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JNUSU का पीएम मोदी को खुला पत्र, 'जेएनयू की प्रतिष्ठा धूमिल करने के लिए हुए सभी उपाय'

Updated Nov 12, 2020 | 14:23 IST

पत्र में जेएनयूएसयू के छात्र नेताओं ने दावा किया है कि 'दिग्गज विद्वानों को तैयार करने वाले इस विश्वविद्यालय की प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचाने में वाइस चांसलर ने कोई कोर-कसर नहीं छोड़ी है।'

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तस्वीर साभार:&nbspPTI
JNUSU का पीएम मोदी का खुला पत्र।
मुख्य बातें
  • गुरुवार शाम को जेएनयू में स्वामी विवेकानंद की प्रतिमा का अनावरण करेंगे पीएम
  • जेएनयूएसयू ने पीएम मोदी को पत्र लिखकर वाइस चांसलर पर लगाए गंभीर आरोप
  • पत्र में जेएनयूएसयू ने कहा कि पीएम के 'आइडिया ऑफ इंडिया' से हमें असहमति

नई दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी गुरुवार शाम को जवाहर लाल नेहरू (जेएनयू) परिसर में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए स्वामी विवेकानंद की आदमकद प्रतिमा का अनावरण करने वाले हैं। इसके पहले जेएनयूएसयू ने पीएम को पत्र लिखकर विवाद खड़ा करने की कोशिश की है। जेएनयूएसयू ने पीएम मोदी को एक खुला पत्र लिखा है। इस पत्र में छात्र संगठन ने वाइस चांसलर जगदीश कुमार की नियुक्त को लेकर सरकार पर निशाना साधा है। 

पत्र पर आइशी घोष के हस्ताक्षर
पत्र में जेएनयूएसयू के छात्र नेताओं ने दावा किया है कि 'दिग्गज विद्वानों को तैयार करने वाले इस विश्वविद्यालय की प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचाने में वाइस चांसलर ने कोई कोर-कसर नहीं छोड़ी है।' पीएम को लिखे गए इस पत्र पर जेएनयूएसयू की अध्यक्ष आइशी घोष और अन्य के हस्ताक्षर हैं। पत्र में आगे कहा गया है, 'जेएनयू के छात्रों  को क्यों अपराधी एवं उन्हें देश-विरोधी बताया जाता है जबकि नाथूराम गोडसे की प्रशंसा करने वालों को संसद में सुशोभित होते हैं।' 

पीएम के 'आइडिया ऑफ इंडिया' से असहमति
पत्र में नेताओं का कहना है कि 'इंडिया को लेकर पीएम मोदी का जो आइडिया है, उससे हम लोगों की असहमति है। खासकर वह जिस राजनीतिक विचारधारा से आते हैं।' पूर्व प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू पर पीएम मोदी की तरफ से होने वाले लगातार हमले की भी पत्र में आलोचना की गई है। पत्र के मुताबिक, 'हम यह देखते आए हैं कि आप दूसरे राजनीतिक संगठनों से आने वाले नेताओं, खासकर पूर्व प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू की हमेशा आलोचना करते हैं। पंडित नेहरू के नाम पर ही इस विश्वविद्यालय का नामकरण हुआ है।' 

'मोदी सरकार का नए विवि खोलने का रिकॉर्ड ठीक नहीं'
पत्र के मुताबिक, 'यह विडंबना है कि अपनी बात रखने के लिए आपने उसी विश्वविद्यालय को चुना है। ऐसा इसलिए है क्योंकि आपकी पार्टी जो सरकार में है, उसका नए विश्वविद्यालय खोलने का रिकॉर्ड काफी खराब है। आप अपनी सरकार द्वारा शुरू किए गए किसी विश्वविद्यालय के उद्घाटन अथवा दीक्षांत समारोह में शरीक हों, इसकी हम प्रतीक्षा कर रहे हैं।'

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