लाइव टीवी

दंगाई के सामने डटकर खड़ा हो गया था यह जांबाज पुलिसकर्मी, बताया- कैसा था मंजर, कहां से आई इतनी हिम्‍मत

Updated Feb 26, 2020 | 14:56 IST

Delhi violence: बंदूक ताने दंगाई का डटकर मुकाबला करने वाले जांबाज हेड कॉन्‍सटेबल दीपक दहिया ने बताया कि उस वक्‍त क्‍या हालात थे और उनके दिमाग में क्‍या चल रहा था।

Loading ...
दंगाई के सामने डटकर खड़ा हो गया था यह जांबाज पुलिसकर्मी, बताया- कैसा था मंजर, कहां से आई इतनी हिम्‍मत

नई दिल्‍ली : नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) को लेकर उत्‍तर पूर्वी दिल्‍ली के कुछ इलाकों में भड़की हिंसा के बीच एक तस्‍वीर खूब वायरल हुई, जिसमें एक शख्‍स पुलिसकर्मी पर बंदूक थामे नजर आया। हालांकि उस पुलिसकर्मी के हाथ में केवल एक डंडा था, लेकिन वह गन देखकर पीछे नहीं हटता, बल्कि डटकर उसका मुकाबला करता है। उस जांबास पुलिसकर्मी की पहचान हेड कॉन्‍सटेबल दीपक दहिया के तौर पर सामने आई है, जिन्‍होंने बयां किया है कि उस वक्‍त वहां क्‍या हालात थे और जब यह शख्‍स अचानक बंदूक लेकर उनके सामने आ गया तो उनके दिमाग में क्‍या चल रहा था।

दंगाई ने तान दी थी बंदूक
यह घटना सोमवार की है, जब मौजपुर-जाफराबाद रोड पर एक युवक ने पुलिस की मौजूदगी में ही ताबड़तोड़ 8 राउंड फायर किए और आखिर में तमंचा हेड कॉन्‍सटेबल दीपक दहिया पर तान दिया। दहिया उस वक्‍त मौजपुर चौक पर तैनात थे, जब अचानक माहौल बहुत हिंसक हो गया। सीएए के समर्थक और विरोधी दोनों एक-दूसरे पर पत्थर बरसाने लगे। वह जैसे ही उस तरफ बढ़े, जहां हिंसक झड़पें हो रही थीं, उन्‍होंने अचानक गोलियों की आवाज सुनी और देखा कि लाल टी-शर्ट पहने एक शख्स पिस्टल से गोलियां दाग रहा है। वह तुरंत उसकी तरफ लपके, ताकि उसका ध्‍यान बंटा सकें।

कैसे किया मुकाबला?
क्‍या उन्‍हें उम्‍मीद थी कि प्रदर्शनकारियों में से कोई अचानक उनके सामने बंदूक लेकर आ जाएगा? इसके जवाब में वह कहते हैं, दोनों तरफ से पत्‍थरबाजी हो रही थी। हालात खराब थे, फिर भी किसी के बंदूक लेकर इस तरह सामने आ जाने की उम्‍मीद नहीं थी। फिर इस हालात का मुकाबला उन्‍होंने कैसे किया, जबकि उनके हाथ में सिर्फ एक डंडा था और आत्‍मरक्षा के लिए गोली चलाने को गन भी नहीं थी? इसके जवाब में दहिया कहते हैं, पुलिसकर्मियों को प्रशिक्षण ही इस तरह से दिया जाता है कि ऐसी कोई स्थिति आ जाए, जिसमें आम लोगों की जिंदगी को खतरा हो तो वे आम लोगों की जिंदगी को खुद से ऊपर रखें।

'किसी की जान चली जाती तो दु:ख होता'
वह कहते हैं, 'वह फायरिंग करते हुए आगे बढ़ रहा था। मैं नहीं चाहता था कि कोई उसकी गोली का निशाना बने। इसलिए मैं उसकी तरफ बढ़ा। मेरी प्राथमिकता यह सुनिश्चित करने की थी कि कोई हताहत न हो। अगर मेरे सामने किसी को कुछ हो जाता, किसी की जान चली जाती तो हमेशा इसका दु:ख होता। उस वक्‍त मेरे दिमाग में एक ही बात चल रही थी कि मुझे इसे रोकना है और यह मेरी ड्यूटी है।' उनका यह हौसला ही था कि वह एक डंडा लेकर भी उस दंगाई के सामने खड़े रहे, जिसके हाथ में पिस्‍तौल थी।

हरियाणा के रहने वाले हैं दहिया
दीपक दहिया (31) हरियाणा के सोनीपत के रहने वाले हैं। वह 2010 में दिल्‍ली पुलिस में शामिल हुए। उनके परिवार के कई सदस्‍य सुरक्ष बलों में है। पिता भारतीय तट रक्षा से सेवानिवृत्‍त हो चुके हैं तो दो छोटे भाइयों में से एक दिल्‍ली पुलिस में ही हैं तो दूसरे तट रक्षक से जुड़े हैं। दहिया का परिवार सोनीपत में ही रहता है, जहां उनकी पत्‍नी और दो बेटियां भी हैं। दिल्‍ली में हुई हिंसक घटना के बाद से उनका परिवार भी डरा हुआ है, जिसमें एक हेड कॉन्‍सटेबल रतन लाल सहित 20 लोगों की जान जा चुकी है, जबकि लगभग 200 लोग घायल हुए हैं।

Delhi News in Hindi (दिल्ली न्यूज़), Times now के हिंदी न्यूज़ वेबसाइट -Times Now Navbharat पर। साथ ही और भी Hindi News (हिंदी समाचार) के अपडेट के लिए हमें गूगल न्यूज़ पर फॉलो करें।