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AIIMS: मांग और राजनीति के चक्कर में मरीजों की जान डाली जोखिम में, जानें क्या है माजरा-Video 

Updated Apr 26, 2022 | 09:35 IST

AIIMS में मरीजों की संख्या इतनी ज़्यादा होती है कि महीनों बाद अस्पताल का अपॉइंटमेंट मिलता है। लेकिन नर्सिंग स्टाफ की असंवेदनशील हरकत ने सारे प्रतिष्ठा को एक झटके में खत्म कर दिया।

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AIIMS: मांग और राजनीति के चक्कर में जोखिम में मरीजों की जान 

AIIMS देश का जाना-माना एक प्रतिष्ठित संस्थान है। देश के दूर-दराज इलाकों से लोग अपना उपचार कराने दिल्ली AIIMS आते हैं। यह घटना शुक्रवार की है। जब ऑपरेशन थिअटर के अंदर मरीजों के ऑपरेशन की तैयारी हो चुकी थी। सारे जाँच के बाद मरीजों को एनैस्थिसिया दिया जा चुका था। बस आगे की अन्य मेडिकल प्रक्रिया को देखते हुए लगभग 50 मरीजों का ऑपरेशन होना था। तभी अचानक से सारे नर्सेस स्टाफ OT से बाहर निकलकर स्ट्राइक पर बैठ गई। 

OT में मौजूद एनेस्थीसिया डिपार्टमेंट के डॉ प्यारेलाल राठौड़ जो पूरे घटनाक्रम के दौरान मौजूद थे। बताते हैं कि हम मरीजों को कुछ एनैस्थिसिया दे चुके थे, थोड़ा और देना था। तभी मुझे पता लगा कि OT के सारे नर्स हड़ताल पर चले गए। तो हम पूरा एनैस्थिसिया नहीं दे पाए। उसके बाद मरीजों को ऑक्सिजन मास्क लगाकर बिना ऑपरेशन के ऐसे ही सुला दिए। नर्सेस ने बताया भी नहीं था कि वो लोग हड़ताल पर जा रहे हैं और ना कोई सूचना थी। जब हम OT पहुंचे तब हमें पता लगा कि नर्सेस स्टाफ स्ट्राइक पर चली गई है। 

तब मैंने DNS ऑफिस में जाकर नर्सेस से पूछा कि आपलोग क्यों OT छोड़कर चले गए। तब उनलोगों ने कहा कि हमारी कुछ मांगे है उसकी वजह से हम स्ट्राइक कर रहे हैं। तब मैंने उनसे कहा कि स्ट्राइक करिए लेकिन ऐसे अचानक से स्ट्राइक ठीक नहीं है। मरीजों का ऑपरेशन होना है। हमने उन्हें एनैस्थिसिया भी दे दिया है।डॉ प्यारे लाल आगे बताते हैं कि एक मरीज को ऑपरेशन के लिये कई महीनों और सालों तक इंतजार करना पड़ता है तब जाकर उनका नम्बर आता है। और ऐसे में अगर मरीजों का ऑपरेशन नहीं हुआ तो कितना दिक्कत होगा। 

एडमिनिस्ट्रेशन की तरफ से ड्यूटी ऑफिसर को भेजा गया था ताकि वो नर्सिंग यूनियन से बात करके स्ट्राइक खत्म करवा सकें और मरीजों का ऑपरेशन हो सके। ड्यूटी ऑफिसर आए और उन्होंने पूछा कि आप सब क्यों ऑपरेशन छोड़कर स्ट्राइक कर रहे हैं। नर्सेस ने कहा कि हमारी कुछ मांग है स्टाफ शॉर्टेज को लेकर। तब डॉक्टर ने उन्हें समझाया कि अचानक से स्ट्राइक नहीं की जाती। पहले इन्फॉर्म किया जाता है। फिर डॉ ने कहा कि आप अपनी मांग लिखकर दीजिये। तभी  नर्सिंग यूनियन के प्रेसिडेंट हरीश काजला ड्यूटी ऑफिसर से बदतमीजी से बात करने लगे। और तू तड़ाक पर उतर गए। वो कहने लगे कि तुम्हारी औकात क्या है। और हरीश काजला ने कहा कि यहाँ से निकलो। इन बातों से हमारा मोराल डाउन हो गया।

"उनको निर्देश दिया कि सभी लोग स्ट्राइक कर दें"

नर्सिंग यूनियन के प्रेसिडेंट हरीश काजला की इस हरकत के बाद रेजिडेंट डॉक्टर असोसिएशन ने कार्यवाई की मांग को उठाया। RDA के प्रेसिडेंट जसवंत जांगड़ा ने AIIMS डायरेक्टर ऑफिस में अपनी कंप्लेंट की कॉपी दी। पूरे मामले पर जानकारी देते हुए बताते हैं कि घटना भले ही 22 तारीख की है लेकिन 21 तारीख की शाम को नर्सिंग यूनियन के प्रेसिडेंट हरीश काजला नर्सों के पास पहुंचे। क्योंकि उनके यूनियन का 29 अप्रैल को चुनाव है। लेकिन कुछ काम न करने की वजह से उन्हें भारी विरोध का सामना करना पड़ा। उसके अगले दिन 22 को हरीश काजला सर्जरी डिपार्टमेंट में पहुँचे और अपने काम को दिखाने के लिए सारे नर्सेस को उकसाया और उनको निर्देश दिया कि सभी लोग स्ट्राइक कर दें। इसे लेकर उन्होंने कोई नोटिस नहीं दिया था। लेकिन तब तक मरीजों को एनैस्थिसिया दिया जा चुका था। 

"हरीश काजला पर सख्त कार्यवाई की जाए और भविष्य में कभी ऐसी स्थिति न हो सके"

उन्होंने हमारे ड्यूटी ऑफिसर के ऊपर चिल्लाए और बदतमीजी की। और उसी शाम को चिल्लाने का वीडियो हरीश काजला ने वायरल करा दिया और प्रचारित करवा दिया कि नेता हो तो ऐसा हो। जब आप वोट के प्रचार के लिए रेसिडेंट डॉक्टर की बेइज्जती करते हैं और अस्मिता को ठेस पहुंचाने का काम करेंगे तब हम यह कभी बर्दाश्त नहीं करेंगे। हमने दो मांग के साथ हायर अथॉरिटी को चिट्ठी लिखा और कहा है कि हरीश काजला पर सख्त कार्यवाई की जाए और भविष्य में कभी ऐसी स्थिति न हो सके।

इस पूरे मामले पर जब टाइम्स नाउ नवभारत के रिपोर्टर प्रेरित कुमार ने नर्सिंग यूनियन के प्रेसिडेंट हरीश काजला से संपर्क करके उनकी प्रतिक्रिया जानने की कोशिश की तो उनसे संपर्क नहीं हो सका या यूं कहें वो बात करने से बचते देखे गए लेकिन सवाल यही है कि मांग और राजनीति के चक्कर में मरीजों के जान को जोखिम में डालने की ज़िम्मेदारी किसकी है।

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