- कोरोना की स्थिति पर मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने सर्वदलीय बैठक की
- दिल्ली में कोरोना के मामले 5 लाख से ज्यादा हो गए हैं
- कोरोना की स्थिति को लेकर केजरीवाल विपक्ष के निशाने पर आ गए हैं
नई दिल्ली: दिल्ली में कोरोना का प्रकोप बढ़ता ही जा रहा है। इसी के मद्देनजर मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने आज सर्वदलीय बैठक बुलाई। इस बैठक में बीजेपी-कांग्रेस समेत अन्य दलों के नेता शामिल हुए। दिल्ली में कोरोना के कुल मामले 5 लाख से ज्यादा हो गए हैं। वहीं बुधवार को इस घातक वायरस से 131 लोगों की मौत हो गई। ये 24 घंटे में सबसे ज्यादा है। बैठक को लेकर आम आदमी पार्टी के एक नेता ने कहा था कि कोविड-19 के बढ़ते मामलों पर विचार-विमर्श किया जाएगा, और मुख्यमंत्री अपने-अपने निर्वाचन क्षेत्रों में जागरूकता फैलाने के लिए विभिन्न पार्टियों के सभी नेताओं, सांसदों और विधायकों से सहयोग मांगेंगे।
दिल्ली भाजपा अध्यक्ष आदेश गुप्ता ने कहा कि वह बैठक में शामिल होंगे, लेकिन यह कदम देर से उठाया गया है। उन्होंने कहा, 'मैं सुझाव दूंगा कि आप सरकार लॉकडाउन के बारे में बात करने की बजाय बाजारों में फेस मास्क लगाने और भौतिक दूरी के निर्देशों का पालन करने जैसे सुरक्षा उपायों को कड़ाई से लागू करे। मैं मुख्यमंत्री से अस्पतालों में आईसीयू बिस्तर जैसी सुविधाओं में सुधार करने के लिए भी कहूंगा ताकि वहां ज्यादा मरीजों का इलाज किया जा सके।'
सीएम केजरीवाल ने ट्वीट कर कहा, 'आज सर्वदलीय बैठक में सभी दलों का सहयोग मांगा। ये वक्त राजनीति का नहीं बल्कि सेवा का है। सभी दलों से निवेदन किया कि वे अपने कार्यकर्ताओं से सभी सार्वजनिक स्थलों पर मास्क बंटवाएं। सभी दलों ने आश्वासन दिया कि वे राजनीति छोड़कर जनसेवा करेंगे।'
सर्वदलीय बैठक के बाद आप विधायक सौरभ भारद्वाज ने बताया कि दिल्ली में रोजाना आरटीपीसीआर जांच की संख्या 18,000 से बढ़ाकर 27,000 कर दी जाएगी। कोविड-19 महामारी को रोकने के लिए बाजार बंद करने के बारे में निर्णय लेने से पहले मुख्यमंत्री केजरीवाल बाजार संघों के प्रतिनिधियों से मिलेंगे।
BJP ने सरकार को घेरा
वहीं दिल्ली बीजेपी प्रमुख आदेश गुप्ता ने कहा, 'अगर दिल्ली सरकार ने सही उपाय किए होते तो लोगों को छठ पूजा मनाने में कोई दिक्कत नहीं होती। कोविड 19 दिशानिर्देशों के साथ बाजार खुले रहने चाहिए। अधिक से अधिक ICU बेड और वेंटिलेटर समय की जरूरत हैं।जितने पैसे केजरीवाल जी विज्ञापनों पर खर्च करते हैं , उतने अगर दिल्ली की स्वास्थ सेवाओं पर किए होते तो दिल्ली की हालत आज ऐसी नहीं होती। अगर दिल्ली सरकार ने कोई कदम उठाया होता तो लोगों की जान बच जाती।'