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Bawariya Gang: रिटायर्ड SP की जुबानी, बावरिया गैंग की कहानी, रूह कंपाने वाली ट्रेनिंग दी जाती थी

Updated Jul 29, 2020 | 11:25 IST

रिटायर्ड एसपी जगत सिंह के मुताबिक बावरिया गैंग में जो भी शामिल होता है उन्हें ऐसी कड़ी से कड़ी ट्रेंनिंग दी जाती है कि किसी की भी रुह कांप जाए।

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बावरिया गैंग

पंजाब और हरियाणा में एक समय में करीब 15 साल पहले बावरिया गैंग का आतंक हुआ करता था। साल 2004 में गैंग के हरीराम बावरिया को भरतपुर से अरेस्ट करने वाले एसपी जगत सिंह जो अब रिटायर्ड हो चुके हैं उन्होंने इस गैंग से जुड़े कई हौरान करने वाले खुलासे किए हैं। रिटायर्ड एसपी जगत सिंह के मुताबिक बावरिया गैंग में जो भी शामिल होता है उन्हें ऐसी कड़ी से कड़ी ट्रेंनिंग दी जाती है कि किसी की भी रुह कांप जाए।

उनके मुताबिक वे जिसे अपने गैंग में अपराध की ट्रेनिंग देते हैं उन्हें पहले खड़ा करके खूब पीटते हैं। उसे चोट बरदाश्त करने के ऐसा काबिल बनाते हैं कि बाद में वह किसी को किसी भी हद तक बर्बरता से चोट पहुंचाने के लिए तैयार हो जाता है। उन्हें कड़ी से कड़ी ट्रेनिंग देकर क्रूर बनाया जाता है।

ऐसी खतरनाक ट्रेनिंग

इन्हें इस कदर तैयार किया जाता है कि अगर इस गैंग का कोई सदस्य पुलिस के हाथों पकड़ा भी जाता है तो वह अपने गैंग के बारे में और दूसरे साथियों के बारे में बताने के लिए मुंह तक नहीं खोलता।

उन्होंने बताया कि इस गैंग के अपराधी जिस इलाके में रहते हैं वहां के लोगों को टार्गेट नहीं करते हैं अपने इलाके से बाहर के लोगों को अपना टार्गेट बनाते हैं। ये वारदात को अंजाम देने के लिए कोई अपनी गाड़ी से नहीं ट्रेनों से, ट्रकों से या फिर बसों से जाया करते थे।

पकड़े जाने पर इस तरह खुलवाया जाता था मुंह

जिस इलाके में ये रहते थे उस समाज के लोगों से पूछताछ कर उनके बारे में जानकारी ली जाती है। अगर कोई हाथ में आ गया तो उनसे उनके ही जैसी क्रूरता से सच्चाई उगलवाई जाती थी। उन्हें बकरे का मीट खिलाने के बाद दो या तीन दिनों तक पीने को पानी नहीं दिया जाता था साथ ही नींद आने पर सोने नहीं दिया जाता था। इतनी बर्बरता करने के बाद ये जानकारी देते थे। ये वारदात के दौरान रेप जैसी घटनाओं को भी अंजाम देते थे। 

अब कम हैं सक्रिय

एसपी के मुताबिक अंग्रेजों की सरकार के दौरान उनके कानूनों की वजह से इस समूह के लोगों को काम मिलना बंद हो गया था। यही कारण है कि ये फिर चोरी, लूट व डकैती की तरफ मुड़ गए। आज भी ये समाज अस्तित्व में है लेकिन सरकारी योजनाओं का लाभ नहीं मिलने के कारण खानाबदोशों की तरह जीवन जीने को मजबूर है। अभाव में रहने के कारण ये अभी भी आपराधिक गतिविधियों में लिप्त पाए जाते हैं। हालांकि अब ये बेहद कम ही सक्रिय नजर आते हैं।