- दिल्ली के अस्पताल में कोविड के बाद की जटिलताओं वाले मरीज बढ़ रहे हैं
- अस्पताल में ऐसे मरीजों के लिए बेड बढ़ाने की जरूरत महसूस की जा रही है
- एंजायटी, सीने में दर्द आदि कुछ कोविड के बाद की जटिलताओं के लक्षण हैं
नई दिल्ली : कोरोना वायरस संक्रमण की तीसरी लहर की आशंका के बीच जहां विशेषज्ञ लगातार चेता रहे हैं और लोगों से सावधानी बरतने की अपील कर रहे हैं, वहीं ऐसे मरीजों की संख्या भी बढ़ रही है, जिन्हें कोविड के बाद कई तरह की स्वास्थ्य जटिलताओं का सामना करना पड़ रहा है। दिल्ली में ऐसे मरीजों की संख्या बढ़ रही है। ये वो मरीज हैं, जो कोविड-19 की पहली और दूसरी लहर के दौरान संक्रमण की चपेट में आए थे।
कोविड के बाद की जटिलताओं वाले मरीजों की संख्या में बढ़ोतरी
दिल्ली के राम मनोहर लोहिया (RML) अस्पताल में कोविड के बाद की जटिलताओं (post-COVID complications) वाले मरीजों की संख्या बढ़ रही है। डॉक्टर एम वली के अनुसार, ये केस कोरोना वायरस महामारी की पहली और दूसरी लहर के दौरान संक्रमण की चपेट में आए मरीजों से संबंधित हैं। उन्होंने यह भी कहा कि वह रोजाना पांच से छह ऐसे केस देख रहे हैं और हालात को देखते हुए ऐसा लगता है कि ऐसे मरीजों के लिए अस्पतालों में बिस्तर बढ़ाने की आवश्यकता है।
वहीं, दिल्ली के लोक नायक जय प्रकाश (LNJP) अस्पताल में ऐसे मरीजों की संख्या बढ़ रही है, जो कोरोना वायरस से संक्रमित नहीं हैं। चिकित्सा निदेशक डॉ. सुरेश कुमार के अनुसार, यहां रोजाना 100-110 ऐसे मरीज भर्ती किए जा रहे हैं, जो कोरोना वायरस से संक्रमित नहीं हैं। अस्पताल में भर्ती होने वाले ऐसे मरीजों की संख्या बढ़ रही है, जो कोरोना वायरस से संक्रमित नहीं हैं। अस्पताल में 2,000 बेड हैं, जिनमें से 1,000 पर ऐसे मरीज हैं, जो कोरोना वायरस से संक्रमित नहीं हैं।
क्या है post-COVID complications?
Post-COVID complications वह स्थिति होती है, जिनमें संक्रमण से उबरने के बाद भी मरीज के शरीर पर इसका असर बना रहता है। मरीज भले पॉजिटिव से निगेटिव हो जाता है, लेकिन उनमें कई तरह की स्वास्थ्य जटिलताएं बनी रहती हैं, जिनमें न सिर्फ शारीरिक परेशानी, बल्कि मानसिक परेशानी भी शामिल है।
एंजायटी, नकारात्मक सोच, शारीरिक शिथिलता, नींद की कमी, धड़कन बढ़ना, थकान और कमजोरी, सीने में दर्द, सांस लेने में तकलीफ आदि कई लक्षण हैं, जिनसे मरीज कोरोना वायरसर संक्रमण से उबरने के बाद भी दो-चार होते हैं। हालांकि ऐसा भी नहीं है कि कोविड से उबरने वाले सभी मरीजों के साथ ऐसा होता है, बल्कि यह अलग-अलग लोगों पर अलग तरह से असर डालता है।