- पंजाब की रूपनगर जेल में बंद था गैंगस्टर एवं बसपा विधायक मुख्तार अंसारी
- यूपी पुलिस उसे लेकर बांदा जेल पहुंची, जेल की बैरक संख्या 15 में रहेगा अंसारी
- पूर्वांचल में उसकी दहशत से लोग घबराते थे, लंबी है उसके खिलाफ गुनाहों की सूची
नई दिल्ली : उत्तर प्रदेश के पूर्वांचल इलाके को दशकों तक अपनी खौफ एवं दहशत से डराने वाला गैंगस्टर मुख्तार अंसारी आखिरकार पंजाब जेल से बांदा की जेल में पहुंच गया है। बहुजन समाज पार्टी (बसपा) का यह विधायक यूपी पुलिस के हत्थे न चढ़ने के लिए तमाम हथकंडे अपनाए लेकिन सुप्रीम कोर्ट में उसकी हर चाल धरी की धरी रह गई। शीर्ष अदालत के आदेश के बाद पंजाब की सरकार ने उसे यूपी पुलिस को सौंपा। अंसारी अब बांदा की जेल में बंद रहेगा। उसकी सुरक्षा के लिए जेल परिसर एवं उसके बाहर बड़ी संख्या में पुलिसकर्मी तैनात करेंगे। कोर्ट में यूपी सरकार ने दलील दी थी कि अंसारी के खिलाफ गुनाहों की फेहरिस्त लंबी है जिनका निपटारा किया जाना है। फिरौती के एक मामले में यह गैंगस्टर पंजाब की रूपनगर जेल में जनवरी 2019 से बंद था। अब इसे बांदा जेल की बैरक संख्या 15 में रखा जाएगा।
लंबी है गुनाहों की फेहरिस्त
मऊ से बसपा विधायक अंसारी के खिलाफ गुनाहों की फेहरिस्त लंबी है। यूपी पुलिस के मुताबिक उसके खिलाफ राज्य में और अन्य जगहों पर कुल 52 मामले दर्ज हैं। इनमें से 15 मामले अपनी सुनवाई के प्रारंभिक चरण में हैं। ऐसा नहीं है कि यूपी पुलिस ने अंसारी के खिलाफ कार्रवाई नहीं की है। पुलिस ने आपराधिक मामलों में अंसारी से जुड़े अब तक 96 लोगों को गिरफ्तार किया है और गैंगस्टर एवं उसके सहयोगियों से जुड़ी 192 करोड़ रुपए की संपत्तियों को जब्त किया और छुड़ाया है। अंसारी 2005 में हुई भाजपा विधायक कृष्णानंद राय की हत्या में मुख्य आरोपी है।
1990 के दशक से अपराध की दुनिया में दी दस्तक
अपराध की दुनिया में अंसारी का नाम 1990 के दशक में शुरू हुआ। शुरुआत में वह प्रॉपर्टी एवं ठेके का काम करना शुरू किया और फिर धीरे-धीरे जरायम की दुनिया में कदम रखा। नवंबर 2005 में उस पर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के विधायक कृष्णानंद राय की हत्या कराने के आरोप उस पर लगे। हालांकि, जिस समय राय की हत्या हुई उस समय अंसारी जेल में बंद था। जुलाई 2019 में सीबीआई की विशेष अदालत ने अंसारी को रिहा कर दिया।
मऊ के ठेकेदार की हत्या में भी आरोपी
साल 2009 में गैंगस्टर के खिलाफ हत्या के 10 सहित 48 एफआईआर दर्ज थे। मऊ में ठेकेदार अजय प्रकाश सिंह की हत्या में भी अंसारी का नाम आया। 2017 में इस हत्याकांड में भी अंसारी गाजीपुर की एक स्थानीय अदालत से छूट गया। यही नहीं, सिंह की हत्या के चश्मदीद राम सिंह मौर्या की भी हत्या 2010 में हो गई। इस हत्या में कथित भूमिका के लिए अंसारी के खिलाफ केस दर्ज हुआ।
1996 में पहली बार विधानसभा का चुनाव लड़ा
संभ्रांत परिवार से ताल्लुक रखने वाले अंसारी ने पहली बार साल 1996 में मऊ सीट से बसपा के टिकट पर विधानसभा चुनाव लड़ा लेकिन 2002 के चुनाव में पार्टी ने उसे टिकट नहीं दिया। फिर वह निर्दलीय चुनाव लड़कर विधानसभा पहुंचा। बाद में वह एक बार फिर बसपा में शामिल हो गयाा। साल 2009 में उसने भाजपा के कद्दावर नेता मुरली मनोहर जोशी के खिलाफ लोकसभा का चुनाव लड़ा। इस चुनाव में उसे हार का सामना करना पड़ा।