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Coronavirus cases in Delhi: जुलाई बीता खौफ हुआ कम, जानें- कैसे सेंट्रल दिल्ली में कोरोना केस में आई कमी

Updated Aug 01, 2020 | 11:53 IST

corona cases in central delhi: दिल्ली के 11 जिलों में से सेंट्रल दिल्ली भी सबसे ज्यादा कोरोना प्रभावित जिला रहा है। लेकिन अब जमीन पर बेहतर क्रियान्वयन का असर दिखाई देने लगा है।

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सेंट्रल दिल्ली में कोरोना केस में आई कमी
मुख्य बातें
  • मौजूदा समय में दिल्ली में कोविड के कुल केस करीब एक लाख 34 हजार
  • एक लाख 20 हजार मरीज हुए स्वस्थ, रिकवरी रेट करीब 90 फीसद
  • दिल्ली में कोरोना की वजह से मौत का आंकड़ा 3, 936

नई दिल्ली। जून के महीने में जिस तरह से हर दिन कोरोना के मामले तीन हजार के आंकड़े को पार कर रहे थे वो परेशानी बढ़ाने वाले थे। कोरोना केस में स्पाइक की वजह से दिल्ली के डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया ने कहा कि अगर रफ्तार यही रही तो जुलाई के अंत तक दिल्ली में साढ़े पांच लाख केस होंगे। इस समय दिल्ली में कोरोना के एक्टिव केस 11 हजार से कम हैं। इस बीच दूसरा सीरो सर्वें भी शुरू होने जा रहा है। पहले सीरो सर्वे में यह बताया गया था कि करीब 23 फीसज जनसंख्या कोरोना की जद में है और 11 में से 8 जिलों में प्रसार अधिक है जिसमें सेंट्रल दिल्ली और उत्तर पूर्वी दिल्ली का खास जिक्र था। 

सेंट्रल दिल्ली सबसे अधिक प्रभावित जिला
अगर सेंट्रल दिल्ली जिले की बात करें तो यह जिला देश के उन टॉप 20 जिलों में शामिल था जहां कोरोना संक्रमण सबसे अधिक था। लेकिन अब सही
नीतियों को जमीन पर उतारने के बाद तस्वीर बदली है। यहां जून के महीने में हर दिन करीब 350 मामले सामने आते थे। लेकिन अब यह संख्या घटकर 100 तक आ गई है।

सीरी सर्वें ने उड़ा दिए थे होश
दिल्ली के सभी जिलों की जनसंख्या देखें तो उत्तर पूर्वी दिल्ली के बाद सबसे अधिक आबादी और जनघनत्व सेंट्रल दिल्ली में है। इसमें तीन सबडिविजन सिविल लाइंस, करोलबगाग है लालकिला और जामा मस्जिद वाले इलाके भी सेंट्रल दिल्ली के ही हिस्सा हैं। पहले सीरो सर्वे में सेंट्रल दिल्ली से जो रिपोर्ट आई उससे पता चला कि यहां संक्रमण ज्यादा था। करीब साढ़ें पांच लाख जनसंख्या वाले इस जिले में 10 हजार से ज्यादा मरीज मिले थे जिसमें पुरुष करीब 6 हजार और महिलाएं करीब चार हजार थीं। 

लोगों के दिल और दिमाग को पढ़ने की हुई कोशिश
सेंट्रल दिल्ली की डीएम निधि श्रीवास्तव का कहना है कि दरअसल पहले अलग अलग इलाकों की पहचान करने के साथ वहां आने वाली दिक्कतों को समझा गया। ऐसा नहीं किया गया कि जिले के तीनों सबडिविजन के लिए एक ही योजना बनी। मसलन जामा मस्जिद के लिए अलग तो करोलबाग के लिए अलग और सिविल लाइंस इलाके में वहां की भौगोलिक स्थितियों को देखते हुए फैसले किए गए। आशा वर्कर्स की मदद से लोगों को समझाने की कोशिश हुई। करोलबाग के बापा नगर इलाके में होम आइसोलेशन संभव नहीं था तो कोरोना संक्रमित लोगों को क्वारंटीन सेंटर भेजा गया। इस तरह से दूसरे इलाकों में लोगों से मुलाकात कर उनकी मानसिक स्थिति को समझने की कोशिश हुई और उसका नतीजा जमीन पर दिखाई भी दे रहा है।

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