने यशस्वी की मुलाकात पूर्व भारतीय ओपनर वसीम जाफर से कराई थी, जो घरेलू क्रिकेट में काफी सफल रहे हैं। जाफर ने भी युवा बल्लेबाज को सलाह दी कि लंबे समय तक क्रीज पर ठहरना ही लंबी पारी खेलने का राज है। जाफर ने याद किया, 'मैंने यशस्वी से कहा कि भारत के लिए कितने खिलाड़ियों ने खेला और इनमें से कितने खिलाड़ी 10 साल तक अंतरराष्ट्रीय स्तर पर टिके। मैंने उनसे कहा कि इसकी संख्या बहुत कम है। भारत के लिए एक या दो मैच खेलने सबकुछ नहीं। आपको वहां लंबे समय तक टिकने की तैयारी करनी चाहिए।'
अब यशस्वी की क्या है तैयारी
कोच ज्वाला सिंह ने बताया कि अब यशस्वी जायसवाल की तैयारी है कि उसका खौफ गेंदबाजों के दिलों में हो, जैसे सचिन तेंदुलकर या विराट कोहली का रहा। उन्होंने कहा, 'गेंदबाज को आपके सामने गेंदबाजी करने से डर लगना चाहिए। ऐसा बल्लेबाज बनना जरूरी है। ऐसा होगा, प्रक्रिया जारी है। मुझे लगता है कि लोगों ने अब तक उसका सर्वश्रेष्ठ खेल नहीं देखा।'
आजाद मैदान, पानी-पुरी और अनुशासन
आजाद मैदान पर पानी-पुरी बेचना और टेंट में रहना। जिंदगी ने हमेशा यशस्वी पर चुनौतियां डाली, लेकिन युवा बल्लेबाज ने एक चीज कायम रखी औश्र वह है खेल के प्रति अनुशासन। उन्हें दीदार यूनियन क्लब ने हाल ही में बधाई समारोह के लिए आमंत्रित किया था, जहां वो देरी से पहुंचे थे क्योंकि जिम में उनका एक सत्र बच गया था। आईपीएल नीलामी के दिन यशस्वी नेट्स पर बल्लेबाजी का अभ्यास कर रहे थे। दक्षिण अफ्रीका के लिए फ्लाइट पकड़ने से पहले यशस्वी ने अपने कोच से गुजारिश की थी कि वह दक्षिण अफ्रीका नहीं आएं, वरना मैं घबरा जाउंगा। सिंह को पता था कि ये बेताबी कहां से उत्पन्न हुई होगी, लेकिन कोच की अपनी अलग योजना है। सेमीफाइनल के दिन ज्वाला स्टैंड्स में बैठे थे। वह यशस्वी से मिलकर जल्दी देश लौट आए।