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CSK vs KKR IPL Final: एक जैसी है दोनों टीमों की सबसे कमजोर कड़ी, 2011 और 2019 का है कनेक्शन

Updated Oct 15, 2021 | 07:50 IST

चेन्नई सुपर किंग्स और कोलकाता नाइट राइडर्स के बीच शुक्रवार को आईपीएल 2021 की खिताबी भिड़त होने जा रही है। दोनों टीमों की कमजोर कड़ी एक जैसी है।

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चेन्नई सुपर किंग्स बनाम कोलकाता नाइट राइडर्स (साभार IPL)
मुख्य बातें
  • चेन्नई और कोलकाता दोनों ही टीमों के पास हैं विश्व चैंपियन कप्तान
  • दोनों ही कप्तानों का फीका रहा है आईपीएल 2021 में बतौर बल्लेबाज प्रदर्शन
  • दोनों ही टीमों को अपने कप्तानों से है फाइनल में अच्छे प्रदर्शन की आस

दुबई: आईपीएल 2021 की शुक्रवार को होने वाली खिताबी भिड़त में आमने सामने होंगी कोलकाता नाइट राइडर्स और चेन्नई सुपर किंग्स। दोनों ही टीमों की कमान विश्व चैंपियन कप्तानों के हाथों में हैं। जहां धोनी टीम इंडिया को साल 2011 में विश्व चैंपियन बना चुके हैं वहीं इयोन मोर्गन वनडे क्रिकेट के मौजूदा विश्व चैंपियन हैं। 

दोनों टीमों के कप्तानों को किसी भी सूरत में नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है लेकिन हकीकत ये है कि मौजूदा सीजन में दोनों ही कप्तान बतौर बल्लेबाज नाकाम साबित हुए हैं। दोनों जिस तरह की आतिशी बल्लेबाजी के लिए जाने जाते हैं उसका मुजाहिरा आईपीएल 2021 में पेश नहीं कर पाए हैं। दोनों ही खिलाड़ी कमान संभालते हुए चेन्नई और कोलकाता के लिए सबसे कमजोर कड़ी साबित हुए हैं।

बल्ले से फ्लॉप रहे हैं धोनी, पिछले मैच में खत्म किया था मैच 
धोनी ने जहां मौजूदा सीजन में अबतक खेले 15 मैच में 16.28 के मामूली औसत और 106.54 के स्ट्राइक रेट से 114 रन बना सके हैं। धोनी का सर्वाधिक स्कोर नाबाद 18* रन रहा है जो पारी उन्होंने पहले क्वालीफायर में दिल्ली कैपिटल्स के खिलाफ आखिरी दो ओवर में खेली थी और चेन्नई को रिकॉर्ड नौवीं बार आईपीएल के फाइनल में जगह दिलाई थी। धोनी अबतक सीजन में कुल 12 चौके और 3 छक्के जड़े हैं। 

धोनी से भी खराब रहा है मोर्गन का प्रदर्शन 
वहीं इयोन मोर्गन के आईपीएल 2021 में बल्लेबाजी रिकॉर्ड पर नजर डालें तो उनका हाल धोनी से भी बेहाल है। अबतक खेले 16 मैच में मोर्गन 11.72 के औसत और 98.47 के स्ट्राइक रेट से 129 रन बनाए हैं। हालांकि मोर्गन का स्ट्राइक रेट नाबाद 47* रन रहा है। मोर्गन अबतक 8 चौके और 6 छक्के जड़ सके हैं। मोर्गन मौजूदा सीजन में 10 बार एक अंक के आंकड़े को पार नहीं कर पाए हैं। जबकि चार बार वो अपना खाता भी नहीं खोल पाए। उनके नाम एक सीजन में सबसे ज्यादा बार शून्य पर आउट होने का रिकॉर्ड दर्ज हो चुका है। 

कप्तानों का प्रदर्शन करेगा हार जीत का निर्णय
दोनों ही खिलाड़ी अपनी टीम को मुश्किल वक्त में परेशानी से बाहर निकालकर जीत दिलाने में माहिर हैं लेकिन उनका यह हुनर इस बार नजर नहीं आया है। फाइनल में इनमें से जिसका बल्ला बोल गया बाजी उसके हाथ लगना तय है। ऐसे में सबकी नजरें दोनों टीमों के साथ-साथ दोनों कप्तानों के व्यक्तिगत प्रदर्शन पर भी होगी। अगर मैच आखिरी ओवरों तक गया तो टीम की किस्मत कप्तानों का बल्ला ही तय करेगा। 
 

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