नई दिल्ली: उत्तर प्रदेश के बदायूं जिले में 50 साल की एक महिला के साथ हैवानियत की सारी हदें पार हुई हैं। मंदिर में पूजा करने गई आंगनबाड़ी सहायिका के साथ मंदिर के महंत सत्य नारायण और उसके दो साथियों पर बलात्कार का आरोप है। तीनों आरोपियों ने महिला के साथ न सिर्फ सामूहिक बलात्कार किया बल्कि उसे इतनी चोटें पहुंचाईं कि वो जिंदा न रह सकी।
पोस्टमार्टम रिपोर्ट में महिला से बलात्कार की पुष्टि हुई है और उसके गुप्तांग में चोट और पैर में फ्रैक्चर पाए गए। जिले के मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉक्टर यशपाल सिंह का कहना है कि महिला की मौत सदमे और अत्यधिक रक्तस्राव की वजह से हुई है। मृतक महिला के बेटे ने बताया कि उसकी मां पिछले रविवार की शाम गांव के ही मंदिर में पूजा करने गई थी। रात करीब 11 बजे मंदिर का महंत दो अन्य लोगों के साथ उसके घर आया और उसकी मां का शव रख दिया। लड़के के मुताबिक घर के लोग महंत सत्य नारायण और उसके साथ आए लोगों से कुछ पूछ पाते, उससे पहले ही वे यह कहकर चले गए कि मंदिर से घर लौटते समय महिला रास्ते में स्थित एक सूखे कुएं में गिर गई थी। उसकी चीख-पुकार सुनकर उन्होंने उसे कुएं से बाहर निकाला और उसे घर लेकर आए हैं।
फरार आरोपी की तलाश जारी
वहीं कार्रवाई की बात करें तो पुलिस ने 2 आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया है। आईपीसी की धारा 376 (बलात्कार) और 302 (हत्या) के तहत 3 लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है। बदायूं के जिला मजिस्ट्रेट (DM) प्रशांत कुमार ने बताया, 'मामले में दो लोगों को गिरफ्तार किया गया है और अन्य आरोपी व्यक्ति की गिरफ्तारी के लिए एक टीम गठित की गई है। हम मानते हैं कि इस घटना को जांच के लिए एनएसए के समक्ष प्रस्तुत किया जाना उचित है और हम ऐसा करेंगे।'
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने दिए सख्त निर्देश
वहीं एसएसपी बदायूं ने बताय कि प्रारंभिक जांच में लापरवाही बरतने के दोषी पाए जाने के कारण तत्कालीन थाना प्रभारी को निलंबित किया जा रहा है। एक फरार अभियुक्त की गिरफ्तारी के लिए पुलिस की चार टीमें लगाई गई हैं। फरार अभियुक्त पर 25000 रुपए का इनाम घोषित किया गया है। जल्दी ही उसकी गिरफ्तारी कर ली जाएगी। इस बीच, सूचना विभाग के अपर मुख्य सचिव नवनीत सहगल ने लखनऊ में बताया कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बदायूं की वारदात को गंभीरता से लेते हुए क्षेत्रीय अपर पुलिस महानिदेशक से रिपोर्ट तलब की है। उन्होंने बताया कि मुख्यमंत्री ने कहा है कि जरूरत पड़ने पर मामले की जांच में स्पेशल टास्क फोर्स की भी मदद ली जाए, साथ ही दोषी लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई हो और मामले की सुनवाई फास्ट ट्रैक कोर्ट में की जाए।