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शर्मनाक: 15 साल की नाबालिग का उसके पिता और दादा ने मिलकर किया रेप, प्रेग्नेंट हुई पीड़िता

Updated Jul 23, 2020 | 13:46 IST

Minor Rape News: 5 साल की बच्ची के देख-रेख के बहाने उसके बाप और दादा ने ही मिलकर उसकी इज्जत तार-तार कर दी। दिल दहला देने वाला ये मामला तमिलनाडु का है।

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तस्वीर साभार:&nbspBCCL
15 साल की नाबालिग का पिता और दादा ने किया रेप (प्रतीकात्मक तस्वीर)
मुख्य बातें
  • तमिलनाडु में बाप और दादा ने मिलकर 15 साल की बच्ची का किया रेप
  • लगातार यौन शोषण के बाद नाबालिग पीड़िता हुई प्रेग्नेंट
  • कोर्ट ने इमरजेंसी हालात में दी अबॉर्शन की अनुमति

नई दिल्ली : 15 साल की बच्ची के देख-रेख के बहाने उसके बाप और दादा ने ही मिलकर उसकी इज्जत तार-तार कर दी। दिल दहला देने वाला ये मामला तमिलनाडु के तंजाउर जिले से सामने आया है। 15 साल की इस लड़की के साथ उसके ही पिता और दादा ने रेप किया जिसके बाद नाबालिग पीड़िता प्रेग्नेंट हो गई।

मामला कोर्ट तक पहुंचा जिसके बाद सनसनीखेज जानकारी सामने आई। मद्रास हाई कोर्ट में अबॉर्शन के लिए अर्जी डाली गई थी जहां कोर्ट ने इमरजेंसी हालात देखकर अबॉर्शन की अनुमति दे दी। हालांकि पीड़िता का गर्भावस्था का समय 25 सप्ताह हो गया था।  

कोर्ट में पीड़िता की मामी के द्वारा याचिका दाखिल की गई थी जो उसकी अबॉर्शन करवाना चाहती थी। इसी मामले की सुनवाई करते हुए कोर्ट ने अबॉर्शन की अनुमति दी। 

याचिकाकर्ता के मुताबिक लड़की की मां के निधन के बाद लड़की के साथ उसके पिता और उसके दादा अक्सर यौन शोषण करते थे। दोनों के खिलाफ पॉक्सो एक्ट के तहत केस दर्द कराया गया जिसके बाद दोनों को गिरफ्तार कर लिया गया।

जस्टिस आर पोंगियाप्पन ने कहा कि मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेग्नेंसी एक्ट के मुताबिक पीड़िता को अबॉर्शन के लिए अनुमति नहीं दिया जा सकता था। 20 सप्ताह के ज्यादा की प्रेग्नेंसी है तो अबॉर्शन की अनुमति नहीं दी जा सकती है।

उन्होंने ये भी बताया कि इसमें भी अपवाद है कि अगर प्रेग्नेंसी जारी रखने पर पीड़िता के स्वास्थ्य को या उसके जान को खतरा है तो अबॉर्शन की अनुमति ऐसे मामलों में दी जा सकती है।

इसी आधार पर जज ने कहा कि कमिटी की रिपोर्ट के आधार पर पीड़िता के सामाजिक और मानसिक अवस्था को ध्यान में रखते हुए अबॉर्शन की अनुमति दी जा सकती है।

इसके बाद ही जज ने तंजाउर मेडिकल कॉलेज व हॉस्पीटल के डीन को ये अनुमति दी कि डॉक्टरों की उपस्थिति में पीड़िता का अबॉर्शन करवाया जा सकता है। इसके साथ ही जज ने ये भी आदेश दिया कि भ्रूण को तब तक सुरक्षित रखा जाए जब तक केस की पुरी सुनवाई ना हो जाए।