- गुजरात में उच्च जाति के कुछ लोगों ने कथित तौर पर दलित युवक की पिटाई कर दी
- बताया जा रहा है कि विवाद शर्ट का बटन ठीक तरह से बंद नहीं करने को लेकर शुरू हुआ
- बाद में उच्च जाति का सरनेम लगाने को लेकर पांच लोगों ने दलित युवक को बेरहमी से पीट दिया
अहमदाबाद : गुजरात के अहमदाबाद से एक शर्मनाक घटना सामने आई है, जहां कथित तौर पर ऊंची जाति के कुछ लोगों और उसके सहयोगियों ने सिर्फ इसलिए एक दलित युवक की पिटाई कर दी, क्योंकि उसने अपनी शर्ट का बटन समुचित तरीके से बंद नहीं किया था और अपने नाम के आगे वह ऐसा सरनेम लगाता था, जो आम तौर पर उच्च जाति के लोग अपने नाम में लगाते हैं।
शर्ट का बटन बंद नहीं करने पर शुरू हुआ विवाद
साणंद जीआईडीसी पुलिस स्टेशन में इस सिलसिले में एफआईआर दर्ज कराई गई है, जिसमें पीड़ित का नाम भरत जाधव बताया गया है, जबकि आरोपी की पहचान नरेंद्र राजपूत के रूप में की गई है। दोनों मैग्नेटी मारेली मोथरसन ऑटो सिस्टम प्राइवेट लिमिटेड में काम करते थे। मंगलवार को जब जाधव फैक्ट्री में पहुंचा तो राजपूत ने उसे रोका और उससे सवाल किया कि उसने अपनी शर्ट के बटन सही तरीके से बंद क्यों नहीं किए हैं।
इसके बाद जाधव ने तुरंत अपनी शर्ट का बटन बंद कर लिया। आरोपी ने फिर उससे उसके सरनेम और गांव के नाम को लेकर सवाल किए। इस पर पीड़ित ने बताया कि उसका सरनेम जाधव है और वह गिर सोमनाथ जिले के एक गांव से है। द टाइम्स ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट के अनुसार, आरोपी ने जाधव से यह भी पूछा कि क्या उसकी जाति क्षत्रिय है या फिर वह दरबार जाति से ताल्लुक रखता है?
उच्चजाति का सरनेम लगाने पर बेरहमी से पीटा
जाधव ने जब बताया कि वह अनुसूचित जाति (एससी) से ताल्लुक रखता है तो राजपूत ने उससे उच्च जाति के सरनेम का इस्तेमाल करने को लेकर नाराजगी जताई। इस पर जाधव ने कहा कि राजपूत उनके भाइयों की तरह हैं। इसके बाद राजपूत ने जाधव से कहा कि वह दिन का काम खत्म कर कारखाने के बाहर मिले। काम खत्म करने के बाद जाधव ने जैसे ही फैक्ट्री के बाहर कदम रखा, उसे राजपूत के साथ चार अन्य लोग मिले।
पीड़ित ने पुलिस को दी शिकायत में कहा है कि राजपूत सहित पांचों ने उसे ऐसा कहते हुए बेरहमी से पीटा कि जब वह दलित है तो उसने राजपूतों को अपने भाइयों की तरह क्यों कहा और वह उच्च जाति का सरनेम क्यों इस्तेमाल कर रहा है। बाद में जाधव ने पुलिस से संपर्क कर शिकायत दर्ज कराई। पीड़ित की शिकायत पर पुलिस ने भारतीय दंड संहिता और अनुसूचित जाति और जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम की विभिन्न धाराओं के तहत केस दर्ज कर जांच शुरू कर दी है।