- दिल्ली में महिला संबंध अपराध के मामलों में आई कमी
- दिल्ली पुलिस की रिपोर्ट में राजधानी में अपराध में आई कमी का किया गया दावा
- स्नैचिंग के मामले हालांकि थोड़े बहुत लॉकडाउन में बढ़े हैं
दिल्ली : राजधानी दिल्ली में महिलाओं से जुड़े अपराध के मामलों में भारी कमी आई है। ऐसा हम नहीं बल्कि दिल्ली पुलिस की रिपोर्ट में दावा किया गया है। इस साल जुलाई तक दिल्ली में महिलाओं से जुड़े अपराध के मामलों में 60 फीसदी की कमी देखी गई है। पिछले साल 2019 की तुलना में रेप जैसे मामलों में 60 फीसदी की कमी देखी गई है।
दिल्ली पुलिस ने हाल ही में इस संबंध में एक रिपोर्ट जारी किया है जिसमें ऐसा दावा किया गया है। छेड़छाड़ के मामलों में भी 70 फीसदी की कमी दर्ज की गई है। दिल्ली पुलिस के हालिया क्राइम डेटा रिपोर्ट में ये बातें सामने आई है। इस साल जनवरी से 31जुलाई तक दिल्ली में रेप के कुल 800 मामले दर्ज हुए हैं, जबकि 2019 में पहले सात महीनों में महिलाओं से जुड़े अपराध का ये आंकड़ा 1,299 था।
इसी प्रकार से छेड़छाड़ के मामलों में भी कमी आई है। पछले साल जहां पहले सात महीनों में छेड़छाड़ के कुल 1,734 मामले दर्ज किए गए थे वहीं इस साल जनवरी से लेकर जुलाई तक कुल 1,023 मामले दर्ज किए गए हैं।
क्राइम डेटा में इस साल से नए पुलिस प्रमुख के आदेश पर स्नैचिंग (छीनाझपटी) भी जोड़ा गया है। हालांकि इस तरह के मामलों में पिछले साल की तुलना में थोड़ी सी बढ़ोतरी हुई है। पिछले साल जहां 3,806 स्नैचिंग के मामले दर्ज किए गए थे वहीं इस साल 3,935 मामले दर्ज किए गए हैं।
दिल्ली पुलिस कमिश्नर एसएन श्रीवास्तव के चार्ज लेने के बाद स्नैचिंग जैसे मामलों पर भी गंभीरता बरतने का आदेश दिया गया जिसके बाद इस तरह के मामले भी गंभीरता से रिपोर्ट किए जाने लगे जबकि पिछले साल इस तरह के मामले गंभीरता से नहीं लिए जाते थे।
इस साल 31 जुलाई तक मर्डर के कुल 285 ममाले दर्ज किए गए हैं जबकि यही आंकड़ा 2019 में 295 था। इस तरह के मामलों में सबसे ज्यादा वजह व्यक्तिगत दुश्मनी रही।
इसी प्रकार से डकैती व लूट के मामलों में भी कमी आई है। पिछले साल पहले 7 महीनों में जहां 1,278 ऐसे मामले दर्ज किए गए थे वहीं इस साल ये आंकड़ा 995 है। डकैती के मामलों में 50 फीसदी की कमी देखी गई है। किडनैपिंग के मामलों में भी कुछ ज्यादा बढ़ोतरी नहीं हुई है। पिछले साल पहले सात महीनों में 9 किडनैपिंग के केस दर्ज हुए थे और इस साल भी ये आंकड़ा इतना ही है।
वाहन चोरी की पिछले साल 27,187 मामले दर्ज किए गए थे जबकि इस साल ये आंकड़ा 18,143 है। रिपोर्ट में ये दावा किया गया है कि बॉर्डर पर सख्त निगरानी और पेट्रोलिंग के कारण ऐसे मामलों में कमी आई है और लगातार इश तरह की निगरानी रखने पर क्राइम में और भी कमी हो सकती है।