- सरकार ने ध्वनि प्रदूषण पर नकेल कसने का प्लान बनाया
- ध्वनि प्रदूषण का उल्लंघन करने वालों पर सख्त कार्रवाई
- एसएचओ को एक प्राधिकरण के रूप में नामित किया
Delhi Noise Pollution News: इन दिनों दिल्ली सरकार हर तरह के प्रदूषण को काबू करने में जुटी हुई है। वायु प्रदूषण के बाद अब सरकार ने ध्वनि प्रदूषण पर नकेल कसने का प्लान बना लिया है। जिसके लिए केजरीवाल सरकार ने खास प्रस्ताव पेश किया है। जिसमें नागरिक निकायों के अधिकारियों और थानाध्यक्षों को खास जिम्मेदारी दी गई है, जिसके तहत वह ध्वनि प्रदूषण का उल्लंघन करने वालों पर सख्त कार्रवाई कर सकते हैं।
यह प्रस्ताव दिल्ली सरकार ने केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय को भेजा है। सरकार ने ध्वनि प्रदूषण को प्रभावी ढंग से नियंत्रित करने के उद्देश्य से यह प्रस्ताव पेश किया है। इस बात की जानकारी दिल्ली सरकार के अधिकारियों ने दी है।
एसएचओ को मुकदमा चलाने तक की जिम्मेदारी
इतना ही नहीं प्रस्ताव के मुताबिक दिल्ली पर्यावरण विभाग ने ध्वनि प्रदूषण नियमों की अनदेखी करने वालों पर थाना प्रभारी (एसएचओ) को मुकदमा चलाने तक की जिम्मेदारी दी है। एसएचओ को एक प्राधिकरण के रूप में नामित किया जाएगा। ध्वनि प्रदूषण (विनियमन और नियंत्रण) नियम 2000 के तहत, नियमों की अनदेखी करने पर अनुविभागीय मजिस्ट्रेटों, पुलिस सहायक आयुक्त (यातायात), रेलवे सहित और हवाई अड्डे सहित अनुविभागीय पुलिस अधिकारी उपायुक्तों, दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति के सदस्य सचिव और अध्यक्ष कार्रवाई कर सकते हैं। इन सभी को एक प्राधिकरण के रूप में नामित किया गया है।
स्थानीय और नागरिक निकायों के अधिकारियों को सशक्त बनाया जाएगा
गौरतलब है कि बीते दिनों ध्वनि प्रदूषण से जुड़े नियमों के अनुपालन की निगरानी के लिए राष्ट्रीय हरित अधिकरण की ओर से एक समिति गठित की गई थी। इस समिति में महसूस किया गया था कि स्थानीय निकायों की भागीदारी के बिना दिल्ली में ध्वनि प्रदूषण पर नियंत्रण नहीं किया जा सकता है। जिसके बाद दिल्ली सरकार के कानून विभाग को ध्वनि प्रदूषण (विनियमन और नियंत्रण) नियमों के तहत स्थानीय और नागरिक निकायों के अधिकारियों को सशक्त बनाने के लिए यह प्रस्ताव तैयार किया है।
प्रस्ताव उपराज्यपाल के पास लंबित
फिलहाल यह प्रस्ताव उपराज्यपाल के पास लंबित है। आपको बता दें कि अभी तक ध्वनि प्रदूषण के नियमों का उल्लंघन करने पर एमसीडी, एनडीएमसी और दिल्ली छावनी बोर्ड को कानूनी कार्रवाई करने का अधिकार नहीं है। वहीं सिविक एजेंसियों को नामित अधिकारियों को नियमों का उल्लंघन करने वालों की रिपोर्ट देनी होती है।